आशु भटनागर । त्रेता युग में श्री राम से बैर रखने वाले रावण के समूल सर्वनाश की कथा को इन दिनों देशभर में रामलीलाओं के माध्यम से दर्शाया जा रहा है । वाल्मीकि रामायण पर आधारित इन रामलीलाओ में दर्शाई गयी कथा हमें बताती है कि त्रेता युग में इसी ग्रेटर नोएडा में पैदा होने वाले कथित महाबली, स्वयंभू ज्ञानी, अहंकारी, बलात्कारी और राक्षसी सोच से आमजन के विरुद्ध कार्य करने वाला रावण पैदा हुआ था । अयोध्या के राजकुमार दशरथ पुत्र श्री राम ने जिसका कुल समेत अंत किया था।
भारतीय इतिहास में निर्गुण भक्ति के उपासक कबीर ने कहा कि इक लख पूत सवा लख नाती।
तिह रावन घर दिया न बाती॥ लंका सा कोट समुद्र सी खाई। तिह रावन घर खबरि न पाई। कहत कबीर सुनहु रे लोई
राम नाम बिन मुकुति न होई॥
अर्थात जिस रावण का लंका जैसा किला था, और समुद्र जैसी (उस किले की रक्षा के लिए बनी हुई) खाई थी, उस रावण के घर का आज निशान नहीं मिलता। जिस रावण के एक लाख पुत्र और सवा लाख पौत्र (बताए जाते हैं), उसके महलों में कहीं दीया-बाती जलता ना रहा। कबीर कहते हैं – सुनो, हे जगत के लोगो! प्रभु के नाम स्मरण के बिना जगत से मुक्ति सम्भव नहीं है। कबीर कहते हैं – केवल वही कबूल हैं, जिन्होंने राम जी को जान लिया है ।
फिर से उसी ग्रेटर नोएडा की धरती पर अपने व्याख्यानों में, राजनैतिक परिचर्चाओं में भारतीय भूमि में रचे बसे श्री राम के वजूद को लगातार चुनौती देकर अपनी राजनीति को चमकाने के लिए आतुर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता और गुर्जर समुदाय के स्वयंभू सबसे बड़े नेता राजकुमार भाटी इन दिनों बेहद परेशान है । श्री राम के विरोध करते-करते वह बीते दिनों इतना आगे निकल गए कि अब वह अपनी ही जाती समुदाय और अपनी ही राजनीतिक पार्टी में अकेले होते जा रहे हैं । दिन रात श्री राम की आलोचना करके श्री राम का नाम ले चर्चित होने वाले राजकुमार भाटी पहली बार एक टेलीविजन डिबेट में इस्लाम धर्म के पैगंबर को महापुरुष बताने से उपजे विवाद के बाद लगातार न सिर्फ विवादों में है बल्कि सब तरफ से आलोचनाओं के घेरे में है ।
चहुं और आलोचनाओं और विरोध से व्यथित राजकुमार भाटी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि एक टीवी डिबेट में मोहम्मद साहब के बारे में मेरे द्वारा कही गई बातों के कुछ हिस्से को वायरल करके कुछ लोग सोशल मीडिया पर मेरे लिए लगातार गाली बक रहे हैं । इनमें कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें मैं व्यक्तिगत तौर पर जानता हूं और अब तक उनके बारे में पॉजिटिव राय रखता था ।
यद्यपि राजकुमार भाटी के इस पोस्ट पर भी लोग उनके साथ सहानभूति के बजाय उनको उनके पथभ्रष्ट होने पर दर्पण दिखा रहे है। सोशल मीडिया पर गुर्जर समुदाय तो खुल कर उनको मौकापरस्त और समाज का अपनी राजनीति के लिए उपयोग करने वाला तक कह रहा है तो हिंदू समाज से उनके लिए भगवान श्री राम को लेकर की जा रही अनर्गल बातों पर भी विरोध जारी है ।
स्वयं को नास्तिक बताने वाले राजकुमार भाटी गुर्जर समुदाय के नेता होने का भी दम भरते हैं । किन्तु कथित तोर पर गुर्जरों की राजधानी कहे जाने वाले इसी ग्रेटर नोएडा की दादरी विधानसभा सीट पर वह कभी जीत नहीं पाए है। कहा जाता है कि इसी जीत की तड़प ने उनको वह सारे कृत्य करने पर मजबूर कर दिया जिसने उनको न सिर्फ श्री राम के अंतहीन विरोध तक पहुंचा दिया है बल्कि अब वह अपनी ही गुर्जर जाति के साथ साथ अपनी पार्टी के भी निशाने पर आ गए है ।
गुर्जर समाज में उनके पुराने इंटरव्यू कि वह कटिंग्स निकल जा रही हैं जिसमें उन्होंने गुर्जर समाज के भाटी समुदाय को की उत्पत्ति को लेकर विवादित बातें कहीं है । इसके बाद गुर्जर समुदाय में निरंतर विरोध हो रहा है और गुर्जर समुदाय को लेकर राजनीतिक मठाधीशी का उनका दंभ फिलहाल उल्टा पड़ गया है ।
इसके साथ ही गुर्जर समुदाय के नाम पर गुर्जर चौपाल को लेकर भी राजकुमार भाटी अपनी ही पार्टी अकेले पड़ गए हैं । कहा जा रहा है गुर्जर चौपाल की आड़ में राजकुमार भाटी ने समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव को जाने अनजाने चुनौती दे दी है । इसके बाद अखिलेश यादव ने इस बात को बेहद गंभीरता से लेते हुए दादरी विधानसभा से राजकुमार भाटी के टिकट की ही कहानी समाप्त कर दी। पार्टी सूत्रों की माने तो गुर्जर चौपाल से पश्चिम यूपी में राजनीति साधने के खेल में राजकुमार भाटी की प्रमुख भूमिका थी । अखिलेश यादव ने भी इसके लिए अपनी सहमति भी दी, किंतु आगे आने वाले कार्यक्रमों में यह देखा गया कि राजकुमार भाटी ऐसी चौपालो में अतिथि तो बने किंतु इन चौपाल में ना तो समाजवादी पार्टी के झंडे दिखाई दे रहे थे ना ही पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव के पोस्टर दिखाई दे रहे थे । पार्टी ने इसको धीरे-धीरे गंभीरता से लिया और पार्टी में राजकुमार भाटी किनारे होने लगे ।
पार्टी में किनारे होते राजकुमार भाटी का कद किस तरीके से कम होता जा रहा है उसका एक उदाहरण गौतम बुध नगर में नोएडा सीट से समाजवादी पार्टी के नेता गौरव सिंघल द्वारा मंगलवार को जारी एक वीडियो से जारी हुआ जिसमें गौरव सिंघल ने हिंदू विरोधी बयानों के लिए राजकुमार भाटी को न सिर्फ लताड़ा है बल्कि उन्हें 2022 के चुनाव के समय स्वामी प्रसाद मौर्य की तरह समाजवादी पार्टी के नुकसान पहुंचाने की सोची समझी साजिश करार करने वाला बताया है । जिले में पार्टी के ही एक नेता द्वारा विरोध किए जाने से यह माना जा रहा है कि इस पूरे घटनाक्रम को अखिलेश यादव का मौन समर्थन है आपको बता दें कि गौरव सिंघल बीते सप्ताह सुधीर चौहान के पार्टी में शामिल होने के कार्यक्रम के दौरान लखनऊ में राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिले भी थे ।
समाजवादी पार्टी के नेता गौरव सिंघल ने लगातार हिन्दू विरोधी बयानों पर राजकुमार भाटी को दी सलाह कि कोई भी ऐसा बयान न दें जिससे की पार्टी को 2027 के विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़े #NCRKhabar @samajwadiparty pic.twitter.com/dq21Z7t4O0
— NCRKHABAR (@NCRKHABAR) October 1, 2025
इसके साथ ही हाई कोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा जातीय रैलियां और सभाओं पर रोक के बाद राजकुमार भाटी के हाथ से वह आखरी वार भी निष्फल होने जा रहा है जिसके बलबूते उन्होंने गुर्जर चौपाल की योजना बनाई थी और नवंबर में दादरी में 2 लाख से अधिक गुर्जरों की एक जनसभा की योजना से अपने राजनीतिक वजूद को खड़ा करने की योजना बनाई थी । किन्तु श्री राम से बैर के कारण हिन्दू समाज के विरोध के साथ साथ अब अपनी पार्टी में बड़ते विरोध एवं अपनी जाति में हो रहे विरोध के बाद राजकुमार भाटी का ये कहना कि “मुझे यह भी पता चला है कि बीजेपी आईटी सेल ने नोएडा में गुर्जर युवाओं की एक मीटिंग बुलाकर निर्देश दिया है कि सोशल मीडिया पर इस क्लिप को ज्यादा से ज्यादा चलाकर राजकुमार भाटी को बदनाम करिए”।” दर्शाता है कि फिलहाल भगवान् श्री राम का विरोध कर राजनीति साधने में विफल राजकुमार भाटी फिलहाल विक्टिम कार्ड खेल कर अपनी आखरी राजनैतिक लड़ाई लड़ने का प्रयास कर रहे हैं पर क्या वो इसमें सफल हो पायेंगे या फिर राजकुमार भाटी की विघटनकारी, हिन्दू विरोधी राजनीति का अंत आरम्भ हो चूका है ये समय ही बताएगा