राजनीति के गलियारों में इन दोनों दीपावली से संबंधित किस्से ही हैं ऐसे में पहला किस्सा जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह के दीपावली शुभकामनाओं से चर्चा में आया है, लोगों का कहना है की 10 वर्ष बाद भी जेवर विधायक कांग्रेस पृष्ठभूमि के विचारों को छोड़ नहीं पा रहे हैं और पूरी तरीके से भाजपा या संघ के रंग में रंग नहीं पा रहे हैं। उसके कारण पर चर्चा से पहले समाचार जानते है। जानकारी के अनुसार 27 के चुनवी तैयारी में लग चुके जेवर विधायक ने दीपावली पर राष्ट्रीय अखबारों में बड़ा-बड़ा फुल पेज विज्ञापन दीपावली की शुभकामनाओं के नाम पर दिया है । इस शुभकामना विज्ञापन में जेवर विधायक देश के धर्मनिरपेक्ष नेताओं की तरह माता लक्ष्मी और भगवान गणेश के चित्र लगाना भूल गए या फिर कुछ लोगों का दावा है कि ऐसा जानबूझकर किया गया है। आपको बता दें ऐसे विज्ञापनों पर भाजपा का आईंटी सेल विपक्ष के नेताओं को हिन्दू विरोधी साबित कर देता है ।अब मुद्दे पर आते हैं दरअसल चर्चा यह है कि धीरेंद्र सिंह भले ही भाजपा की टिकट पर दो बार विधायक बन चुके हैं और तीसरी बार टिकट के लिए लाइन में है। विरोधियों का दावा है कि इस सबके बावजूद वह अभी तक अपने पुराने कांग्रेस से विचारों को से मुक्त नहीं हो पाए है। विरोधियो का तो यह दावा है कि जातीय समीकरण में बाबा के बेहद करीबी होने का दावा करने वाले विधायक जी 27 के चुनावों की परिस्थितियों को तोल रहे हैं, ऐसे में किसी भी वजह से अगर परिस्थितियां विपरीत हो और किसी अन्य दल से चुनाव लड़ना पड़े तो उनके साथ लगा उनका मुस्लिम को वोटर नाराज ना हो इसलिए वह विज्ञापनों में ऐसे प्रतीकों से बच रहे है हालांकि ये सच है या नहीं ये हम भी नहीं जानते फिलहाल उनको दीपावली की शुभकामना ही दे सकते हैं।
राजनीति के गलियारों में दूसरा किस्सा दादरी से तीन चुनाव हार चुके समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी का है, पहले ही अखिलेश यादव द्वारा दादरी में उनके चुनाव ना लड़ने की घोषणा से नाराज राजकुमार भाटी इन दिनों फिर से बेहद व्यथित है । दरअसल भाटी यह कोशिश कर रहे थे कि अखिलेश यादव की घोषणा के बाबजूद किसी तरीके से उनका गुर्जर चौपाल का दांव चल जाए तो दादरी ना सही जेवर या गढ़ से उनको टिकट तुम मिल ही जाएगा। किंतु बीते दो महीने में उनके इन अरमानों पर भाजपा के गुर्जर नेता भारी पड़ गए । गुर्जर समाज के सहारे अपनी राजनीती क्ररने के बाबजूद कभी दादरी ना जीत पाने वाले राजकुमार भाटी को पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भाजपा से समर्थक गुर्जर समुदाय ने तमाम आरोप लगाए और उनको एक पार्टी का खिलौना तक बता दिया । इसके बाद अब उनके राजनीतिक कैरियर का भविष्य अनिश्चित होता दिखाई दे रहा है। कहां जा रहा है कि उन्होंने नवंबर में दादरी में ही एक बड़ी राजनीतिक रैली की घोषणा की थी किंतु ऐसे विरोध से अब वह भी असफल होने की ओर दिखाई दे रही है ऐसे में वो अब सोशल मीडिया पर लंबा चौड़ा पोस्ट लिखकर भाजपा के आईटी सेल और भाजपा समर्थक लोगों पर तमाम आरोप लगा रहे हैं और अपना आखिरी विक्टिम कार्ड खेलने की कोशिश कर रहे हैं । दीपावली पर इस विक्टिम कार्ड के परिणाम स्वरूप क्या वो अपनी राजनीति में वापसी कर सकेंगे या फिर पार्टी में उनका राजनीतिक भविष्य अंधकार की ओर चला जाएगा यह उनकी होने वाली रैली के आई भीड़ से स्पस्ट होगा।

राजनीति के गलियारों में अगला किस्सा नोएडा के एक ऐसे किसान नेता का है जिसकी महत्वाकांक्षाएं 2027 के चुनाव में लड़ येन केन प्रकारेण प्रकरण विधायक बनने की है। ऐसे में बीते दिनों किसान नेता एक मुस्लिम परोपकार की बदौलत लखनऊ जाकर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए और आते ही उन्होंने गढ़ से पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ने की घोषणा तक कर दी। यहां तक तो सब सही था किंतु अब समस्या दीपावली पर शुरू हुई जब हर साल नोएडा में दीपावली के शुभकामना संदेश लगाने वाले नेताजी इस बार अपना बोरिया बिस्तर उठाकर गढ़ चले गए । जिले में संदेश दिया गया कि 27 में नेताजी को गढ़ से चुनाव लड़ना है इसलिए अब फिलहाल नोएडा की जगह गढ़ की ही राजनीति की जाएगी और वही पर शुभकामना संदेश दिए जाएंगे। ऐसे में उनके समर्थक रहे किसान नेताओं में हलचल मच गई है उनको समझ नहीं आ रहा है कि वह भी नेताओं के साथ गढ़ चले जाएं या फिर नोएडा अथॉरिटी के खिलाफ चल रहे अपने आंदोलन एवं मुद्दों के लिए किसी अन्य किसान संगठन की राह पकड़ लें । ऐसे में चर्चा अब यही है कि ऐसी कार्यशैली नेताजी के लिए दीपावली पर राजनीतिक तौर पर उजाला लाने की जगह अंधकार न बन जाए और गढ़ और नोएडा के बीच में लटकने का ये प्रयास उनको त्रिशंकु को वाली स्थिति में ना बना दे ।
राजनीति के गलियारे में आखिरी किस्सा दादरी के एक किसान कथित किसान नेता और राजनेता का है जिन्होंने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एक अधिकारी पर ऐसे आरोप लगा दिए हैं जिनका कोई आधार नहीं दिखाई दे रहा है दरअसल ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एन जी रवि कुमार के निर्देश पर शहर को स्वच्छ रखने के लिए प्राधिकरण की QRT ( क्विक रेस्पॉन्स टीम ) टीम इन दिनों सड़कों पर कूड़ा डालने वाले लोगों के खिलाफ अभियान चलाए हुए है । इस टीम को प्राधिकरण के जीएम आर के भारती लीड कर रहे हैं बीते दो माह में इस टीम ने कई लोगों को कूड़ा डालते हुए पकड़ कर उन पर ₹50000 का अर्थदंड लगाया है यह अर्थदंड प्राधिकरण के ऑफिशियल अकाउंट में जमा होता है और उसकी रसीद के बाद ही सम्बन्धित वाहन या ट्रैक्टर ट्राली को छोड़ा जाता है । ऐसे ही एक प्रकरण में 16 अक्टूबर को भी कुछ वाहनों को जप्त किया गया इसके समर्थन में एक नेता जी उतर गए उन्होंने वायरल वीडियो में आर भारती पर ₹50000 अर्थदंड को रिश्वत लेने का आरोप लगाते हुए आंदोलन की चेतावनी दे दी । वह यही नहीं रुके उन्होंने आर के भारती का प्रोफाइल बदलते हुए उनका शहर में रेहडी पटरी हटवाने का जिम्मेदार बताया और इस कार्य को गलत बताया जबकि प्राधिकरण के सूत्रों के अनुसार अर्बन विभाग फिलहाल एक अन्य वरिष्ठ प्रबंधक सनी यादव के जिम्मे है उनका इस QRT टीम से कोई मतलब नहीं है । फिलहाल अधिकारी से संपर्क करने पर पता लगा कि नेताजी एक ट्रैक्टर को बिना अर्थदंड दिए छुड़ाना चाहते हैं इसलिए वह ऐसे कार्य कर रहे हैं किंतु प्राधिकरण अपनी नीतियों को लेकर सख्त है और सड़कों पर कूड़ा डालने वाले किसी भी व्यक्ति संगठन को ऐसे छोड़ने के मूड में नहीं है इसलिए उनकी इन बातों का प्राधिकरण फिलहाल संज्ञान नहीं लेने जा रहा है । अब देखना यह है कि दीपावली पर सफाई को प्रोत्साहित करने वाला समाज इस वायरल वीडियो पर नेताजी के साथ खड़ा होगा या फिर वह पूरे शहर को साफ रखने में काम कर रही इस टीम को समर्थन देगा ।