2030 राष्ट्रमंडल खेलों का भारत को मिला मेजबानी अधिकार: अहमदाबाद बनेगा खेलों का नया केंद्र

NCR Khabar Internet Desk
13 Min Read

भारत को 2030 में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी का ऐतिहासिक अधिकार मिल गया है, जो देश के खेल परिदृश्य और वैश्विक मंच पर इसकी बढ़ती स्थिति के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। गुजरात के अहमदाबाद शहर में इन प्रतिष्ठित खेलों का आयोजन किया जाएगा, जिसने अपनी अत्याधुनिक खेल अवसंरचना और महत्वाकांक्षी खेल परियोजनाओं के दम पर यह उपलब्धि हासिल की है। यह घोषणा ग्लासगो में बुधवार को हुई राष्ट्रमंडल खेल आमसभा की बैठक के दौरान हुई, जहां भारत की दावेदारी को आधिकारिक तौर पर सौंप दिया गया। 2010 में नई दिल्ली में इन खेलों की मेजबानी के बाद, यह 20 वर्षों में पहला अवसर होगा जब भारत एक बार फिर इस बहु-राष्ट्र खेल आयोजन का स्वागत करेगा।

वैश्विक अनुमोदन और एक नए युग की शुरुआत

भारत की मेजबानी की दावेदारी को राष्ट्रमंडल खेल महासभा में मौजूद 74 राष्ट्रमंडल सदस्य देशों और क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से अनुमोदित किया। यह व्यापक समर्थन भारत की क्षमता और खेलों को सफलतापूर्वक आयोजित करने की प्रतिबद्धता में वैश्विक विश्वास को दर्शाता है। कॉमनवेल्थ स्पोर्ट के अध्यक्ष डॉ. डोनाल्ड रुकारे ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए भारत को “राष्ट्रमंडल खेलों में पैमाना, युवा, महत्वाकांक्षा, समृद्ध संस्कृति और प्रासंगिकता” लाने वाला देश बताया। उन्होंने कहा, “यह राष्ट्रमंडल खेलों के लिए एक नए स्वर्ण युग की शुरुआत है।” डॉ. रुकारे ने यह भी उल्लेख किया कि 2034 और उसके बाद के खेलों की मेजबानी के लिए कई देशों की गहरी रुचि है, जो राष्ट्रमंडल खेलों के भविष्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रमंडल खेल अपनी अगली शताब्दी की शुरुआत “सकारात्मकता” के साथ कर रहे हैं, जिसमें भारत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

- Advertisement -
Ad image

यह अनुमोदन केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं थी, बल्कि राष्ट्रमंडल खेल आंदोलन के भीतर भारत के बढ़ते प्रभाव और उसकी संगठनात्मक क्षमताओं में वैश्विक विश्वास का प्रतिबिंब था। यह दर्शाता है कि भारत अब केवल एक प्रतिभागी देश नहीं है, बल्कि वैश्विक खेल आयोजनों को सफलतापूर्वक आयोजित करने में सक्षम एक महत्वपूर्ण हितधारक है। 2030 का संस्करण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राष्ट्रमंडल खेलों की 100वीं वर्षगांठ भी होगी, जिसका पहला आयोजन 1930 में कनाडा के हैमिल्टन में किया गया था। इस शताब्दी मील के पत्थर को भारत में मनाना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है, जो इस आयोजन के ऐतिहासिक महत्व को और बढ़ा देता है।

अहमदाबाद की जीत और अबूजा की चुनौती

अहमदाबाद को यह मेजबानी मिलना एक सुनियोजित प्रयास का परिणाम है। पिछले महीने, राष्ट्रमंडल खेल कार्यकारी बोर्ड ने अहमदाबाद में इन खेलों के आयोजन की सिफारिश की थी, जिसे अब ग्लासगो में हुई आमसभा की बैठक में अंतिम मंजूरी मिल गई है। मेजबानी की दौड़ में नाइजीरिया का अबुजा भी शामिल था, जिसने अपनी दावेदारी पेश की थी। हालांकि, भारत, विशेष रूप से अहमदाबाद, अपनी उत्कृष्ट खेल अवसंरचना, आर्थिक क्षमता और सफल आयोजन का पिछला अनुभव (2010 राष्ट्रमंडल खेल) प्रस्तुत करने में सफल रहा।

- Advertisement -
Ad image

अहमदाबाद ने पिछले एक दशक में खेल के बुनियादी ढांचे में अभूतपूर्व प्रगति देखी है। शहर ने विश्व स्तरीय स्टेडियम, प्रशिक्षण सुविधाएं और परिवहन नेटवर्क विकसित किए हैं, जो इसे बड़े पैमाने के अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाते हैं। नरेंद्र मोदी स्टेडियम, दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम, शहर की खेल महत्वाकांक्षा का एक प्रमुख प्रतीक है। इसके अलावा, अन्य बहुउद्देशीय खेल परिसरों और एथलीटों के लिए आवास सुविधाओं का विकास भी अहमदाबाद की मेजबानी की मजबूत दावेदारी का आधार बना। नाइजीरिया के अबुजा के पास भी आयोजन का अनुभव था, लेकिन संभवतः भारत की आर्थिक स्थिरता, पिछली मेजबानी का अनुभव और व्यापक समर्थन ने उसे बढ़त दिलाई। 2030 का शताब्दी वर्ष होने के कारण, राष्ट्रमंडल खेल महासंघ एक ऐसे मेजबान की तलाश में था जो इस ऐतिहासिक अवसर को गरिमा और भव्यता के साथ मना सके, और अहमदाबाद इस कसौटी पर खरा उतरा।

पीटी उषा ने जताया आभार: विश्वास और प्रगति का प्रतीक

भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष और महान एथलीट पीटी उषा ने मेजबानी मिलने पर हार्दिक खुशी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि भारत उस पर दिखाए गए विश्वास के लिए सभी का आभारी है। उषा ने अपने बयान में कहा, “राष्ट्रमंडल खेलों द्वारा दिखाए गए विश्वास से हम बेहद सम्मानित महसूस कर रहे हैं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि 2030 के खेल न केवल राष्ट्रमंडल आंदोलन के 100 साल पूरे होने का जश्न मनाएंगे, बल्कि “अगली सदी की नींव भी रखेंगे।” उषा ने आगे कहा कि ये खेल “पूरे राष्ट्रमंडल एथलीटों, समुदायों और संस्कृतियों को मित्रता और प्रगति की भावना से एक साथ लाएंगे।”

पीटी उषा का बयान भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि वह इन खेलों को केवल एक प्रतिस्पर्धा के रूप में नहीं, बल्कि राष्ट्रमंडल देशों के बीच सौहार्द, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और खेल भावना को बढ़ावा देने के एक मंच के रूप में देखता है। आईओए की अध्यक्ष के रूप में, उनका नेतृत्व और दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण होगा कि 2030 के खेल भारत के सर्वोत्तम को प्रदर्शित करें और एक स्थायी विरासत छोड़ें। उनका “विश्वास” और “प्रगति” पर जोर भारत के दृष्टिकोण को दर्शाता है कि वह इन खेलों के माध्यम से न केवल अपनी क्षमताओं को प्रदर्शित करेगा बल्कि राष्ट्रमंडल आंदोलन के भविष्य में भी सक्रिय रूप से योगदान देगा।

2036 ओलंपिक महत्वाकांक्षाओं को मिला बल

इसमें कोई दो राय नहीं कि 2030 राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी का निर्णय भारत की “2036 में ओलंपिक की मेजबानी” करने की महत्वाकांक्षा को भी महत्वपूर्ण बल मिला है। अहमदाबाद, जो स्वयं ओलंपिक खेलों की मेजबानी की दौड़ में शामिल है, के लिए यह एक बड़ा कदम है। राष्ट्रमंडल खेल ओलंपिक के लिए एक तरह का ‘ड्रेस रिहर्सल’ साबित होंगे। यह भारत को बड़े पैमाने के अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों को सफलतापूर्वक आयोजित करने की अपनी क्षमता को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करेगा, जिसमें लॉजिस्टिक्स, सुरक्षा, परिवहन, आवास और विश्व स्तरीय खेल सुविधाओं का प्रबंधन शामिल है।

पिछले एक दशक में अहमदाबाद ने खेल बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय प्रगति की है। शहर में अत्याधुनिक स्टेडियम, प्रशिक्षण केंद्र और एक मजबूत शहरी बुनियादी ढांचा है जो ओलंपिक जैसे विशाल आयोजन की मेजबानी के लिए महत्वपूर्ण है। राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी से अहमदाबाद को अपनी तैयारियों का परीक्षण करने, किसी भी कमी को दूर करने और अंतरराष्ट्रीय खेल समुदाय को अपनी संगठनात्मक क्षमता का प्रदर्शन करने का अवसर मिलेगा। ओलंपिक समिति बड़े आयोजनों को सफल बनाने के लिए मेजबान शहरों के ट्रैक रिकॉर्ड को बहुत महत्व देती है, और 2030 के राष्ट्रमंडल खेल उस ट्रैक रिकॉर्ड में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ेंगे। यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की विश्वसनीयता और आत्मविश्वास को बढ़ाएगा, जिससे 2036 के ओलंपिक बोली के लिए इसकी स्थिति मजबूत होगी।

2010 से सबक और आगे की राह

2010 में नई दिल्ली में हुए राष्ट्रमंडल खेलों के लिए भारत ने लगभग 70,000 करोड़ रुपये खर्च किए थे, जो 1600 करोड़ रुपये के प्रारंभिक अनुमान से कहीं अधिक था। उन खेलों को कुछ विवादों और लागत वृद्धि का सामना करना पड़ा था, जिसने संगठनात्मक चुनौतियों पर प्रकाश डाला था। हालांकि, दिल्ली ने बड़े पैमाने पर खेलों को सफलतापूर्वक आयोजित किया था और एक महत्वपूर्ण खेल विरासत छोड़ी थी। 2030 के लिए, भारत और अहमदाबाद उन अनुभवों से सबक सीखेंगे। लागत प्रबंधन, पारदर्शिता और कुशल योजना अब प्राथमिकता होगी। 2010 में निर्मित कई सुविधाएं अभी भी उपयोग में हैं, और 2030 के लिए, नए बुनियादी ढांचे के साथ-साथ मौजूदा सुविधाओं के उन्नयन पर भी ध्यान दिया जाएगा, जिससे लागत को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

राष्ट्रमंडल खेल महासंघ ने भी अपनी उम्मीदों और आवश्यकताओं को स्पष्ट किया है। 2030 के खेलों में 15 से 17 खेल शामिल होंगे। एथलेटिक्स और पैरा एथलेटिक्स, तैराकी और पैरा तैराकी, टेबल टेनिस और पैरा टेबल टेनिस, बाउल्स और पैरा बाउल्स, भारोत्तोलन और पैरा पावरलिफ्टिंग, कलात्मक जिमनास्टिक्स, नेटबॉल और मुक्केबाजी ऐसे खेल हैं जो निश्चित रूप से राष्ट्रमंडल खेल 2030 का हिस्सा होंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि खेलों में विविधता हो और कई एथलीटों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिले।

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी भारत, विशेषकर गुजरात राज्य के लिए अतुलनीय आर्थिक और सामाजिक लाभ लाएगी।

  1. पर्यटन को बढ़ावा: दुनिया भर से हजारों एथलीट, अधिकारी, मीडियाकर्मी और पर्यटक अहमदाबाद आएंगे। यह न केवल गुजरात की समृद्ध संस्कृति और विरासत को प्रदर्शित करेगा बल्कि पर्यटन क्षेत्र को भी बढ़ावा देगा, जिससे स्थानीय व्यवसायों, होटलों और परिवहन सेवाओं को लाभ होगा।
  2. रोजगार सृजन: खेलों के आयोजन और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बड़ी संख्या में अस्थायी और स्थायी नौकरियों का सृजन होगा। निर्माण, आतिथ्य, सुरक्षा, इवेंट मैनेजमेंट, मीडिया और परिवहन जैसे क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
  3. बुनियादी ढांचे का विकास: खेलों की तैयारी के लिए सड़कों, सार्वजनिक परिवहन, हवाई अड्डों और अन्य नागरिक सुविधाओं का उन्नयन और विस्तार किया जाएगा। यह विकास केवल खेलों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि शहर के निवासियों के लिए एक स्थायी विरासत छोड़ेगा।
  4. वैश्विक छवि में सुधार: सफल आयोजन भारत को वैश्विक मंच पर एक सक्षम और प्रगतिशील राष्ट्र के रूप में स्थापित करेगा। यह विदेशी निवेश को आकर्षित कर सकता है और अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों को मजबूत कर सकता है।
  5. खेल संस्कृति को बढ़ावा: राष्ट्रमंडल खेल देश में खेल के प्रति जागरूकता और भागीदारी को बढ़ाएंगे। यह युवा प्रतिभाओं को प्रेरित करेगा और एक स्वस्थ और सक्रिय जीवन शैली को बढ़ावा देगा। स्कूली स्तर पर खेल गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और जमीनी स्तर पर प्रतिभा की पहचान और पोषण के लिए कार्यक्रम शुरू किए जा सकते हैं।
  6. सांस्कृतिक आदान-प्रदान: विभिन्न राष्ट्रमंडल देशों के एथलीटों और दर्शकों के एक साथ आने से एक समृद्ध सांस्कृतिक आदान-प्रदान होगा। यह विभिन्न संस्कृतियों के बीच समझ और मित्रता को बढ़ावा देगा।

2030 राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी का अधिकार मिलना भारत और अहमदाबाद के लिए एक monumental उपलब्धि है। यह न केवल देश की बढ़ती वैश्विक खेल क्षमता का प्रमाण है, बल्कि 2036 ओलंपिक जैसे बड़े आयोजनों को आकर्षित करने की अपनी दीर्घकालिक महत्वाकांक्षाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम भी है। राष्ट्रमंडल खेल आंदोलन की 100वीं वर्षगांठ के वर्ष में इन खेलों की मेजबानी करने का अवसर भारत के लिए एक विशेष सम्मान है।

Share This Article
एनसीआर खबर दिल्ली एनसीआर का प्रतिष्ठित हिंदी समाचार वेब साइट है। एनसीआर खबर में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय,सुझाव और ख़बरें हमें mynews.ncrkhabar@gmail.com पर भेज सकते हैं या 09654531723 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I अपना सूक्ष्म सहयोग आप हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : 9654531723@paytm के जरिये दे सकते है