Delhi: सरकार का नया पावर सेंटर बनेंगे टि्वन टावर, आईटीओ के पास नया सचिवालय बनाने के लिए बनाए जाएंगे ये टावर

NCR Khabar News Desk
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दिल्ली सरकार ने आईटीओ क्षेत्र में नए सचिवालय का निर्माण शुरू करने की कवायद तेज कर दी है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने इस क्षेत्र में दो ऊंचे ट्विन टावर बनाने की योजना बनाई है, जिससे राजधानी की प्रशासनिक पहचान को नयी दिशा मिलेगी।

इस परियोजना का उद्देश्य सभी प्रमुख विभागों को एक ही स्थान पर लाना है, जिससे सरकारी कामकाज में देरी और समन्वय की कमी को समाप्त किया जा सके। वर्तमान में, दिल्ली सचिवालय, सिविल लाइंस, और आईपी एस्टेट जैसे अलग-अलग स्थानों पर बिखरे कार्यालयों के कारण कार्यों में रुकावट महसूस होती है। नया सचिवालय, सीएम, मंत्री परिषद, और मुख्य सचिव सहित सभी प्रमुख विभागों को एक ही परिसर में लाने का लक्ष्य रखता है।

इस नए सचिवालय के निर्माण के लिए 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत का अनुमान लगाया गया है। यह परियोजना लगभग 53,603 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली होगी। दोनों टावर एक-दूसरे से स्काई ब्रिज या भूमिगत मार्ग के माध्यम से जुड़े होंगे, जिससे विभागों के बीच सुगम आवाजाही सुनिश्चित की जा सकेगी। इनमें ग्रीन बिल्डिंग टेक्नोलॉजी, ऊर्जा दक्ष डिजाइन, उन्नत फायर सेफ्टी सिस्टम और एक केंद्रीयकृत डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी आधुनिक सुविधाएं शामिल होंगी।

पीडब्ल्यूडी अधिकारियों का कहना है कि आईटीओ का चयन स्थान की दृष्टि से उपयुक्त है, विशेष रूप से यमुना नदी के किनारे और विकास मार्ग के निकटता के कारण। नई इमारतो के निर्माण से न केवल आईटीओ क्षेत्र को आधुनिक रूप में ढाला जाएगा, बल्कि आसपास के क्षेत्रों जैसे प्रगति मैदान, मिंटो रोड, और मंडी हाउस में यातायात एवं सुविधाओं का पुनर्गठन भी किया जा सकेगा।

परियोजना के लिए कंसल्टेंट नियुक्त करने हेतु 52 करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा गया है, जो विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करेगा। इसमें टावरों की ऊंचाई, मंजिलों की संख्या, डिजाइन, सुरक्षा, और यातायात व्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार किया जाएगा। प्रस्ताव को जल्द ही लोक निर्माण मंत्री की स्वीकृति के लिए पेश किया जाएगा, और कैबिनेट से मंजूरी मिलने पर कार्य प्रारंभ होने की संभावना है।

हालांकि आईटीओ को मुख्य स्थान के रूप में चुना गया है, लेकिन पीडब्ल्यूडी ने कुछ अन्य खाली सरकारी भूखंडों को भी विकल्प के तौर पर चिन्हित किया है। इन सभी पहलुओं का मूल्यांकन मंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

यह परियोजना, जिसमें करीब 48 महीनों का समय लगेगा, आईटीओ में एक नई शुरुआत के रूप में दिखती है जो दिल्ली के प्रशासनिक ढांचे को सुगम और समस्त बनाएगी।

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