नोएडा प्राधिकरण ने अपनी महत्वाकांक्षी स्पोर्ट्स सिटी परियोजना के प्लॉट नंबर-1 (सेक्टर-152) में बड़ी कार्रवाई करते हुए 10 बिल्डरों को नोटिस जारी किया है। इन बिल्डरों पर नियमों के गंभीर उल्लंघन, निर्माण कार्य में अत्यधिक देरी और प्राधिकरण का 2027 करोड़ रुपये से अधिक का विशाल बकाया न चुकाने का आरोप है।
प्राधिकरण ने स्पष्ट किया है कि यदि आवंटियों ने जल्द से जल्द नियमों का पालन नहीं किया और बकाया जमा नहीं किया, तो उनके विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

क्या है मामला और क्यों जारी हुआ नोटिस?
प्राधिकरण से मिली जानकारी के अनुसार, स्पोर्ट्स सिटी के इस हिस्से का आवंटन 2015 से पहले हुआ था। आवंटन की शर्तों में यह अनिवार्य था कि चयनित खेल सुविधाओं को 5 वर्ष के भीतर विकसित किया जाना था। हालांकि, आवंटन के लगभग 9 साल बाद भी, इन 10 भूखंडों में से एक पर भी ‘खेल सुविधा’ का विकास नहीं किया गया है।
नोटिस में मुख्य रूप से निम्नलिखित उल्लंघन बताए गए हैं:

- निर्माण कार्य में देरी: 2015 में सब-डिवीजन किए जाने के बाद से अब तक, आवंटित 10 भूखंडों में से केवल 2 भूखंडों पर ही ग्रुप हाउसिंग का निर्माण शुरू हो पाया है। शेष 8 भूखंडों पर किसी भी तरह का निर्माण कार्य लंबित है।
- वित्तीय उल्लंघन: 31 मार्च 2024 तक इन बिल्डरों पर नोएडा प्राधिकरण का कुल 2027 करोड़ 82 लाख रुपये बकाया है, जिसका भुगतान नहीं किया गया है।
- करार का उल्लंघन: करार में शर्त थी कि 5 वर्ष में खेल सुविधाएं विकसित करनी होंगी। यह शर्त पूरी तरह से धरातल पर फेल रही है।
सीईओ ने किया मौके का निरीक्षण
इस मामले में प्राधिकरण ने एक समिति की रिपोर्ट को आधार बनाया, जिसने मौके पर जाकर निरीक्षण किया था। समिति की गंभीर रिपोर्ट आने के बाद, प्राधिकरण के सीईओ डॉ. लोकेश एम, एसीईओ कृष्णा करुणेश और सतीश पाल ने मंगलवार को स्वयं सेक्टर-152 स्थित प्लॉट नंबर-1 का दौरा किया।
निरीक्षण के दौरान, वरिष्ठ अधिकारियों ने समिति की रिपोर्ट को सही पाया और पुष्टि की कि मौके पर नियमों का घोर उल्लंघन किया गया है।
कैसे हुई 1 से 10 प्लॉट की कहानी?
यह पूरा घटनाक्रम 5 लाख 3 हजार वर्ग मीटर के एक विशाल भूखंड से शुरू हुआ था। प्राधिकरण ने इस प्लॉट का आवंटन स्पोर्ट्स सिटी परियोजना में बतौर लीड मेंबर एटीएस होम्स प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में किया था।
इसके बाद, एटीएस ने इस प्लॉट का सब-डिवीजन (उप-विभाजन) कर दिया और 9 अन्य बिल्डरों को भूखंड आवंटित कर दिए, जिससे कुल 10 प्लॉट बन गए। इस सब-डिवीजन को नोएडा प्राधिकरण से मंजूरी मिली थी। इन 10 प्लॉटों में से 4 प्लॉट पर ग्रुप हाउसिंग के निर्माण के लिए प्राधिकरण से नक्शा पास करवाया गया, लेकिन मौके पर निर्माण सिर्फ दो बिल्डरों की तरफ से हुआ है।
प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि नियमों का उल्लंघन करने वाले सभी आवंटियों के विरुद्ध सख्त और आवश्यक कार्रवाई की तैयारी की जा रही है, जिसमें आवंटन रद्द करने जैसी कार्रवाई भी शामिल हो सकती है।


