भदोही, उत्तर प्रदेश – शनिवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भदोही में 49वें अंतरराष्ट्रीय कालीन मेले और चौथे कार्पेट एक्सपो का उद्घाटन किया। इस समारोह में मुख्यमंत्री ने उपस्थित कालीन उद्यमियों और निर्यातकों से संवाद करते हुए स्पष्ट किया कि अमेरिकी टैरिफ को लेकर चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि यह समय नए अवसरों के द्वार खोलने का है और हमें चुनौतियों से निपटने में आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “जब भी चुनौतियाँ आती हैं, वे अपने साथ अवसर भी लाती हैं। अमेरिका का टैरिफ सिर्फ एक देश का निर्णय है, और हम इससे नहीं डरना चाहिए।” उन्होंने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार अन्य देशों, जैसे यूएई और यूके के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की दिशा में तेजी से काम कर रही है, जो कि आने वाले समय में हमारे उद्योगों के लिए नए बाजारों का खुलासा करेंगे।
योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है, जो अमेरिकी टैरिफ से उत्पन्न हालात पर निरंतर कार्य करेगी। उन्होंने भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी के कालीन क्लस्टर्स को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई ऊर्जा मिलने का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि 11 वर्ष पहले ये उद्योग बंदी के कगार पर था, लेकिन अब यह फिर से जीवंत हो उठा है।
कालीन उद्योग का सामाजिक महत्व
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि यूपी सरकार ने कार्पेट उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए एमएसएमई और ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रॉडक्ट’ (ODOP) योजनाओं के तहत विशिष्ट उद्योगों का ध्यान रखा है। उन्होंने भदोही के कालीन, मु्रादाबाद के पीतल, फिरोजाबाद के ग्लास और वाराणसी के सिल्क को नई पहचान दिलाने पर जोर दिया।
उन्होंने यह भी बताया कि 2017 में ODOP योजना की शुरुआत के समय किसी ने नहीं सोचा था कि उत्तर प्रदेश दो लाख करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात करेगा, लेकिन आज यह वास्तविकता बन चुका है। उन्होंने बताया कि कालीन उद्योग सिर्फ व्यापार नहीं है; यह हमारे कारीगरों और हस्तशिल्पियों की जीवंत परंपरा है। वर्तमान में यह उद्योग लगभग 25 से 30 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता है, और हर साल करीब 17 हजार करोड़ रुपये का निर्यात करता है।
मुख्यमंत्री ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण पर भी जोर दिया, कहा कि यह उद्योग महिलाओं के लिए स्वावलंबन का सबसे बड़ा माध्यम बन चुका है। उन्होंने सरकार के प्रयासों की चर्चा करते हुए बताया कि उनका लक्ष्य है कि अधिक से अधिक महिलाओं को इस उद्योग से जोड़ा जाए, ताकि वे घर पर रहकर आर्थिक आत्मनिर्भरता प्राप्त कर सकें।
भदोही की वैश्विक पहचान
भदोही के महत्व को उजागर करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि इसे छोटी जगह समझने की गलती ना करें। भदोही, प्रदेश और देश की आर्थिक ताकत का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले ये उद्योग लगभग मृतप्राय हो चुका था, लेकिन अब यह उत्तर प्रदेश की पहचान बन चुका है।
उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री ने दीपावली के अवसर पर प्रदेश के सभी 75 जिलों में आयोजित स्वदेशी मेलों का भी उल्लेख किया, जिसमें भदोही की कालीनों के विशेष स्टॉल लगाए गए हैं।
भदोही के कालीन उद्योग की धारणा और इसके विकास की दिशा में मुख्यमंत्री की बातें वास्तव में स्थानीय आबादी और उद्यमियों के लिए आशा का संदेश हैं। सभी उपस्थित लोगों ने मुख्यमंत्री की बातों का स्वागत किया और इसके साथ ही नई संभावनाओं की ओर बढ़ने की प्रतिबद्धता दिखाई।
भदोही में आयोजित यह अंतरराष्ट्रीय कालीन मेला न केवल स्थानीय उद्यमियों के लिए बल्कि सभी कारीगरों और निर्यातकों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो उन्हें अपने उत्पादों को एक विस्तृत बाजार में प्रदर्शित करने का मंच प्रदान करता है।
भदोही में इस तरह के आयोजनों की लगातार बढ़ती लोकप्रियता यह दर्शाती है कि ये न केवल स्थानीय विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे राज्य की आर्थिक नीति में भी बदलाव ला सकते हैं।