केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में घर खरीदारों के साथ ठगी के एक बड़े मामले में बैंकों और रियल एस्टेट कंपनियों के बीच सांठगांठ को लेकर 22 नए मामले दर्ज करने की पुष्टि की है। यह कार्रवाई भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर की गई है, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सीबीआई को विभिन्न बिल्डरों और बैंकों के खिलाफ चल रही छह प्रारंभिक जांचों को प्राथमिकी में तब्दील करने की अनुमति दी।
इस मामले में साक्ष्य जुटाने के लिए जांच एजेंसी ने पूरे एनसीआर में 47 ठिकानों पर छापे मारकर कुछ डिजिटल साक्ष्य और अवैध दस्तावेज बरामद किए हैं। सीबीआई की दर्ज की गई एफआईआर में प्रमुख रियल एस्टेट कंपनियां जैसे कि जेपी स्पोर्ट्स इंटरनेशनल लिमिटेड, अजनारा इंडिया लिमिटेड, वाटिका लिमिटेड, सुपरटेक और आइडिया बिल्डर्स का नाम शामिल है। इसके अलावा, इसमें एसबीआई, इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस जैसे वित्तीय संस्थानों का भी नाम है।
आरोप है कि इन बैंकों ने आर्थिक सहायता योजना के तहत स्वीकृत राशि सीधे बिल्डरों के खाते में जमा की, लेकिन जब बिल्डरों ने बैंक को किस्त का भुगतान नहीं किया, तो बैंकों ने घर खरीदारों पर ईएमआई जमा करने का दबाव डाला। इस संदर्भ में, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के प्रयासों की सराहना की और उसे 1,000 से अधिक व्यक्तियों की जांच तथा 58 परियोजना स्थलों का दौरा करने के लिए कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई द्वारा दर्ज सातवीं प्रारंभिक जांच, जो सुपरटेक लिमिटेड के अलावा अन्य बिल्डरों की परियोजनाओं से संबंधित है, अब भी जारी है और इसका दायरा मुंबई, बंगलूरू, कोलकाता, मोहाली और इलाहाबाद तक बढ़ा दिया गया है।
इस विवाद के केंद्रीय मुद्दे के रूप में, 1,200 से अधिक घर खरीदारों की याचिकाएं अदालत में लंबित हैं। इन खरीदारों ने आरोप लगाया है कि उन्हें फ्लैटों पर कब्जा नहीं मिलने के बावजूद बैंकों द्वारा ईएमआई का भुगतान करने के लिए बाध्य किया जा रहा है। शीर्ष अदालत ने पूर्व में इस मामले में सुनवाई करते हुए, सीबीआई को नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, यमुना एक्सप्रेसवे और गाजियाबाद में बिल्डरों और परियोजनाओं के मामलों में पांच प्रारंभिक जांच दर्ज करने की अनुमति दी थी।
इस कार्रवाई के आलोक में, गृह खरीदारों के लिए न्याय की उम्मीदें फिर से जागृत हुई हैं, जबकि रियल एस्टेट क्षेत्र में विश्वास की कमी बढ़ती जा रही है। सीबीआई की तेज जांच और स्थाई निष्कर्ष तक पहुँचने में तत्परता, इस मामले में प्रभावित लोगों के लिए एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।