भारत निर्वाचन आयोग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सोमवार को दूसरे चरण के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की घोषणा की है। इस चरण में अंडमान और निकोबार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुदुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे 12 राज्यों में मतदाता सूची की विशेष गहन समीक्षा की जाएगी।
एसआईआर का उद्देश्य
यह विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) नागरिकों की मतदाता सूची की गुणवत्ता को सुधारने और उसे अद्यतन करने के लिए आवश्यक है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, मतदान के लिए केवल वही नागरिक पात्र होंगे जो कम से कम 18 वर्ष के हैं, अपने निर्वाचन क्षेत्र के स्थायी निवासी हैं और उन्हें किसी भी कानून के तहत अयोग्य नहीं माना गया है।

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि हर चुनाव से पहले या आवश्यकता के अनुसार मतदाता सूची को संशोधित किया जाना आवश्यक है। पिछले वर्षों में कई राजनीतिक दलों ने मतदाता सूची की गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं। इतना ही नहीं, एसआईआर का यह प्रयास पिछले 21 वर्षों में किया जा रहा है, क्योंकि अंतिम बार इसे 2002 से 2004 के बीच किया गया था।
किस प्रकार की बैठकें की गईं?
चुनाव आयोग ने एसआईआर लागू करने के लिए राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) के साथ पहले ही दो महत्वपूर्ण बैठकें की हैं। ये बैठकें राज्य स्तर पर आवश्यक रूपरेखा तय करने के लिए आयोजित की गईं, जिससे एसआईआर के दौरान सभी प्रक्रियाओं का सुनिश्चित कार्यान्वयन हो सके। आयोग के अनुसार, कई सीईओ ने अपनी पिछले एसआईआर के संबंध में अद्यतन मतदाता सूचियाँ अपनी वेबसाइटों पर उपलब्ध करा दी हैं, जिससे मतदाता अपनी जानकारी की पुष्टि कर सकें।

मतदाता सूची की तैयारी
एसआईआर के दूसरे चरण का समापन 7 फरवरी 2026 को होने की योजना है, जब इन 12 राज्यों में नई मतदाता सूची जारी की जाएगी। मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि जिन राज्यों में एसआईआर होने जा रहा है, उनकी मौजूदा मतदाता सूचियाँ आज रात 12 बजे से फ्रीज कर दी जाएंगी। इसके बाद, मतदाताओं को गणना प्रपत्र वितरित किए जाएंगे जो वर्तमान मतदाता सूची के सभी आवश्यक विवरणों को दर्शाएंगे।
गणना प्रपत्रों के माध्यम से सभी मौजूदा मतदाता यह सुनिश्चित कर सकेंगे कि उनका नाम पूर्व की मतदाता सूची में है या नहीं। यदि नाम सूची में है, तो उन्हें किसी अतिरिक्त दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होगी। वहीं यदि कोई मतदाता पाता है कि उनका नाम नहीं है, लेकिन उनके माता-पिता का नाम सूची में है, तो भी उन्हें कोई अतिरिक्त दस्तावेज प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी।
एसआईआर की महत्वपूर्ण जानकारी
आयुक्त ने कहा, “एसआईआर का यह नौवां अभ्यास है जो स्वतंत्रता के बाद से हो रहा है। इसमें यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी पात्र मतदाता छूट न जाए और कोई भी अपात्र मतदाता सूची में शामिल न हो।” चुनाव आयोग ने यह सुनिश्चित करने की पहल की है कि मतदाता सूची की प्रक्रिया में अधिकतम पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे।
पिछले एसआईआर के अनुभव
1951 से 2004 के बीच कुल आठ एसआईआर किए गए हैं। पिछले एसआईआर के अनुभव मिले सबक ने आयोग को इस बार के विशेष गहन पुनरीक्षण में और अधिक चिंतन करने पर मजबूर किया है। आयोग का मानना है कि मतदाता सूची को ठीक से अद्यतन करने के लिए यह प्रयास अनिवार्य है, विशेषकर पिछले दो दशकों में जनसंख्या विस्फोट और डिजिटलीकरण के कारण।
इस बार मतदाता सूची की गुणवत्ता पर ध्यान देने के साथ-साथ, चुनाव आयोग ने यह भी सुनिश्चित किया है कि तकनीकी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए प्रक्रियाओं का विशेषज्ञ दृष्टिकोण अपनाया जाए।


