उत्तर प्रदेश के मेरठ में ट्रैफिक नियमों को सख्ती से लागू करने वाले ट्रैफिक इंस्पेक्टर विनय शाही को शुक्रवार को एक विवाद के चलते अपनी ड्यूटी निभाने की कीमत चुकानी पड़ी। रेलवे रोड चौराहे पर हुई कहासुनी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें इंस्पेक्टर शाही ने स्थानीय भाजपा पार्षद अरुण मचल से तीखी बातचीत की।
इस घटना का आरंभ उस समय हुआ जब इंस्पेक्टर शाही वाहनों की चेकिंग कर रहे थे। उन्होंने एक दोपहिया वाहन को रोका, जिस पर जातिगत स्लोगन लिखा हुआ था। नियमों के अनुसार, उन्होंने वाहन चालक का चालान काट दिया। यह कदम फोन पर नाराज हुए चालक ने तुरंत भाजपा पार्षद अरुण मचल को मौके पर बुला लिया। जब पार्षद पहुंचे, तो वे खुद भी बिना हेलमेट के थे। इस पर विनय शाही ने पार्षद को भी नियमों का पालन करते हुए चालान थमाया।
विवाद इस समय और बढ़ गया जब पार्षद ने इंस्पेक्टर का नाम लेते हुए उन्हें “यार” कहा और यह पूछ लिया कि क्या वो भाजपा कार्यकर्ताओं से नाराज हैं। इस पर इंस्पेक्टर ने स्पष्टता से जवाब दिया, “मैं तुम्हारा यार नहीं, सरकार की नौकरी करता हूं।” ये वाक्य सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और विवाद ने तूल पकड़ लिया।
इस पूरे घटनाक्रम ने स्थानीय राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। कुछ लोगों का मानना है कि ट्रैफिक नियमों का सही पालन करना महत्वपूर्ण है, जबकि अन्य अधिकारियों के प्रति इस तरह के व्यवहार को गलत ठहरा रहे हैं। सामाजिक मीडिया पर हुई बहस ने जनमत को दो हिस्सों में बांट दिया है।
विनय शाही के अनुसार, “मैंने केवल अपनी जिम्मेदारी निभाई है। मेरा काम नियमों को लागू करना है, चाहे वह किसी भी पार्टी या व्यक्ति से संबंधित हो।” इस घटना के बाद से उनकी ट्रैफिक ड्यूटी प्रभावित हुई है, और उन्हें अस्थायी रूप से पद से हटा दिया गया है।
इस विवाद ने यह मुद्दा उठाया है कि क्या सरकारी कर्मचारियों को राजनीति से प्रभावित होकर या किसी ठेकेदार से डरे बिना अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। यह घटना एक कड़े संदेश को भी व्यक्त करती है कि जब बात नियमों की आती है, तो सबको बराबरी से देखा जाना चाहिए।