आशु भटनागर । बरसों पहले आई फिल्म द कश्मीर फाइल्स में एक डायलॉग है कि सरकार भले ही तुम्हारी हो पर सिस्टम आज भी हमारा है । ऐसा ही कुछ 2017 के बाद दूसरी बार सरकार चलाने के भ्रम में जी रहे भाजपा कार्यकर्ताओं को अब महसूस होने लगा है।
ताला प्रकरण बुलंदशहर में सपा कार्यकर्ता की समस्या पर शिवपाल यादव के फोन ना उठाने पर डीएम श्रुति सिंह को विधान सभा अध्यक्ष सतीश माहना द्वारा मिले नोटिस के बाद हो रही चर्चा का है। दरअसल भाजपा की योगी सरकार के पहले कार्यकाल में गुंडागर्दी को समाप्त करने और कानून व्यवस्था के नाम पर प्रशासनिक अधिकारियों से अपमान और दूसरे कार्यकाल में उपेक्षा के साथ साथ उत्पीड़न से परेशान लगातार भाजपा कार्यकर्ता अब अपनी शिकायतें मुख्यमंत्री से लगातार करने लगे हैं, गौतम बुद्ध नगर में भी कार्यकर्ताओं का दर्द अब सामने आने लगा है ।
2 दिन पूर्व आए डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के समक्ष कार्यकर्ताओं ने इस बात को ढंग से उठाया भी और शिकायत करी कि उनकी शिकायतों पर ना तो प्रशासन कोई संज्ञान लेता है, ना ही पुलिस उनकी सुनती है बल्कि उनको ही धमका देती है और भगा देती है। 15 सितम्बर को डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के सामने BJP कार्यकर्ता ने पुलिस प्रशासन के साथ साथ संगठन में भी गुटबाजी और शोषण के गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि उनकी आवाज संगठन में नहीं सुनी जाती और उनकी ३ माह की गर्भवती पत्नी पर भी फर्जी 307 का मुकदमा दर्ज किया गया। क्या यह संगठन में कार्यकर्ताओं का सम्मान है? हमारी कोई सुनवाई क्यों नहीं होती?
“जिस तरह चाहो बजाओ इस सभा में,
हम नहीं हैं आदमी, हम झुनझुने हैं…
गुटबाज़ी और पुलिस की प्रताड़ना से संगठन में भारी रोष है…ये दर्द हर एक #भाजपा कार्यकर्ता के दिल से निकल रहा है…
इस बार आह #नोएडा से निकली है…वो भी उपमुख्यमंत्री @brajeshpathakup के सामने, बताइए प्रेगनेंट महिला… pic.twitter.com/SmSBNvROfV
— Mamta Tripathi (@MamtaTripathi80) September 18, 2025
हालत यह है कि कई भाजपा के नेता अब पुलिस थानों में पीड़ितों की मदद के लिए जाना तक बंद कर दिए हैं तो गौतम बुध नगर में कई नेताओं ने घर बैठने में ही अपनी भलाई समझी है। इसका असर भाजपा के कार्यक्रमों पर भी पड़ने लगा है। 2022 से पहले तक भाजपा सरकार के कार्यक्रमों में संगठन के लोगों की बड़ी भूमिका रहती थी किंतु दो वर्षों में स्वयं को भाजपा कार्यकर्ता और नेता कहने वाले लोग अब जैसे चुनावों का इंतजार कर रहे है। इसका प्रभाव प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी के 75 वे जनादिवास पर ऐसे कार्यकर्ताओं के रुख से भी दिखा है।
नोएडा-ग्रेटर नोएडा जैसे शहरों में हाईराइज सोसाइटी में रह रहे भाजपा कार्यकर्ताओं की बड़ी संख्या AOA/RWA चुनावों के कारण होने वाले विवादों में नोएडा पुलिस द्वारा दिए गए 107/16 के मुकदमे नोटिस को लेकर भी बेहद आक्रोशित है । नोएडा और ग्रेटर नोएडा दोनों ही शहरों की हाईराइज सोसाइटी में अब इसके लिए बाकायदा मीटिंग्स हो रही हैं और विरोध किया जा रहा है। लोगों ने स्वयं को पुलिस के द्वारा हो रहे इन उत्पीड़न के खिलाफ स्वयं को भाजपा कार्यकर्ता की जगह आम नागरिक कहकर विरोध करना शुरू कर दिया है । लोगों का दावा है कि ऐसे मामलों में भाजपा जिला अध्यक्ष तो स्थिति छोड़ो सांसद और विधायक भी साथ देने नहीं आते है। लोगो का आरोप है कि नोएडा में भाजपा विधायक पंकज सिंह से मिलना भाजपा नेताओ के लिए ही मुश्किल है ऐसे में सोसाइटी नेताओ की तो बात करना भी बेमानी है।
जिले में लोकसभा चुनाव में तीसरी बार भाजपा सांसद को 5 लाख वोटो से ज्यादा जिताने वाली जनता का स्पष्ट कहना है कि भाजपा को आंख बंद करके वोट देना और दिलवाना इन कार्यकर्ताओं को भारी पड़ रहा है। जहां भाजपा नेता या समर्थक होने के चलते एक और प्रशासन और पुलिस उनकी नहीं सुनती है वहीं जिन मतदाताओं के समक्ष जा जाकर इन्होंने वोट देने को कहा था वह इन्हें अपने घरों में घुसने नहीं दे रहे हैं।
ऐसे में पहले ही अपनी उपेक्षा से दुखी भाजपा कार्यकर्ताओं का दर्द बुलंदशहर की डीएम को शिवपाल यादव की शिकायत पर भाजपा के ही विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना द्वारा लिए गए सख्त एक्शन ने अब इसमें आग में घी का काम कर दिया है । चर्चा सामने आने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि इससे तो बेहतर समाजवादी पार्टी का कार्यकर्ता बन जाना है क्योंकि सरकार भले सपा की ना हो किंतु सपा कार्यकर्ताओं की हनक आज भी वैसे ही बरकरार है। उनके लिए उनके नेताओं की एक आवाज पर भाजपा सरकार और उनके मंत्री स्वयं खड़े होकर फोन कर देते हैं, नोटिस दे देते हैं, पुलिस, प्रशासन सम्मान देते है किंतु भाजपा कार्यकर्ताओं को बंधुआ मजदूर से ज्यादा कुछ नहीं समझा जा रहा है। आने वाले दिनों में गौतम बुध नगर समेत उत्तर प्रदेश में भी भाजपा कार्यकर्ताओं के भाजपा से छिटकने या घर में बैठ जाने की समाचार मिले तो आश्चर्य मत करिएगा।