प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान के बावजूद कचरा यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में खुले में फेंका जा हैं। इसका कारण यमुना प्राधिकरण के सीईओ बदलने के बाद प्राधिकरण की लापरवाही और दनकौर नगर पंचायत की मनमानी है। नगर पंचायत की जनसंख्या 18 हजार तक पहुंच चुकी है, फिर भी कूड़ा निस्तारण की ठोस व्यवस्था का न होना न केवल स्वच्छता अभियान पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि स्थानीय निवासियों पर भी भारी पड़ रहा है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि दनकौर का कूड़ा यमुना प्राधिकरण क्षेत्र की जमीन पर फेंका जा रहा है। नगर पंचायत आगोल इकाई कचरा एकत्र करने के लिए चार डोर टू डोर गाड़ियाँ, एक मैजिक प्रेशर और दो बड़े एवं छोटे ट्रैक्टरों का इस्तेमाल कर रही है। हालांकि, इसके बावजूद समस्या का समाधान नहीं हो सका है। पिछले कई वर्षों में नगर पंचायत कार्यालय के निकट तीन बीघा जमीन पर कचरा फेंका गया, लेकिन स्थानीय निवासियों के विरोध के बाद यह प्रथा सालारपुर अंडरपास के आसपास के वन विभाग की जमीन पर स्थानांतरित कर दी गई थी।
ध्यान देने वाली बात यह है कि वन विभाग के अधिकारियों ने नगर पंचायत को कचरा उसके क्षेत्र में न फेंकने की चेतावनी दी थी। इसके बाद, नगर पंचायत ने फिर से कचरा डालने की व्यवहारिकता को नजरअंदाज कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप शादी के गमलों में कचरा डालना शुरू कर दिया गया।
प्राधिकरण के पूर्व सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने पिछले साल यीडा की जमीन पर दनकौर का कूड़ा फेंकने के मामले में तत्कालीन अधिशासी अधिकारी और वर्तमान नगर पंचायत अध्यक्ष को फटकार लगाई थी। उन्होंने इन स्थानों को साफ कराने और कचरे के उचित निस्तारण के लिए तार फेंसिंग की व्यवस्था की थी। लेकिन हाल ही में सीईओ के पद से हटने के बाद, नगर पंचायत ने एक बार फिर यीडा की जमीन पर कूड़ा फेंकना शुरू कर दिया है।
अब सालारपुर के पास साइकिल ट्रैक के सहारे आगे बढ़ते हुए लोग घटते स्वास्थ्य और सफाई की स्थिति का सामना कर रहे हैं। इसके साथ ही, बेसहारा पशुओं के लिए पालीथिन खाने की वजह से बीमारियाँ फैलने की संभावना बढ़ रही है, जिससे स्थानीय निवासियों में चिंता और आक्रोश व्याप्त है।
स्थानीय निवासी रामेश्वर ने कहा, “नगर पंचायत की मनमानी के कारण हमें और हमारे पशुओं को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यह स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखाने वाली प्रवृत्ति है और हमें इसके खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है।”
कचरे के बोझ तले दनकौर की छवि धूमिल हो रही है और स्थानीय निवासियों की समस्याओं का निवारण न होने पर सवाल उठना लाजिमी है। नागरिकों का मानना है कि अगर तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। नगर पंचायत के नेतृत्व को यह सुनिश्चित करना होगा कि कचरा निस्तारण की ठोस योजना बनाई जाए, ताकि दनकौर के निवासियों को स्वस्थ और साफ वातावरण मिल सके।
यमुना प्राधिकरण के वर्तमान सीईओ राकेश कुमार सिंह को भी दनकौर नगर पंचायत के इन कृत्यों का संज्ञान लेना होगा और स्थानीय निवासियों की परेशानियों के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। स्थानीय समुदाय की स्वास्थ्य और सफाई की व्यवस्थाओं का संतुलन सुनिश्चित करना आवश्यक है, ताकि दनकौर के नागरिक इस समस्या से छुटकारा पा सकें और स्वस्थ जीवन जी सकें।