देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही भारत को डिजिटल इंडिया से विश्व गुरु बनाने के प्रयास में लगे हो किंतु ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सारे प्रयास को हमारे ही देश के सरकारी विभाग पलीता लगाने में लगे हुए है । ताजा मामला नोएडा प्राधिकरण के हेल्थ विभाग का है, जहां इन दोनों सिंगल उसे डस्टबिन प्लास्टिक के उपयोग न करने को लेकर पूरे नोएडा में मुहिम चलाई जा रही है। जानकारी के अनुसार पूरे नोएडा में लगातार ऐसे प्लास्टिक के उपयोग करने वाले दुकानदारों पर अर्थ दंड लगाया जा रहा है किंतु इस अर्थ दंड के तरीके पर लोगों ने आपत्ति दर्ज की है ।
मामला 10 अक्टूबर को सेक्टर 62 के एक दुकानदार पर अर्थ दंड लगाने के साथ शुरू हुआ जब प्राधिकरण के हेल्थ टीम ने अमित सिंह नाम के एक दुकानदार को सिंगल उसे प्लास्टिक के कारण चालान काटा । इसके बाद इस दुकानदार ने सोशल मीडिया पर इस स्लिप को डालते हुए पूछा कि आखिर पर्ची पर लिखे अर्थ दंड को वह कहां जमा करें
रोचक तथ्य ये है कि नोएडा अथॉरिटी द्वारा चालान काट कर दी गई पर्ची किसी रामलीला कमेटी के चंदे काटने वाली पर्ची से ज्यादा लग नहीं थी। इस पर संबंधित विभाग की ओर उसके अकाउंट की कोई स्पस्ट जानकारी नहीं थी, जिसकी नकली कापी कोई भी आसानी से बना सकता है, ये चालान भी असली है इसे चेक करने का भी कोई विवरण नहीं था। साथ ही इस पर काटे गए चालान का शुल्क जमा करने के लिए कोई कर कोड स्कैन के लिए उपलब्ध नहीं था। रोचक तथ्य यह है कि सिवाय एक सीरियल नंबर के इस पूरे स्लिप पर ऐसी कोई जानकारी नहीं जिससे चालान का दंड भरने के बाद इस दुकानदार को उसकी रसीद जमा करने की संतुष्टि मिल सके ।
नोएडा में सिटीजन चार्टर का दावा करने वाले नोएडा प्राधिकरण के द्वारा इस तरीके से चालान काटे जाने को लेकर अब तमाम चर्चाएं हो रही है लोगों का कहना है डिजिटल इंडिया के दौर में जब सब कुछ ऑनलाइन हो रहा है तो इस कार्य के लिए प्राधिकरण ने अब तक कोई ठोस योजना क्यों नहीं बनाई आखिर क्यों चालान काटने और उसके अर्थदंड को ऑनलाइन पे करने की सुविधा प्राधिकरण ने अभी तक नहीं बनाई है ।
यधपि एनसीआर खबर से बातचीत में इस पुरे प्रकरण पर प्राधिकरण के ओएसडी इंदु प्रकाश सिंह ने इस पर अब जल्दी ही अपडेट का भरोसा दिया है किन्तु प्रश्न यह भी है कि डिजिटल इंडिया के इस दौर में कब जाकर उत्तर प्रदेश का शो विंडो कहे जाने वाला नोएडा प्राधिकरण इतना हाईटेक होगा कि सिविक समस्याओं के उल्लंघन पर लगाए अर्थदंड को भरने के लिए लोगों को अंग्रेजों के जमाने के बनाई गई उसे व्यवस्था से बाहर आकर उपयोग कर पाना संभव होगा । प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक भले ही डिजिटल इंडिया को लेकर कुछ भी कहते हैं, भले ही हमारे देश का यूपीआई पूरे विश्व में झंडेकर तरह मगर दिया तले अंधेरा वाली कहावत की तरह नोएडा प्राधिकरण उसे कब तक ऐसे ही चरितार्थ करता रहेगा।