आशु भटनागर । उत्तर प्रदेश के शो विंडो कहे जाने वाले नोएडा और ग्रेटर नोएडा को संभालने वाले गौतम बुध नगर जिले में वनों की रक्षा करने का दावा करने वाला वन विभाग एक ऐसा विभाग है जो बीते 14 वर्षों से अपने कार्यालय भवन के लिए वनवास भोग रहा है । 14 वर्ष के वनवास के बावजूद ग्रेटर नोएडा में कलेक्ट्रेट के पास मिली 1000 मीटर जमीन पर आज तक उसका भवन नहीं बन सका है और फिलहाल वन विभाग अपना कार्यालय उपकोषागार की रिक्त हुई एक बिल्डिंग से चलाने को मजबूर है।

रोचक तथ्य यह है कि गौतम बुध नगर जिले के बीचो-बीच सूरजपुर में कलेक्ट्रेट जिला कोर्ट कमिश्नरेट समेत सभी मुख्य विभागों को बीच में रखने के पीछे एक ही सोच थी कि जिले के बीचो-बीच सभी लोगों के लिए इन कार्यालय की उपस्थिति बराबर की दूरी पर हो । किंतु 14 वर्षों बाद भी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण वन विभाग को उसके कार्यालय के लिए भवन बनकर नहीं दे सका ।

पूरा मामला दरअसल 2011 में शुरू होता है जब मायावती की बसपा सरकार में हुए स्पोर्ट्स सिटी, नोएडा ट्विन टावर, सुपरटेक और आम्रपाली बिल्डर घोटालों के लिए कथित आरोपी नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन मोहिंदर सिंह (Mohinder Singh) ने नोएडा के बीचो-बीच सिटी सेंटर बनाने के लिए सेक्टर 25 ए और 32 ए को वेव ग्रुप को देने का निश्चय किया । ऐसे में 32 ए में प्रकाश हॉस्पिटल के सामने चल रहे वन विभाग के छोटे से कार्यालय को वहां से हटाने की बात कही गई इसके बदले तत्कालीन डीएम के कहने पर वन विभाग को भी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र कलेक्ट्रेट के पास ही 1000 मीटर जमीन आवंटित की गई। दावा किया जाता है कि तब नोएडा और ग्रेटर नोएडा के चेयरमैन रहे मोहिंदर सिंह ने यह वादा किया कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण इसे बनवा कर वन विभाग को देगा । किंतु उसके बाद यह बात कागजो में ही रह गई। वन विभाग का अस्थाई कार्यालय ही धीरे-धीरे स्थाई कार्यालय जैसा समझा जाने लगा । दुखद तथ्य ये भी है कि वेव ग्रुप के जिस प्रोजेक्ट के लिए वन विभाग के कार्यालय को हटाया गया वहां भी आज तक कुछ नहीं बन पाया ।

वन विभाग के सूत्रों की माने तो 2019 में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ ने वन विभाग से जमीन को लेकर पत्राचार किया जिसके बाद तत्कालीन डीएफओ पीके श्रीवास्तव ने वन विभाग के दावे से संबंधित प्रति उत्तर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को भेजी और उन्हें इस पर उनके कार्यालय को बनाकर देने की बात याद दिलाई इसके बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने इसको लेकर चुप्पी साध ली और ना ही कभी कार्यालय को बनाने की पहल कई और ना ही उसको लेकर वन विभाग को कोई जानकारी दी ।

एनसीआर खबर के तीन प्रश्न
1) सुरजपुर कलेक्ट्रेट में अगर जिला पंचायत, कमिश्नरेट, जिला न्यायालय समेत तमाम कार्यालय है तो फिर 2011 में आवंटित भूमि पर वन विभाग का कार्यालय यहाँ अब तक क्यूँ नहीं?
2) आखिर पुरे जिले के लोगो को वन विभाग के लिए ही दिल्ली के पास नोएडा के एक कोने जाने की मज़बूरी क्यूँ ?
3) सरकारे बदलने के बाद भी वन विभाग के साथ सौतेला वयवहार क्यूँ ?
दावा किया जाता है कि उसके बाद कोविड आ गया और धीरे-धीरे वन विभाग के कार्यालय की बात सरकार के वादों की तरह सरकारी फाइलों में कहीं गुम हो गई और जिले के पेड़ पौधों से लेकर जानवरों का रक्षक वन विभाग अपने ही कार्यालय को लेकर आज तक बाट जोह रहा है।
ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है की क्या वन विभाग को शहर के एक कोने से हटाकर सूरजपुर कलेक्ट्रेट के पास दी गई जमीन पर कार्यालय का भवन कभी मिल सकेगा या फिर जिले के दूसरे कोने के लोग अपनी समस्याओं के लिए लंबी दूर दूरी तय करके वन विभाग के कार्यालय को ऐसे ही ढूंढते रहेंगे ।



