राजनीति के गलियारों में इस सप्ताह की पहली चर्चा शनिवार को ड्रोन बनाने वाली कंपनी के लोकार्पण से जुड़ी हुई है । 2 दिन पहले से ही मीडिया में माहौल बना रहे इस कार्यक्रम में बेहद सीमित लोगों को आमंत्रित किया गया था देश की सुरक्षा से ड्रोन बनाने से संबंधित कंपनी के नाम पर जहां एक और शहर के प्रबुद्ध सामाजिक और राजनीतिक लोगों में कार्यक्रम में जाने की होड़ लगी थी वहीं कंपनी के लोगों ने इसे बेहद सीमित कर दिया था, फलस्वरुप कार्यक्रम में कंपनी के अधिकारियों मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अतिरिक्त शहर से सिर्फ सांसदो और विधायकों को अनुमति मिली। यहां तक की कार्यक्रम में जिले के जिला अधिकारी से लेकर नोएडा ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी तक दूसरी पंक्ति में बैठे दिखाई दिए । तो चर्चा शुरू हुई कि अगर ऐसे कार्यक्रम में जिले के प्रमुख अधिकारी भी दूसरे पंक्ति में बैठे हुए थे तो प्रथम पंक्ति में कौन थे ? जी हां प्रथम पंक्ति में जिले के लोकसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर महेश शर्मा और राज्यसभा सांसद सुरेंद्रनागर के साथ और विधायक पंकज सिंह, तेजपाल नागर और विधान परिषद सदस्य आदि उपस्थित थे । अब चर्चा यह हो रही है कि राज्यसभा सांसद, विधायकों विधान परिषद सदस्यों आदि को छोड़ भी दें तो भी शहर के तीन बार के चुने लोकसभा सांसद और पूर्व कैबिनेट मंत्री महेश शर्मा क्यों मंच पर उपस्थित नहीं थे ? आखिर मंच पर मुख्यमंत्री और रक्षा मंत्री के अतिरिक्त सिर्फ कंपनी के पदाधिकारी ही क्यों मौजूद थे । सांसद डॉक्टर महेश शर्मा के ब्राह्मणों के सबसे बड़े नेता होने के बावजूद ब्राह्मणों द्वारा संचालित इस कंपनी में मंच पर उनको ना बैठाए जाने से कई तरीके की चर्चाएं शुरू हो गई उसका कहना है कि कंपनी ने सांसद को उचित स्थान न देकर प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया, तो कई लोगो का दावा है कि कम्पनी को उपर से स्पस्ट निर्देश थे कि मुख्यमंत्री रक्षामंत्री के अतिरिक्त कोई मंच पर नहीं होगा, वहीं कुछ लोगों का कहना है कि शहर में लोकसभा और राज्यसभा सांसद के बीच अघोषित युद्ध के परिणाम अब ऐसे ही सामने आयेंगे, आने वाले दिनों में ऐसी स्थितियां परिस्थितियों की पुनरावृत्ति और भी हो तो कोई आश्चर्य नहीं होगा ।
राजनीति का गलियारों में दूसरी चर्चा भी मुख्यमंत्री के नोएडा आगमन से जुड़ी हुई जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री के आगमन से पूर्व ही शहर में विपक्ष के प्रमुख नेताओं ने पुलिस के साथ अपने हाउस अरेस्ट के फोटो डालकर यह बताना शुरू कर कि योगी सरकार के निर्देश पर पुलिस उनको घर पर नजर बंद करके लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं । जबकि जानकारों की माने तो सरकार की तरफ से इस तरीके के कोई स्पस्ट आदेश नहीं थे किंतु स्थानीय पुलिस और नेताओं के बीच इस दोस्ताना नजरबंदी से पुलिस और विपक्ष दोनों का काम हो गया। जहां एक और नोएडा पुलिस कमिश्नरेट ने जिले में उनकी आज्ञा बिना परिंदा भी पर नहीं मार पाने की हनक साबित करी वहीं विपक्ष के नेताओं ने इन फोटो के जारी कर अपने शीर्ष नेतृत्व को यह बताने की कोशिश की, कि शहर में उनका राजनैतिक प्रभाव कितना जबरदस्त है, उनको लेकर शासन प्रशासन कितना डरा रहता है। ऐसे में इस नूरा कुश्ती से दोनों के काम हो गए । आपका सवाल यह भी होगा कि आखिर इस नूरा कश्ती की क्यों कहा जा रहा है इसका उत्तर यह भी है कि महज कुछ माह पहले नोएडा जिले में ऐसे ही विपक्ष और किसान नेताओं की नूरा कुश्ती प्राधिकरण ओर पुलिस के साथ चलती रहती थी हर रोज विपक्ष के समर्थन से किसान नेताओं के आंदोलन प्राधिकरणों के बाहर होते रहते थे और पुलिस प्रशासन उन्हें सुरक्षा देता था, फिर एक दिन मुख्यमंत्री का सख्त आदेश आया और रातों-रात आंदोलनकारी उठा लिए गए उसके बाद ना यहां किसान आंदोलन दिखाई दिए ना ही सड़कों पर अराजकता, बस दिखाई दे रही है तो ऐसे हाउस अरेस्ट की नूरा कुश्ती।
राजनीति के गलियारों से तीसरी चर्चा भी मुख्यमंत्री, रक्षा मंत्री के आगमन से जुड़ी हुई है हुआ यह के मुख्यमंत्री और रक्षामंत्री दोनों ही एक निजी कंपनी के कार्यक्रम में आए थे जिसको लेकर शहर में पुलिस प्रशासन और प्राधिकरण तीनों तन मन धन से लग गए, साथ ही उनके आगमन को लेकर मीडिया मैनेजमेंट पर कम्पनी के एक्टिव पीआर से कार्यक्रम की चर्चा घर-घर तक पहुंची किंतु उसी दिन शहर में केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव भी एक अन्य निजी कंपनी में टेंपर्ड ग्लास बनाने की सुविधा का उद्घाटन करने पहुंचे थे । दावा किया जा रहा है कि यह देश की पहली कंपनी है जहां भारत में ही टेंपर्ड ग्लास बनाए जाएंगे । अब प्रश्न यह है कि एक ही समय में अगर रक्षामंत्री, मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री शहर में मौजूद थे तो सिर्फ मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक अन्य चर्चाएं एक ही कंपनी के कार्यक्रम को क्यों मिली ? क्या मेक इन इंडिया के तहत देश में पहली बार टेंपर्ड ग्लास बनाने वाली इस कंपनी ने मीडिया मैनेजमेंट और पीआर सिस्टम को एक्टिवेट नहीं किया था या फिर भाजपा की राजनीति में प्रोटोकॉल को लेकर कोई अघोषित आदेश है जहां प्रदेश और देश के शीर्ष नेतृत्व के अलावा बाकी सब के दोयम श्रेणी के देवता समान है ।
आखिर में एक प्रश्न जिसका उत्तर हमारे पास भी नहीं है, आपके लिए छोड़ कर जा रहे हैं शहर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति वाले इतने चर्चित कार्यक्रम में जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह कहां थे ? क्या जेवर में कुछ अलग खिचड़ी पक रही है