आशु भटनागर। उत्तर प्रदेश को १ ट्रिलियन डॉलर की इकानमी बनाने के लिए जुटे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए समाचार अच्छे नहीं है । बरसात में थोड़ी से वर्षा से उत्तर प्रदेश के शो विंडो गौतम बुद्ध नगर में सडको पर पानी भरने के तमाम विडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर घूम रहे हैI लोग पूछ रहे है प्रदेश में वर्ल्ड क्लास सिटी का दावा करने वालेमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके औधोगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल नंदी किस मुह से यहाँ इन्वेस्टमेंट लायेंगे। नोएडा, ग्रेटर नोएडा या यमुना प्राधिकरण तीनों के के समक्ष मौजूद स्थाई कर्मचारियों की कमी अब गंभीर एक समस्या बन गई है। यधपि नोएडा इनमे फिर भी बेह्टर स्थिति में है, यमुना प्राधिकरण में तो बीते १० वर्षो में सीईओ भी सेवा विस्तार वाले ही रहे है और वर्तमान को लेकर भी भविष्य के संकेत सही नहीं हैं, इसके बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के हालत भी बेहद दयनीय है। क्षेत्र में तेजी से हो रहे विकास के बावजूद, प्राधिकरण के अंदर इस संवेदनशील मुद्दे पर शायद ही कोई ध्यान दे रहा है। यह स्थिति ना केवल ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की कार्यक्षमता को प्रभावित कर रही है, बल्कि इससे स्थानीय निवासियों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
स्थाई कर्मचारियों की कमी
हालत ये है कि प्राधिकरण में आठ वर्क सर्किल में वरिष्ठ प्रबंधकों की कमी हो चुकी है। वर्तमान में औसतन 2 वर्क सर्किल एक वरिष्ठ प्रबंधक के सहारे चलाया जा रहा हैI प्राधिकरण में वरिष्ठ प्रबंधकों के बारे में कहा जाता है कि इनमे से भी एक तो बिना कार्य वाले वर्क सर्किल में जाकर भी खुश है और अपने सेवानिवृत्ति के बचे हुए एक वर्ष कैसे भी काटने में लगे हैं तो एक के बारे में कहा जाता है कि उनको अगर अकेले कोई ड्राइंग बनाने को दे दी जायेगे तो वो रो पड़ेंगे I वहीं पहले एक साथ 3 और अब 2 वर्क सर्किल संभालने से परेशान PWD से ३ वर्ष पूर्व आये एक वरिष्ठ प्रबंधक वापस PWD में जाना चाहते है पर जा नहीं पा रहे तो एक के विरुद्ध स्थानीय ग्रामीणों ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर मोर्चा खोला हुआ है बीते दिनों उनके साथ अभद्र वयवहार की घटना के बाद उनका वर्क सर्किल तो बदला किन्तु ग्रामीणों की शिकायत कम नहीं हुई I ऐसे में देखा जाए तो प्राधिकरण में सीईओ, एसीईओ या ओएसडी के लिए मात्र 2 सक्षम प्रबंधको के भरोसे कार्यों का समुचित प्रबंधन करना एक चुनौती बन गया है। जब कार्य की ज़िम्मेदारियों में वृद्धि हो रही है, तब कर्मचारियों की संख्या में कमी कैसे सही ठहराई जा सकती है? यह सवाल सभी स्थानीय निवासियों के मन में उठता है। एक वरिष्ठ प्रबंधक की गैर-मौजूदगी का सीधा असर योजनाओं की अनुपालन और विकासात्मक गतिविधियों पर पड़ता है। जिसका परिणाम ये है कि शहर में वर्षा के दौरान प्राधिकरण के कर्मचारी सुबह से लेकर रात तक सडको पर कार्य में लगे हैं पर बेबस दिखाई दे रहे है।

नियोजन विभाग में ड्राफ्टमैन का अभाव
प्रोजेक्ट ही नहीं नियोजन विभाग में भी वरिष्ठ प्रबंधक, ड्राफ्टमैन की कमी भी एक गंभीर समस्या है। ड्राफ्टमैन नगर विकास और निर्माण योजनाओं के महत्वपूर्ण स्तम्भ होते हैं। उनकी अनुपस्थिति में, विकास कार्यों की गुणवत्ता और समय पर पूरा होने की संभावना दोनों पर प्रश्नचिह्न लग जाता है। हालत ये है कि ड्राफ्टमैन की कमी के चलते वरिष्ठ प्रबंधक को वो काम करने पड़ रहे है जिसके चलते शहर के नियोजित विकास पर सदैव ही प्रश्न उठते रहेते है। प्रश्न ये है कि जब तक उचित अभियांत्रिकी और योजनाबद्ध तरीके से काम नहीं किया जाएगा, तब तक शहर के नदी-नालों का निर्माण भी संदेहास्पद रहेगा। प्राधिकरण की मज़बूरी या औधोगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल नंदी की लापरवाही देखिये कि नियोजन में महाप्रबंधक का पद सेवानिवृत्त हो चुकी अधिकारी को सेवा विस्तार देकर ही चलाना पड़ रहा है।
विकास की गति पर प्रभाव
शहर के लोगोका जीवन स्तर बढ़ाने और विकास की गति को बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण सशक्त हो। स्थाई कर्मचारियों की कमी से न केवल विकास कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है, बल्कि यह भी स्थानीय निवासियों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। एक अच्छी व दुरुस्त बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए सही तकनीकी विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है, जिनका अभाव महसूस हो रहा है। ऐसा नहीं है कि प्राधिकरण से कर्मचारियों की कमी औधोगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल नंदी को बताई नहीं जाती है किन्तु 30 जून तक सारे ट्रान्सफर ना कर पाने वाले मंत्री जी नयी नियुक्तियों पर कैसे ध्यान देंगे I औधोगिक विकास मंत्री जी की चर्चित व्यस्तता के हालात ऐसे है कि नोएडा प्राधिकरण में कई अधिकारियो को प्रमोशन के बाद स्थान्नान्तरण अब तक हो जाना चाहिए था किन्तु वो भी अटका हुआ है। अगर ऐसे ही हालात रहे तो नवम्वर में होने वाली ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी का टालना तय है और उत्तर प्रदेश के १ ट्रिलियन डॉलर की इकानमी के सपने बस सपने ही बन कर रह जायेंगे
