पूरे देश में आज दीपावली के पावन पर्व का उल्लास मनाया जा रहा है। घरों में दीयों की रोशनी से जगमगाहट है और चारों ओर खुशियों का माहौल है। ऐसे शुभ अवसर पर, बॉलीवुड जगत से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है। जाने-माने और अपनी बेजोड़ हास्य शैली के लिए पहचाने जाने वाले अभिनेता असरानी का 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, असरानी पिछले काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे और अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। पिछले पांच दिनों से वे अस्पताल में भर्ती थे। बताया गया है कि वे फेफड़ों की समस्या से जूझ रहे थे, जिसके कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आज शाम करीब 4 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से फिल्म उद्योग और उनके प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गई है।

जयपुर से बॉलीवुड तक का सफर: एक हास्य सम्राट का देहांत
असरानी का जन्म 1 जनवरी 1941 को राजस्थान की राजधानी जयपुर में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा जयपुर के प्रतिष्ठित सेंट जेवियर्स स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने राजस्थान कॉलेज से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की। अभिनय के प्रति उनके जुनून ने उन्हें मायानगरी मुंबई की ओर खींचा।
साल 1967 में फिल्म ‘हरे कांच की चूड़ियां’ से उन्होंने बॉलीवुड में अपने अभिनय करियर की शुरुआत की। इसके बाद, उन्होंने अनगिनत फिल्मों में काम किया और अपनी अनूठी हास्य टाइमिंग, स्वाभाविक अभिनय और यादगार किरदारों से दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई। ‘शोले’ में अपने ‘चुनमुन’ के किरदार से लेकर ‘चुपके चुपके’ और ‘अंगूर’ जैसी फिल्मों में उनकी कॉमिक भूमिकाएं आज भी दर्शकों को गुदगुदाती हैं। उन्होंने गंभीर किरदारों में भी अपनी छाप छोड़ी, लेकिन उन्हें मुख्य रूप से हास्य अभिनेता के तौर पर ही जाना गया।

करियर की ऊंचाइयों पर असरानी
असरानी ने अपने लंबे करियर में 70 और 80 के दशक में हिंदी सिनेमा पर राज किया। उन्होंने लगभग हर बड़े स्टार के साथ काम किया और अपनी हर भूमिका को यादगार बनाया। उनकी संवाद अदायगी और शारीरिक हास्य दर्शकों को हमेशा लुभाता रहा। कई फिल्मों में तो उनके छोटे से किरदार भी फिल्म की जान बन जाते थे। उन्होंने न केवल हिंदी सिनेमा में बल्कि कई क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों में भी काम किया।