ग्रेटर नोएडा में सिरसा गांव में हुई निक्की की जिंदा जलाने की घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। निक्की, जिसकी केवल 29 वर्ष की आयु थी, को उसके पति विपिन ने दहेज की मांग को लेकर जिंदा जला दिया। यह एक न केवल भयानक घटना है, बल्कि यह समाज में गहराई से फैली दहेज प्रथा और घरेलू हिंसा की समस्या को उजागर करती है, जो महिलाओं के लिए निरंतर खतरा बनी हुई है।
पुलिस द्वारा किए गए एनकाउंटर में विपिन की गिरफ्तारी ने एक बार फिर उस ज्वलंत विषय पर ध्यान केंद्रित किया है, जिस पर समाज को गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। विपिन, जो पुलिस हिरासत से भागने का प्रयास कर रहा था, उसे पैर में गोली लगी। यह घटना महज एक व्यक्ति की क्रूरता की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस सामाजिक धारणाओं और प्रक्रिया का एक प्रतीक है, जो महिलाओं के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देती है।
एक मासूम बेटे का दर्द
निक्की की हत्या के बाद उसके पांच वर्षीय बेटे का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें वह अपने पिता की क्रूरता का बयान कर रहा है। बच्चे की मासूमियत और उसकी आवाज में छिपा दर्द हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हमारी समाज व्यवस्था सच में इतनी असंवेदनशील हो चुकी है? एक बच्चे की नजर में उस क्रूरता का कोई स्थान नहीं होना चाहिए था, लेकिन उसे इस बर्बरता का साक्षी बनना पड़ा। यह घटना उन सभी के लिए एक गंभीर चेतावनी है, जो दहेज प्रथा और घरेलू हिंसा का समर्थन करते हैं या उसे अनदेखा करते हैं।
दुख और सितम की कथा
निक्की के माता-पिता, भिखारी सिंह और मंजू, इस हमले के बाद गहरे सदमे में हैं। उनकी आँखों में आंसुओं का सागर है, जो यह बताता है कि उनकी बेटी के साथ क्या हुआ। भिखारी सिंह ने कहा कि उनकी बेटी की शादी में 35 लाख रुपये दहेज दिया गया, फिर भी ससुराल वालों की मांगें खत्म नहीं हो रही थीं। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी बेटियों के खिलाफ दिनों-दिन बढ़ती हिंसा के मामले में पंचायत भी की गई थी, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला।
दहेज प्रथा – एक बुराई
दहेज प्रथा एक ऐसी कालातीत समस्या है, जो आज भी अनेक परिवारों के लिए चिंता का विषय है। यह ना केवल महिलाओं का जीवन, बल्कि उनके परिवारों को भी बुरी तरह प्रभावित करता है। हमारा समाज हमेशा से महिलाओं की गरिमा को नजरअंदाज करता आया है, और यह घटना एक बार फिर हमें उस सच्चाई की याद दिलाती है।
इस स्थिति को बदलने के लिए समाज के हर हिस्से को आगे आकर एक साथ मिलकर काम करना होगा। हमें दहेज प्रथा के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है, ताकि ऐसी घटनाएं पुनः दोहराई न जा सकें।
न्याय की मांग
निक्की के परिवार ने आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग की है। इस मांग को सुनना और उसे प्राथमिकता देना न केवल हृदयहीन अपराधियों के लिए सजा का माध्यम होगा, बल्कि समाज को यह संदेश भी देगा कि उनके कृत्यों का परिणाम होगा।
देश के कानून को उन मजबूर और असहाय महिलाओं की रक्षा करनी चाहिए, जिनका जीवन दहेज प्रथा और घरेलू हिंसा से तबाह हो रहा है। हमें एक ऐसा संगठित समाज बनाने की आवश्यकता है, जहां महिलाएं सुरक्षित महसूस करें और उन्हें अपने अधिकार प्राप्त हों।
विपिन का एनकाउंटर केवल एक घटना है, बल्कि यह एक अवसर भी है कि हम समाज में व्याप्त बुराइयों को खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ें। हमें एकजुट होकर उन सभी महिलाओं के लिए खड़े होने की आवश्यकता है, जिन्हें अब भी इस तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह केवल निक्की का मामला नहीं है, बल्कि यह हम सभी का मामला है; यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम समाज में परिवर्तन लाएं और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करें।