नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के बहुप्रतीक्षित उद्घाटन की तिथि जल्द ही घोषित होने कि चर्चाओ के साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेगा जनसभा की तैयारियां जोरों पर हैं। जहां भाजपा इस आयोजन को ऐतिहासिक बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है, वहीं स्थानीय प्रशासन के सामने एक से दो लाख लोगों की भीड़ और 22 दिन की अनिवार्य सुरक्षा जांच को सफलतापूर्वक प्रबंधित करने की दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है। यह आयोजन न केवल क्षेत्र के लिए एक मील का पत्थर है, बल्कि आगामी दिनों में स्थानीय निवासियों और यात्रियों के लिए यातायात और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी गहन विचार-विमर्श की मांग कर रहा है।
भव्यता का दबाव: दो लाख की भीड़ का महत्वाकांक्षी लक्ष्य
नोएडा हवाई अड्डे के टर्मिनल के ठीक सामने विशाल मैदान को प्रधानमंत्री की जनसभा (रैली) के लिए तैयार किया जा रहा है। स्थानीय भाजपा नेता अभिषेक शर्मा ने पुष्टि की है कि पार्टी का प्रयास है कि इस रैली में लगभग दो लाख लोग जुटें, जो इसे इस क्षेत्र की अब तक की सबसे बड़ी राजनीतिक सभाओं में से एक बना देगी।

सोमवार को पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह की अध्यक्षता में हुई महत्वपूर्ण सुरक्षा बैठक के बाद, मंगलवार को सुरक्षा योजना को ‘अमली जामा पहनाना’ शुरू कर दिया गया। एयरपोर्ट पर तैनात एडीसीपी, एसीपी, थाना प्रभारी और यातायात पुलिसकर्मियों ने संयुक्त रूप से रैली स्थल, प्रवेश बिंदुओं और विशाल पार्किंग स्थलों के खाके को अंतिम रूप दिया।
हालांकि, इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ ही भारी-भरकम लॉजिस्टिक चुनौतियों का उदय हुआ है। रैली में 20,000 से अधिक वाहनों के आने की आशंका है। पुलिस ने इन वाहनों के लिए एयरपोर्ट परिसर से बाहर पार्किंग की व्यापक व्यवस्था करने का निर्णय लिया है।

स्थानीय जीवन पर यातायात का दबाव
20,000 से अधिक वाहनों को समायोजित करने की आवश्यकता ही इस आयोजन के पैमाने को दर्शाती है। बेशक, यह रैली क्षेत्र के लिए गर्व का विषय होगी, लेकिन स्थानीय निवासियों को यह सवाल पूछना होगा कि इस मेगा-इवेंट के दौरान यमुना सिटी और आस-पास के क्षेत्रों में यातायात की स्थिति क्या होगी। बाहरी पार्किंग से रैली स्थल तक लोगों को लाने-ले जाने की व्यवस्था और मुख्य सड़कों तथा एक्सप्रेस-वे पर पड़ने वाले दबाव को देखते हुए, प्रशासन को न केवल सुरक्षा बल्कि स्थानीय आवागमन की सुगमता को प्राथमिकता देनी होगी।
स्थानीय निवासियों का मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही के दौरान सामान्य जनजीवन प्रभावित होना निश्चित है। प्रशासन को चाहिए कि वह व्यापक स्तर पर यातायात विमर्श जारी करे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह ‘ऐतिहासिक रैली’ स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब न बने।
सुरक्षा की घड़ी: 22 दिनों में हरी झंडी का दबाव
जनसभा की भव्यता जहां राजनीतिक सफलता का पैमाना है, वहीं एयरपोर्ट के संचालन से जुड़ी सुरक्षा आवश्यकताएं अलग तरह की गंभीरता मांगती हैं। हवाई अड्डे पर हुई बैठक में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) ने स्पष्ट किया कि उद्घाटन के बाद सुरक्षा जांच के लिए उन्हें कम से कम 22 दिनों का समय चाहिए।
यह समय एयर साइड, टर्मिनल, एटीसी टावर और कार्गो क्षेत्रों में डॉग स्क्वॉयड, बम स्क्वॉयड और विस्तृत एंटी सबोटॉर्ज जांच के लिए आवश्यक है। मानकों के अनुसार, सीआईएसएफ को आमतौर पर पूर्ण सुरक्षा क्लीयरेंस के लिए 30 दिन का वक्त दिया जाता है, लेकिन 22 दिन की समय सीमा स्पष्ट रूप से इस परियोजना को जल्द से जल्द चालू करने के दबाव को दर्शाती है।
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि 30 दिन के मानक समय को घटाकर 22 दिन करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। सीआईएसएफ अधिकारियों ने जांच के लिए पूरे एयरपोर्ट परिसर को ‘खाली’ रखने की मांग की है।
इस अभियान के लिए सीआईएसएफ ने करीब 1025 कर्मियों वाली एक बटालियन की मांग की है, जो टर्मिनल से लेकर एयर साइड तक हर कोने की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। यह एक बड़ा कदम है, लेकिन समय सीमा में कटौती इस बात का संकेत है कि अधिकारी बड़े राजनीतिक कार्यक्रम और परिचालन सुरक्षा की आवश्यकताओं के बीच जबरदस्त संतुलन साधने की कोशिश कर रहे हैं।
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन भव्यता और इंजीनियरिंग कौशल का प्रतीक होगा। हालांकि, स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती यह है कि वे एक तरफ जहां प्रधानमंत्री की जनसभा के लिए लाखों लोगों के प्रबंधन का दबाव संभालें, वहीं दूसरी तरफ, विश्व स्तरीय नागरिक उड्डयन सुरक्षा मानकों को एक संकुचित समय सीमा में पूरा करें।


