पूर्व बीजेपी सांसद और आवारा कुत्तो के कारण आम जनविरोधी छवि पा चुकी मेनका गांधी ने उत्तराखंड की प्रतिष्ठित चार धाम यात्रा को लेकर एक ऐसा बयान दिया है, जिसने राजनीतिक और धार्मिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने सीधे तौर पर कहा है कि ‘मुझे लगता है कि अब भगवान भी चारों धामों को छोड़कर चले गए हैं।’
मेनका गांधी ने अपने बयान में चार धाम यात्रा की मौजूदा स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “मुझे लगता है भगवान भी चारों धामों से भाग गए हैं… पिछले साल केवल हेमकुंड साहिब से 700 जानवर नीचे गिर गए थे। ऐसे में ‘कौन भगवान टिकेगा यहां पर?’ आपने ऊपर पूरा कंक्रीट बिछा दिया है।”

उन्होंने आगे कहा कि जिन जगहों पर कभी हरे-भरे घास के मैदान थे, सुंदर फूल खिले रहते थे और वहां जाकर ऐसा महसूस होता था कि हम स्वर्ग पहुंच गए हैं, आज वहां का नजारा देखकर दिल टूट जाता है। उन्होंने सवाल उठाया, “अब जब हम वहां जाते हैं, तो हमारा दिल टूट जाता है… घूम फिर कर मिट्टी और क्रूरता देखकर आप ऊपर पहुंचते हैं, और फिर किसलिए पहुंचते हैं?”
मेनका गांधी के बयान पर गरमाई सियासत और धार्मिक हलचल
मेनका गांधी के इस बयान ने देश की राजनीति में गर्माहट ला दी है। जहां एक ओर विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है, वहीं दूसरी ओर विभिन्न धार्मिक संगठनों में भी उनके बयान को लेकर तीव्र प्रतिक्रिया और हलचल देखने को मिल रही है। कुछ लोग उनके बयान को धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला बता रहे हैं I
ऐसा नहीं है कि मेनका गांधी पहली बार अपने विवादित बयानों से चर्चा में आई हैं मेनका का पूरा करियर ही विवादों से भरा है I संजय गांधी से विवाह से लेकर इंदिरा गांधी द्वारा उनको घर से निकाले जाने और बाद में राजनीती के लिए कांग्रेस के खिलाफ खड़े होने तक कई विवाद उनके साथ जुड़े रहे है यहाँ तक कि सूर्य मैगजीन की संपादक रहते हुए उन्होंने कांग्रेस नेता जगजीवन राम का करियर बर्बाद करने के लिए उनके पुत्र के नग्न फोटो छाप दिए थेI जिसको पत्रकारिता से अधिक राजनैतिक द्वेष में किया गया कार्य माना गया था I ऐसे में लोग एक बाद फिर से मेनका गांधी के नए बयान को भाजपा में किनारे हो चुकी अपनी भूमिका को प्रासंगित बनाने के लिए कह रह हैंI
घोड़े-खच्चर के इस्तेमाल पर उठते सवाल और जमीनी हकीकत
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा, विशेष रूप से केदारनाथ व अन्य दुर्गम धामों तक पहुंचने के लिए, श्रद्धालुओं को कठिन और ऊंची चढ़ाई करनी पड़ती है। यह चढ़ाई इतनी मुश्किल होती है कि अक्सर कई बुजुर्गों, बच्चों और यहां तक कि कुछ युवा श्रद्धालुओं के लिए भी बिना किसी सहारे के चढ़ना चुनौती भरा होता है। ऐसे में बड़ी संख्या में श्रद्धालु घोड़े और खच्चरों का इस्तेमाल करते हैं।
हालांकि, उत्तराखंड सरकार हर साल इन जानवरों के कल्याण के लिए विस्तृत नियम तय करती है। इन नियमों में उनके लिए पर्याप्त भोजन, स्वच्छ पानी, दिन में तीन-चार घंटे का अनिवार्य आराम, स्वास्थ्य जांच और क्षमता से अधिक बोझ न लादने जैसी तमाम बातें शामिल हैं। इन नियमों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यात्रा के दौरान इन बेजुबान प्राणियों पर अनावश्यक अत्याचार न हो।
फिलहाल मेनका गांधी का यह बयान एक बार फिर धार्मिक आस्था को चुनोती देता प्रतीत होता है। अब देखना यह होगा कि इस विवादित बयान पर मोदी सरकार क्या प्रतिक्रिया देते हैं। क्या सरकार मेनका गांधी पर कोई एक्शन लेगी या फिर आने वाले दिनों में शत्रुघ्न सिन्हा की भाँती मेनका गांधी भाजपा छोड़ने पर मजबूर होंगी