आशु भटनागर । उत्तर प्रदेश के शोविंडो कहे जाने वाले गौतम बुद्ध नगर यानी नोएडा के तीनों प्राधिकरणों नोएडा प्राधिकरण ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और यमुना विकास प्राधिकरण के अधिकृत और अधिसूचित क्षेत्र में नगर पंचायत और जिला पंचायत द्वारा भूमाफियाओं को नक्शा पास करने की जानकारी सामने आ रही है । यह सब बातें अभी तक चर्चाओं में थी किंतु क्या अब धीरे-धीरे राज खुलने लगे हैं।
जानकारी के अनुसार शनिवार को यमुना प्राधिकरण के सीईओ राकेश कुमार सिंह ने प्राधिकरण के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वह क्षेत्र में आ रही भूमि पर भूमाफियाओं द्वारा अतिक्रमण किए जाने की जांच करें । कदाचित सीईओ यमुना एक्सप्रेसवे के साथ साथ लगती हुई प्राधिकरण की मेजर 60 मीटर का परियोजना विभाग के अधिकारियों के साथ निरीक्षण करने गए थे, वापसी में सेक्टर 22 डी में चपारगढ़ गाँव में में हो रहे 30 मीटर रोड क्षेत्र वा ग्रीन बेल्ट पर अतिक्रमण व वहाँ चल रहे अवैध निर्माण पर असंतोष व्यक्त किया गया। सूत्रों की माने तो तभी यह भी जानकारी में आया है कि यमुना के अधिसूचित क्षेत्र में जिला पंचायत द्वारा कई जगह भूमाफियाओ को नक्शे पास कर दिए गए हैं जिसके बाद गौतम बुध नगर में यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरणों की अधिसूचित और अधिग्रहित जमीन पर नगर पंचायत और जिला पंचायत द्वारा नक्शे पास करने का जिन्न बाहर आने को आतुर है।
आपको बता दें गौतम बुध नगर के 80 गांव में अभी तक त्रि स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था कायम है । 2016 में अखिलेश यादव की सरकार ने इस जिले से के अधिकांश गांव से इस व्यवस्था को हटा दिया था किंतु बचे हुए गांव में इस व्यवस्था से अनेक नुकसान हो रहे हैं जानकारों की माने तो यह पंचायतें भूमाफियाओं को अवैध कालोनी, बिल्डिंग शोरूम बनाने के लिए नक्शे पास कर दे रही है । आपको जानकारी हैरानी होगी कि जिले में चल रही जिला पंचायत में मात्र पांच ही सदस्य हैं जिसमें एक सदस्य को जिला पंचायत अध्यक्ष घोषित कर दिया गया इसी तरह ग्राम/नगर पंचायत की स्थिति भी बेहद कमजोर है । दावा तो यहाँ तक है कि इन पंचायत के कर्मचारियों कि सैलरी निकाल पाना मुश्किल होता है ऐसे विकास कार्य तो संभव ही नहीं है तो प्रश्न ये है कि फिर ऐसी पंचायतो को सिर्फ राजनैतिक स्वार्थ के लिए रखना कहाँ तक सही है ।
दरअसल पंचायत के स्तर पर अवैध कॉलोनी बड़ी-बड़ी बिल्डिंग हो या शोरूमों के नक्शे पास करने के साथ समस्या यह है की इन पंचायत के पास ग्रामों की प्लानिंग के लिए कोई आंतरिक व्यवस्था नहीं होती है I जिला पंचायत स्तर पर भी कार्यालय में प्लानिंग के लिए कोई अधिकारी तक नहीं होता है तो ऐसे में ऐसे व्यवसायिक निर्माण को अनुमति देना न्याय परख नहीं है
दावा है पंचायते सिर्फ ग्रामीण परिवेश में सड़कों और सीवर के रखरखाव के लिए बनाई जाती हैं किंतु सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश
“जिसमें यह कहा गया कि वह ग्रामों में रहने वाले लोगों के निज उपयोग के लिए बनाए जा रहे छोटे मकान के नक्शे को अनुमति दे सकते हैं”
का भरपूर दुरुपयोग किया जा रहा है । दावा किया जा रहा हैं कि इसकी आड़ में कई अवैध कालोनियों को नक्शे पास कर दिए गए है। और इसमें सत्ता पक्ष के नेताओं के हितों को पूरी तरीके से साधा जा रहा है।
चर्चा है कि अगर प्रदेश के शो विंडो कहे जाने वाले औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के शहर गौतम बुद्ध नगर में अवैध कॉलोनी, बिल्डिंग और शोरूम को स्वयं किसी तरीके से सरकारी संरक्षण मिल रहा है तो भविष्य में इन प्राधिकरणों के लिए विकास करना संभव हो जाएगा जानकारों की मांने तो इसी क्षेत्र में आ रहे न्यू नोएडा के लिए तो जमीन बची ही नहीं है इसके मामले में भी कई अवैध कॉलोनीयों के नक्शे पास होने के समाचार हैं ।
ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है कि क्या इस क्षेत्र से पंचायत और जिला पंचायत को समाप्त कर देने के बाद ही विकास प्राधिकरणों की अधिसूचित और अधिग्रहण जमीन पर अवैध कब्जे कॉलोनी को रोका जा सकेगा या फिर सरकार एक तरफ विकास प्राधिकरण को भूमि देकर विकास की बातें करेगी वहीं दूसरी तरफ पंचायत और जिला पंचायत के नाम पर अवैध कॉलोनीयों को संरक्षण देने का काम करेगी ये भविष्य ही बताएगा ।