सत्यम शिवम् सुन्दरम : कुत्तों के सहारे फोनरवा के अगले चुनाव की तैयारी, ग्रामीण बनाम शहरी नेतृत्व के बीच फिर उठेगा तूफान!

NCRKhabar Mobile Desk
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आशु भटनागर। लगातार कई वर्षों से नोएडा शहर के मात्र 100 के लगभग रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) की कथित शीर्ष संस्था फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन फोनरवा (FONRWA) एक बार फिर से चर्चा में है । दरअसल चुनाव से कुछ माह पहले चर्चा में आना किसी भी संस्था और उसके वर्तमान पदाधिकारी की मजबूरी बन जाती है। बीते लगभग डेढ़ साल से शहर के लिए कुछ भी न करने के आरोप झेल रहे संस्था के अध्यक्ष योगेंद्र शर्मा इन दिनों फिर से सक्रिय हैं । 

इसी क्रम में योगेंद्र शर्मा ने क्या देश भर में कुत्तों को लेकर छिड़े विवाद में हाथ आजमाने की कोशिश की है? कुत्तों के मामले में पीड़ितों की लड़ाई लड़ रहे विजय गोयल को नोएडा मीडिया क्लब में बुलाकर एक बार फिर से अपनी चुनावी रणनीति को धार देने की कोशिश की है।

जिले में ब्राह्मण समाज की नेतागिरी के जरिये अध्यक्ष बने योगेंद्र शर्मा का सौभाग्य यह भी है कि वह नोएडा के ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं फिलहाल जिले के लोकसभा सभा सांसद डा महेश शर्मा के करीबियों में हैं । विरोधियो के आरोप हैं कि राजनैतिक रूप से महत्वाकांक्षी कहे जाने वाले योगेंद्र एक समय में समाजवादी पार्टी से टिकट की तैयारी कर रहे थे। किंतु 2 वर्ष पूर्व अचानक भाजपा में दिखाई दिए योगेंद्र के इस कदम से भाजपा ही नहीं समाजवादी पार्टी के कई नेताओं के समीकरण गड़बड़ा गए। ऐसे नेता आज भी उनके बारे में ऐसी चर्चाओं के सहारे उनका विरोध करते रहते हैं।

बरहाल कभी जिनके कंधे पर बैठकर योगेंद्र फोनरवा के अध्यक्ष बने अब उन्हीं लोगों ने योगेंद्र के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है किंतु यह भी सच है कि फोनरवा में फिलहाल विपक्ष की ओर से चेहरा दिखाई नहीं दे रहा है। बीते चुनाव में योगेंद्र शर्मा के खिलाफ खड़े हुए शहरी समाज के प्रतिनिधि राजीव गर्ग बड़ी हार के बाद नेपथ्य में जा चुके हैं और फोनरवा का चुनाव लड़ने तक से तौबा कर चुके हैं वही वर्ष के आरंभ में एक यादव प्रत्याशी की चर्चाएं जोर-शोर से सामने आई थी किंतु कहा जाता है कि राजनीतिक दबाव या बड़े पद के जरिये फिलहाल उनको मैनेज कर लिया गया है ।

देखा जाए कहा तो यह भी जा रहा है कि योगेंद्र शर्मा फिलहाल डॉ महेश शर्मा कैंप के खास है किंतु साथ ही शहर में नए आकर बसे आम आदमी पार्टी के पूर्व संस्थापक और “कोई दीवाना कहता है…” जैसी कालजयी हिंदी कविता से चर्चित कवि कुमार विश्वास (Kumar Vishwash) के साथ भी नजदीकियां बढ़ा रहे योगेंद्र शर्मा साथ ही लगातार प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक से लेकर अन्य ब्राह्मण नेताओं में भी अपनी पैठ बढ़ाने में लगातार लगे हुए हैं, लखनऊ से दिल्ली आने वाले हर ब्राह्मण नेता की गाड़ी इन दिनों योगेंद्र शर्मा के घर से होकर गुजरती है।

प्रश्न ये है कि इस सब के बाद भी योगेंद्र शर्मा क्यों खुद को फोनरवा के अगले चुनाव के लिए असुरक्षित महसूस कर रहे हैं क्यों उन्हें दिल्ली से विजय गोयल को बुलाकर कुत्तों के नाम पर बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ी है इसका जवाब भी फोनरवा के इतिहास में ही छुपा है । दरअसल फोनरवा के पुराने कद्दावर और शहरी नेता नेता एनपी सिंह जब योगेंद्र शर्मा के ग्रामीण हनक और राजनीतिक कौशल के आगे फोनरवा में किनारे हुए तो उन्होंने शहर में ही एक नई संस्था नोएडा के स्थान पर पूरे गौतम बुद्ध नगर जिले के आरडब्ल्यूए और एओए लेकर डीडीआरडब्लूए के नाम से बना डाली ।

आरोप है कि योगेन्द्र फोनरवा के जरिये प्रतिनिधित्व तो RWA और शहरी समुदाय का करते हैं कितु उनके हित में काम करने की जगह प्राधिकरण, पुलिस और प्रशन अधिकारियो के साथ फोटो सेशन में अधिक दिखाई देते हैं। यह भी एक कटुसत्य है कि योगेंद्र शर्मा के रहते हुए फोनरवा कोई ऐसा बड़ा कार्य नहीं किया है जिसके जरिए वह फोनरवा के पूर्व अध्यक्ष एमपी सिंह के द्वारा खींची गई लाइनों को मिटा सके वही एनपी सिंह ने डीडीआरडब्लूए के जरिये एक बार फिर से शहर के RWA और AOA को लेकर बड़ी मुहिम शुरू करी हैं जिसमें धारा 10 के नोटिस से लेकर आवारा कुत्तों की समस्याओं तक काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं और यहीं से योगेंद्र शर्मा की समस्या शुरू होती है ।

जानकारी के अनुसार रविवार 14 सितंबर को डीडीआरडब्ल्यूएनए विजय गोयल के साथ मिलकर एक कार्यक्रम को प्लान किया था ऐसे में फोनरवा और डीडीआरडब्लूए की लड़ाई में शहर की आरडब्ल्यूए के बीच पीछे ना रह जाने के चलते योगेंद्र शर्मा ने फोनरवा के जरिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन करके एक बार फिर से चर्चा में आने की कोशिश की है । अब इस कोशिश में योगेंद्र सिर्फ प्रेस कांफ्रेंस के दावों तक रह जाएंगे या फिर वाकई धारा 10 और आवारा कुत्तों के मामले पर जनता से जुड़े कुछ ठोस रचनात्मक कार्य करने में सफल रहेंगे यह आने वाले दिनों में होने व्काले चुनावो में दिखाई देगा और इसी के साथ यह भी तय होगा कि क्या फोनरवा में फिर से शहरी पृष्ठभूमि का कोई नेता काबिज होगा या फिर विकल्प और राजनैतिक सरपरस्ती के आभाव में फिर से काम ना करने जैसे आरोपों के बाबजूद ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले योगेंद्र शर्मा ही शहरी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते रहेंगे ।

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