SIR पर ममता का प्रचंड हमला, कहा- बंगाल में नाम कटे तो गिर जाएगी केंद्र सरकार

NCR Khabar News Desk
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‘भाजपा आयोग’ बताया चुनाव आयोग को, मतुआ गढ़ में ममता ने दी मोदी सरकार को चेतावनी, वोटिंग लिस्ट से नाम हटाने की कोशिश को बताया लोकतंत्र पर हमला

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सुप्रीमो ममता बनर्जी ने मंगलवार को राज्य में चल रही ‘सिस्टेमैटिक इंटरनल रिव्यू’ (SIR) या मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर अभूतपूर्व रूप से हमला बोला। बांग्लादेश की सीमा से सटे उत्तर 24 परगना जिले के मतुआ समुदाय के गढ़ बनगांव में एक विशाल रैली को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने सीधे तौर पर केंद्र सरकार को चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अगर एसआइआर की आड़ में बंगाल में मतदाता सूची से वैध मतदाताओं के नाम हटाए गए, तो केंद्र सरकार भी गिर जाएगी।

इस दौरान उन्होंने चुनाव आयोग (EC) पर भी तीखा प्रहार करते हुए उसे ‘भाजपा आयोग’ करार दिया और आरोप लगाया कि केंद्र सरकार 2024 के लोकसभा चुनावों को प्रभावित करने के लिए जल्दबाजी में यह प्रक्रिया करवा रही है।

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केंद्र सरकार को सीधी चुनौती: “2024 में इसी वोटर लिस्ट से वोट मिले”

बनगाँव में मतुआ समुदाय के बीच सभा को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने एसआइआर की आवश्यकता पर सवाल उठाते हुए इसकी टाइमिंग को लेकर भाजपा की मंशा पर संदेह जताया।

ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सीधे चुनौती देते हुए कहा, “प्रधानमंत्री मोदी को 2024 में इसी वोटर लिस्ट के हिसाब से वोट मिले थे। तब कोई समस्या नहीं थी। अब अगर आप एसआइआर की आड़ में हमारे लोगों के नाम हटवा देंगे, तो मैं आपको चेतावनी देती हूं कि केंद्र सरकार भी गिर जाएगी।”

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तृणमूल सुप्रीमो ने जोर देकर पूछा कि एसआइआर इतनी जल्दी में क्यों किया जा रहा है और क्यों इस प्रक्रिया को लेकर लोगों में भय पैदा किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़, लोकतंत्र पर सीधा हमला मानी जाएगी, क्योंकि वोट देने का अधिकार संवैधानिक अधिकार है।

मतुआ समुदाय को आश्वासन, भाजपा आयोग पर प्रहार

रैली का महत्वपूर्ण केंद्र मतुआ समुदाय था, जो ऐतिहासिक रूप से बांग्लादेश से विस्थापित हुए शरणार्थी हैं और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) तथा राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) जैसे मुद्दों को लेकर अत्यधिक संवेदनशील हैं। भाजपा लंबे समय से इस समुदाय को सीएए लागू करने का आश्वासन देती आ रही है, जबकि टीएमसी इसका विरोध कर रही है।

ममता ने मतुआ समुदाय के लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा, “जब तक मैं यहां हूं, मैं उन्हें (भाजपा को) आपका नाम मतदाता सूची से बाहर नहीं निकालने दूंगी। आपको डरने की जरूरत नहीं है।”

उन्होंने मतदाता सूची पुनरीक्षण पर सवाल उठाते हुए पूछा कि यदि समस्या केवल बांग्लादेशी घुसपैठ की है, तो केंद्र सरकार मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में एसआइआर क्यों कर रही है। उन्होंने दावा किया कि यह प्रक्रिया केवल बंगाल को निशाना बनाने के लिए नहीं है, बल्कि पूरे देश में लोगों को डराने और दबाने के लिए है।

चुनाव आयोग पर हमला और भी तीखा रहा। ममता ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग एक निष्पक्ष संस्था के रूप में काम नहीं कर रहा है, बल्कि भाजपा के राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा, “हम चुनाव आयोग का सम्मान करते हैं, लेकिन जब वह भाजपा आयोग की तरह काम करने लगता है, तो हमें सवाल उठाना पड़ता है।”

सीएए कार्ड बेचने और एआई से फर्जी मतदाता बनाने का आरोप

मुख्यमंत्री ने रैली में भाजपा पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि भाजपा कार्यकर्ता नागरिकता दिलाने का झूठा वादा करके ‘सीएए कार्ड’ बेच रहे हैं और मतुआ समुदाय से पैसे इकट्ठा कर रहे हैं। उन्होंने समुदाय के लोगों को आगाह किया कि वे भाजपा के झांसे में न आएं, क्योंकि यह केवल उन्हें और मुश्किल में डालेगा।

ममता ने एक और चौंकाने वाला आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा मतदाता सूची में हेरफेर करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा, “भाजपा का एक नया प्लान है। वे डुप्लीकेट वोटर बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर रहे हैं। यह सुनियोजित धोखाधड़ी है।”

इसके अलावा, टीएमसी सुप्रीमो ने एसआइआर प्रक्रिया के कारण राज्य में हुई मौतों का भी उल्लेख किया। उन्होंने दावा किया कि एसआइआर के कारण बंगाल में अब तक 35 लोगों की मौत हो चुकी है, क्योंकि लोग इस प्रक्रिया के डर और तनाव को सह नहीं पाए।

घुसपैठ के आरोपों पर केंद्र को घेरा

भाजपा द्वारा अक्सर टीएमसी शासन के तहत घुसपैठ को बढ़ावा देने के आरोप लगाए जाने पर, ममता बनर्जी ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि ट्रेनें, प्लेन, सीमाएं (बार्डर), पासपोर्ट, कस्टम और एक्साइज—सब सेंट्रल एजेंसियों के नियंत्रण में हैं।

उन्होंने सवाल उठाया, “अगर सभी केंद्रीय एजेंसियां सीमा की सुरक्षा कर रही हैं, तो हमने बंगाल में बांग्लादेशियों की घुसपैठ कैसे कराई? यह सीधे तौर पर केंद्र सरकार की अपनी विफलता छुपाने की कोशिश है और बंगाल को बदनाम करने की साजिश है।”

बिहार का उल्लेख और राष्ट्रीय राजनीति में हस्तक्षेप की चेतावनी

ममता बनर्जी ने अपनी राजनीतिक रणनीति स्पष्ट करते हुए हाल ही में बिहार में हुए चुनाव (संभवतः उपचुनाव या निकाय चुनाव का संदर्भ देते हुए) का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि बिहार के विपक्षी नेता ‘बेचारे’ भाजपा का खेल नहीं समझ पाए।

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उन्होंने कहा, “हम उनका (भाजपा का) खेल समझते हैं, और हम बंगाल में उनका खेल सफल नहीं होने देंगे। अगर उन्होंने बंगाल को छूने की कोशिश की, तो हम पूरे देश को हिला देंगे।” यह बयान न सिर्फ बंगाल के राजनीतिक परिदृश्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दर्शाता है कि टीएमसी राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के विरोध में अपनी भूमिका को मजबूत करने की तैयारी कर रही है।

ठाकुरनगर में पैदल मार्च का नेतृत्व

बनगाँव में रैली समाप्त होने के तुरंत बाद, ममता बनर्जी ने एसआइआर के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा। उन्होंने मतुआ समुदाय के एक अन्य प्रमुख केंद्र ठाकुरनगर में तीन किलोमीटर लंबे पैदल मार्च (पदयात्रा) का भी नेतृत्व किया।

यह इस महीने ममता बनर्जी द्वारा एसआइआर के खिलाफ किया गया दूसरा बड़ा विरोध प्रदर्शन है। इससे पहले, उन्होंने 4 नवंबर को जब राज्य में एसआइआर की प्रक्रिया शुरू हुई थी, तब कोलकाता में टीएमसी द्वारा आयोजित तीन किलोमीटर लंबे पैदल मार्च का नेतृत्व किया था। टीएमसी इन रैलियों और मार्च के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) दरअसल भाजपा द्वारा सीएए/एनआरसी को लागू करने की दिशा में उठाया गया पहला कदम है, जिसका कड़ा विरोध किया जाएगा।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ममता बनर्जी का आक्रामक रुख 2026 के विधानसभा चुनावों और आगामी 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले मतुआ समुदाय के संवेदनशील वोटों को एकजुट रखने की रणनीति का हिस्सा है, ताकि नागरिकता के मुद्दे पर भाजपा के चुनावी एजेंडे को बेअसर किया जा सके।

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