सेंट्रल नोएडा जोन के थाना प्रभारी (एसएचओ) ध्रुवभूषण दूबे को बृहस्पतिवार को अचानक ‘लाइन हाजिर’ कर दिया गया। यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब बुधवार रात उन्होंने भाजपा के एक स्थानीय नेता के बेटे को हूटर लगी कार चलाने के आरोप में पकड़ा था। हालांकि, जहां एक ओर पुलिस कमिश्नरेट के अधिकारियों ने इस कार्रवाई को प्रशासनिक आवश्यकता और कार्य में लापरवाही से जुड़ा बताया है, वहीं स्थानीय पुलिस और राजनीतिक गलियारों में इस घटना को हूटर विवाद के बाद हुए कथित राजनीतिक दबाव का नतीजा माना जा रहा है।
बुधवार रात की घटना और टकराव
स्थानीय समाचार पत्र दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, पूरी घटना बुधवार देर रात की है। गौतमबुद्ध नगर भाजपा के जिला मंत्री प्रमोद बहल का पुत्र सेक्टर-71 स्थित बाबा बालकनाथ मंदिर के पास से अपनी कार से गुजर रहा था। इस दौरान पुलिस द्वारा नियमित वाहन चेकिंग चल रही थी।चेकिंग के दौरान जब हूटर की तेज आवाज सुनाई दी, तो पुलिस अधिकारी सक्रिय हो गए। चेकिंग टीम ने संबंधित कार को रोका, जिससे हूटर बरामद हुआ। पुलिस ने हूटर को कार से हटवा दिया और वाहन के साथ ही भाजपा नेता के बेटे को फेज-3 थाने ले जाया गया। जैसे ही यह सूचना स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं तक पहुंची, उन्होंने थाने पर संपर्क साधना शुरू कर दिया। बताया जाता है कि इस दौरान नेता पुत्र को पकड़े जाने और नियम अनुसार कार्रवाई करने को लेकर थाना प्रभारी ध्रुवभूषण दूबे की भाजपाइयों से तीखी नोकझोंक हुई। यह विवाद देर रात तक चला, जिसके बाद बृहस्पतिवार दोपहर तक थाना प्रभारी पर कार्रवाई की गाज गिर गई।

भाजपा नेता का पक्ष
इस पूरे घटनाक्रम पर गौतमबुद्ध नगर भाजपा के जिला मंत्री ने सार्वजनिक रूप से दावा किया कि उनके बेटे और कार को देर रात ही छोड़ दिया गया था। उन्होंने कहा कि मामला सामान्य नियम उल्लंघन का था और उसे सुलझा लिया गया था। हालांकि, उन्होंने इस बात पर कोई टिप्पणी नहीं की कि क्या उनके बेटे की गिरफ्तारी के बाद पुलिस और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच कोई बहस या दबाव बनाया गया था।
प्रशासनिक आवश्यकता बनाम राजनीतिक हस्तक्षेप
गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट के अधिकारियों ने हालांकि राजनीतिक हस्तक्षेप की बात को सिरे से खारिज किया है। कमिश्नरेट के उच्च अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि फेज तीन थाना प्रभारी ध्रुव भूषण दुबे को प्रशासनिक आवश्यकता और कार्य में लापरवाही बरतने के चलते ‘लाइन हाजिर’ किया गया है। इसका अर्थ है कि उन्हें फील्ड ड्यूटी से हटाकर पुलिस लाइंस में अटैच कर दिया गया है

नियमों के अनुसार, वीआईपी मूवमेंट या आपातकालीन सेवाओं (जैसे एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड) को छोड़कर निजी वाहनों में हूटर या सायरन का इस्तेमाल पूरी तरह प्रतिबंधित है। नोएडा पुलिस लगातार ऐसे वाहनों पर कार्रवाई कर रही है। ऐसे में, एक सत्तारूढ़ दल के नेता के बेटे पर कार्रवाई करना, चाहे वह यातायात नियम तोड़ने का मामला ही क्यों न हो, संवेदनशील माना जाता है।
आंतरिक पुलिस चर्चा: दारोगाओं की गलती का खामियाजा
पुलिस महकमे के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, दिनभर इस बात की भी चर्चा रही कि एसएचओ दूबे को शायद अपने अधीनस्थ कार्यरत नए दारोगाओं (सब-इंस्पेक्टरों) की लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ा है। पुलिस अधिकारियों के बीच यह बात सामने आई कि हाल ही में नियुक्त हुए कुछ जूनियर अधिकारियों द्वारा चेकिंग और कागजी कार्रवाई में हुई चूक के कारण उच्च अधिकारियों को जवाब देना पड़ा। ऐसे में, वरिष्ठ अधिकारी पर कार्रवाई करना प्रशासन के लिए एक आसान रास्ता बन गया।
यह घटना नोएडा में यातायात नियमों के पालन के दौरान पुलिस और राजनीतिक हस्तियों के बीच अक्सर देखने को मिलने वाले तनाव को उजागर करती है। यह सवाल बना हुआ है कि क्या यह कार्रवाई केवल प्रशासनिक मापदंडों पर आधारित थी, या फिर हूटर विवाद के बाद उठे राजनीतिक तूफान को शांत करने की मजबूरी।


