रत्नज्योति दत्ता । सीबैलेंस सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड (cBalance Solutions Pvt. Ltd.) के एक नए आकलन में खुलासा हुआ है कि भारत की शीर्ष आईटी कंपनियों को अपने व्यावसायिक यात्रा से जुड़े उत्सर्जन घटाने के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।
वित्त वर्ष 2019-20 से 2023-24 तक की अवधि को कवर करने वाले इस अध्ययन में आठ प्रमुख वैश्विक भारतीय आईटी कंपनियों का मूल्यांकन किया गया। इनमें से पाँच — टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), इंफोसिस, टेक महिंद्रा, एक्सेंचर और कॉग्निजेंट — को अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं के अनुरूप होने के लिए और सशक्त कदम उठाने की आवश्यकता बताई गई।

टीसीएस और कॉग्निजेंट ने वित्त वर्ष 2023-24 में व्यावसायिक यात्रा से होने वाले उत्सर्जन में पिछले वर्ष की तुलना में 30% की वृद्धि दर्ज की, जो कोविड-पूर्व स्तरों के करीब पहुंच गई। इंफोसिस, टेक महिंद्रा और एक्सेंचर ने भी उत्सर्जन में बढ़ती प्रवृत्ति दिखाई, हालांकि उन्होंने अब तक महामारी-पूर्व स्तर को पार नहीं किया है।
इसके विपरीत, विप्रो टेक्नोलॉजीज, थॉटवर्क्स और एचसीएल टेक ने उल्लेखनीय प्रगति दिखाई। विप्रो ने अपने 2019-20 के आधार वर्ष की तुलना में यात्रा-संबंधी उत्सर्जन में 71% की कमी हासिल की, थॉटवर्क्स ने 63% और एचसीएल टेक ने 39% की कमी दर्ज की। एलटीआईमाइंडट्री (LTIMindtree) ने ट्रैवल स्मार्ट रैंकिंग (Travel Smart Ranking by Transport & Environment) के तहत अपने लक्ष्यों को भी पार कर लिया।

रिपोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि हवाई यात्रा जलवायु प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत बनी हुई है, और आईटी कंपनियों को “फेयर ट्रैवल” नीतियों को अपनाना चाहिए — जैसे कि इकोनॉमी क्लास में यात्रा को बढ़ावा देना, बिना रुके उड़ानें चुनना, और ट्रेन या बस से यात्रा को प्रोत्साहित करना। रिपोर्ट ने कंपनियों से यह भी आग्रह किया कि वे कार्बन प्राइसिंग और कम-कार्बन यात्रा विकल्पों से जुड़े कर्मचारी प्रोत्साहन को अपने सिस्टम में शामिल करें।
नीतिनिर्माताओं के लिए रिपोर्ट ने सुझाव दिया कि हवाई अड्डे के विस्तार परियोजनाओं के लिए पर्यावरणीय मूल्यांकन को मजबूत किया जाए, विमानन उत्सर्जन पर सीमा (कैप) लगाई जाए, कार्बन टैक्स लागू किया जाए, और हाई-स्पीड रेल में निवेश बढ़ाया जाए।
सीबैलेंस सॉल्यूशंस अपने फेयरट्रैवल प्रोग्राम के माध्यम से आईटी कंपनियों के साथ मिलकर साक्ष्य-आधारित और सतत यात्रा नीतियां विकसित करने तथा भारत में अधिक न्यायसंगत और जलवायु-संतुलित गतिशीलता प्रणाली बनाने के प्रयास जारी रखे हुए है।


