उत्तर प्रदेश के शोविंडो कहे जाने ग्रेटर नोएडा के एक गाँव सिरसा में दहेज़ की खातिर बलि चढ़ गयी निक्की भाटी हत्याकांड की परते जैसे जैसे खुलती जा रही है वैसे वैसे इस क्षेत्र के सामाजिक जीवन, झूठी शान, पुलिस से मदद ना लेने जैसे कई प्रश्न उठ रहे हैं । इस हत्याकांड ने न सिर्फ गुर्जर समाज बल्कि पुरे देश में दहेज़ के लिए लडकियों की प्रताड़ना को लेकर एक बार फिर से सभी जाति धर्म के लोगो को झकझोर दिया है अलग-अलग माध्यमों से आ रही जानकारी के अनुसार शादी के कुछ समय बाद से ही निक्की और उसकी बहन के साथ परिवार में मारपीट शुरू हो गई थी
चर्चा है कि डीपीएस एनटीपीसी से BA तक पड़ी लड़कियों की शादी सामाजिक दबाव में ऐसे दो भाइयों से कर दी गई जिनकी जीविका का एकमात्र सहारा परचून की दुकान थी। शादी में स्कॉर्पियो दी गई, परिवार का जीविकोपार्जन मुश्किल हुआ तो लड़कियों ने ब्यूटी पार्लर खोल लिया जिसमें निक्की के पिता भिखारी सिंह ने डेढ़ लाख रुपए की मदद की। भिखारी सिंह का दावा है कि लड़कियां अपने ब्यूटी पार्लर को प्रमोट करने के लिए इंस्टाग्राम पर वीडियो बनाकर वायरल करती थी ।
किंतु निक्की ओर कंचन का रूढ़िवादी सुसराल इस सबके लिए तैयार नहीं था । निक्की के पिता भिखारी सिंह का दावा है कि सिरसा गांव में ब्यूटी पार्लर की दुकान पर काम करने आई पास के गांव की महिला के सामने भी विपिन ने निक्की और कंचन की पिटाई की थी उन्होंने कहा कि महिला ग्राहक ने इसका विरोध भी किया और उसके परिजनों ने भी आकर विपिन और परिजनों की फटकार लगाई बाद में मामला पुलिस की जगह पंचायत पर चला गया और पंचायत में विपिन और उसके पिता से माफी दिलवा कर मामले को खत्म कर दिया। आरोप है कि इसी माफी के चलते परिवार का दुस्साहस इतना बढ़ गया कि वो दोनों लड़कियों पर जब तक हाथ उठाने लगा और इसकी परिणीति निक्की की हत्या के रूप में हुई है I
आरोप है कि घटना के वक्त कंचन का पति रोहित भाटी और ससुर सत्यवीर भी मौके पर मौजूद थे। कंचन की शिकायत पर पुलिस ने नामजद चार आरोपियों के खिलाफ हत्या की धाराओं में केस दर्ज किया है। शनिवार को महिला को आग लगाने का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ। वहीं एक अन्य वीडियो में निक्की के पुत्र को यह करते हुए सुना जा सकता है कि उसके पापा ने मम्मा को लाइटर से जलाया। फिलहाल निक्की के पति विपिन भाटी ,सास दया, ,ससुर सत्यवीर भाटी, जेठ रोहित भाटी की गिरफ्तारी हो चुकी है और एफआईआर में बीएनएस की धाराओं 103(1), 115(2), 61(2) के मामला दर्ज हुआ है।
पंचायत के भरोसे बैठे समाज पर संविधान, कानून पर विश्वास ना होने की चर्चा
उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा से सटे गांव के लोगों पर आज भी सदियों पुरानी रूढ़िवादी मानसिकता का होने के आप लग रहे हैं । किसी भी तरीके के अत्याचार होने पर पुलिस कानून के पास जाने की जगह पंचायत में फैसला करना यह बता रहा है कि क्षेत्र के लोगों के पास जमीनों की बिकवाली से भले ही समृद्धि आ गई हो किंतु वह अभी भी रूढ़िवादी विचारों के गुलाम है । इसमें सबसे बड़ी भूमिका क्षेत्र के उन नेताओं की है जो अपने आप को सामाजिक विकास के पुरोधा तो बताते हैं किंतु अपने ही ग्रामीण अंचलों में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों पर चुप्पी साथ बैठे हैं। महिलाओं का अधिकार चुनावी राजनीति तक समझने वाले इन नेताओं की असलियत ने एक नयी चर्चा को भी जन्म दे दिया है।
प्रश्न यह है कि जब निक्की और उसकी बहन 7 साल से समझौता कर रही थी और घरेलू हिंसा का लगातार सामना कर रही थी तो परिवार मामले को पुलिस तक क्यों नहीं पहुंचा, आखिर ऐसे मामलों में पंचायत के सहारे ही क्यों समाधान खोजा गया?
इससे भी बड़ी हैरत की बात यह है कि सामाजिक शुचिता और सम्मान की आवाज उठाने वाले क्षेत्र के तमाम राजनैतिक नेताओं ने निक्की हत्याकांड पर चुप्पी साथ ली है। हालत इतने दयनीय है कि अपने ही राष्ट्रीय नेता अखिलेश यादव के इस प्रकरण पर दिए बयान तक को शेयर या फॉरवर्ड तक नहीं किया जा रहा है। अपने ही समाज की बहू या बेटी के साथ हो रहे अत्याचारों पर क्षेत्र के सम्पूर्ण विपक्षी नेताओं का चुप्पी कई प्रश्न खड़े कर रहा है, चर्चा हैं कि इसे अपराधियों की आड़ में समाज को नुकसान होने की आशंका से किया जा रहा है ।
ऐसे में बड़ा प्रश्न है की क्या 21वीं सदी में यह क्षेत्र आज भी पंचायत से लेकर सामाजिक रूढ़ियों में उलझ हुआ है राजनीतिक तौर पर अपना मुख्यमंत्री ढूंढने वाला समाज अपने ही समाज की महिलाओं के अधिकारों के प्रति इतना उदासीन क्यों है ? और कब तक निक्की जैसी होनहार लड़कियां समाज की झूठी शान की आग में जलती रहेंगी ।