यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) ने हाल ही में अपनी 87वीं बोर्ड बैठक में अपनी आर्थिक स्थिति की एक प्रभावशाली तस्वीर पेश की, जो संपत्ति की बढ़ती मांग और रणनीतिक पहलों के कारण अभूतपूर्व वृद्धि दर्शाती है। यह सिर्फ संख्याओं की रिपोर्ट नहीं है, बल्कि एक व्यापक दृष्टिकोण है जो यीडा को उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख औद्योगिक और आवासीय केंद्र के रूप में स्थापित करता है, जो निवेशकों, व्यवसायों और निवासियों के लिए अद्वितीय अवसर प्रदान करता है। प्राधिकरण द्वारा प्रस्तुत आंकड़े मात्र वृद्धि नहीं, बल्कि एक ठोस वित्तीय आधार और भविष्योन्मुखी दृष्टि का प्रमाण हैं, जो क्षेत्र के सतत विकास के लिए मार्ग प्रशस्त करते हैं।
आर्थिक प्रदर्शन: एक शानदार छलांग
यीडा की वित्तीय रिपोर्ट एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देती है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में ₹518.08 करोड़ के मुकाबले, वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए प्राधिकरण का अनुमानित लाभ ₹1564.19 करोड़ तक पहुंच गया है। यह लगभग तीन गुना की वृद्धि है, जो अचल संपत्ति बाजार में यीडा की संपत्ति के प्रति बढ़ती रुचि और विश्वास को रेखांकित करती है। यह प्रभावशाली वृद्धि केवल एक संयोग नहीं है, बल्कि सुनियोजित विकास, मजबूत बुनियादी ढांचे और निवेशक-अनुकूल नीतियों का सीधा परिणाम है।

पूंजीगत प्राप्तियों के मोर्चे पर भी यीडा ने शानदार प्रदर्शन किया है। पिछले वित्त वर्ष में 31 अक्टूबर तक ₹1554.78 करोड़ की तुलना में, चालू वित्त वर्ष में इसी अवधि तक यीडा ने ₹1746.38 करोड़ की पूंजीगत प्राप्ति दर्ज की है, जो 112.32% की उल्लेखनीय वृद्धि है। यह दर्शाता है कि प्राधिकरण न केवल अपने लक्ष्यों को पूरा कर रहा है, बल्कि उन्हें पार भी कर रहा है। यीडा के सीईओ राकेश कुमार सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि व्यय के सापेक्ष परिसंपत्तियों से पूंजीगत प्राप्तियों में प्राधिकरण ने बेहतर स्थिति हासिल की है। यह वित्तीय सुदृढ़ता प्राधिकरण को भूमि आवंटन और विभिन्न परियोजनाओं पर खर्च करने में किसी भी बाधा से मुक्त करती है, जिससे विकास की गति निर्बाध बनी रहेगी। यह पेशेवर निवेशकों के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि यीडा एक स्थिर और लाभदायक निवेश गंतव्य है।
किसानों के साथ सहभागिता और विश्वास का निर्माण
यीडा की सफलता की कहानी में एक महत्वपूर्ण पहलू जमीन अधिग्रहण से प्रभावित किसानों के प्रति उसकी संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता है। बोर्ड को सूचित किया गया कि प्राधिकरण ने अब तक ₹2925.06 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा वितरित किया है, जो कुल देय राशि का 64.7% है। यह न केवल वित्तीय जिम्मेदारी का प्रदर्शन है, बल्कि एक मजबूत सामाजिक अनुबंध भी स्थापित करता है, जिससे स्थानीय समुदायों का विश्वास जीतना आसान होता है।

इसके अतिरिक्त, प्राधिकरण ने 29 गांवों के 6260 किसानों को सात प्रतिशत विकसित भूखंडों के लिए आरक्षण पत्र जारी किए हैं, जिनमें से 4171 भूखंडों का नियोजन पहले ही हो चुका है। शेष भूखंडों के नियोजन की प्रक्रिया तेजी से पूरी की जा रही है। यह पहल किसानों को विकास प्रक्रिया में भागीदार बनाती है और उनके भविष्य को सुरक्षित करती है, जो किसी भी बड़े विकास प्राधिकरण के लिए स्थायी मॉडल का एक अनिवार्य हिस्सा है। यह दर्शाता है कि यीडा केवल भूमि अधिग्रहण नहीं कर रहा है, बल्कि दीर्घकालिक सामुदायिक विकास में निवेश कर रहा है।
भविष्य की ओर एक कदम: स्वच्छ ऊर्जा और कनेक्टिविटी
यीडा क्षेत्र में स्वच्छ और कुशल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए एक दूरदर्शी कदम उठाया गया है। एनटीपीसी की साझेदारी में पांच हाइड्रोजन बसों के संचालन का प्रस्ताव बोर्ड की स्वीकृति के लिए रखा गया। ये बसें एक बार ईंधन भरने पर 600 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकती हैं, जो दिल्ली-एनसीआर और आगरा मार्ग पर कनेक्टिविटी को नया आयाम देंगी। इन बसों का संचालन यीडा द्वारा किया जाएगा, जिसमें ईंधन, टिकट, चालक-परिचालक की व्यवस्था और परमिट शामिल हैं। यात्रियों से वसूले जाने वाले शुल्क से परिचालन खर्च की भरपाई के बाद शेष राशि एनटीपीसी को दी जाएगी। यह मॉडल न केवल प्रदूषण रहित परिवहन को बढ़ावा देगा, बल्कि क्षेत्र को आधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल गतिशीलता समाधानों के लिए एक अग्रणी प्रयोगशाला के रूप में भी स्थापित करेगा। यह पहल यीडा की स्थिरता और नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
रुके हुए रियल एस्टेट परियोजनाओं को गति देना
रियल एस्टेट क्षेत्र में लंबे समय से लंबित समस्याओं का समाधान एक स्वागत योग्य कदम है, जो समग्र बाजार में विश्वास बहाल करेगा। अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों के आधार पर लागू की गई ‘लिगेसी स्टाल्ड रियल एस्टेट प्रोजेक्ट नीति’ के तहत, यीडा की कुल 11 बिल्डर परियोजनाओं में से सात को लाभ मिला है। इस नीति के तहत, प्राधिकरण को 25% राशि के रूप में ₹402.50 करोड़ प्राप्त हुए हैं, और अगले एक साल में ₹671.59 करोड़ और मिलने की उम्मीद है। इन सात परियोजनाओं में 6828 रजिस्ट्री होनी हैं, जिनमें से जुलाई 2025 तक 401 रजिस्ट्री पहले ही हो चुकी हैं। यह पहल न केवल फंसे हुए खरीदारों को राहत प्रदान करती है, बल्कि अटकी हुई परियोजनाओं में जान फूंककर प्राधिकरण के लिए राजस्व भी उत्पन्न करती है। यह यीडा की व्यावसायिक दूरदर्शिता और हितधारकों के प्रति जवाबदेही का प्रमाण है।
संस्थागत विस्तार और डिजिटल सशक्तिकरण
अपने परिचालन को और अधिक सुव्यवस्थित करने और हितधारकों तक पहुंच बढ़ाने के लिए, यीडा अपने केंद्रीय और क्षेत्रीय कार्यालयों का निर्माण कर रहा है। सेक्टर 18 में केंद्रीय कार्यालय के अलावा, अलीगढ़, मथुरा और आगरा में क्षेत्रीय कार्यालय बनाए जाएंगे। सिक्का एसोसिएट्स द्वारा तैयार किए गए मानचित्रों को बोर्ड ने स्वीकृति दे दी है। इन कार्यालयों में स्टाफ हाउसिंग, पार्किंग और सभागार जैसी आधुनिक सुविधाएं होंगी, जो यीडा की बढ़ती भूमिका और जिम्मेदारियों के अनुरूप हैं।
डिजिटल इंडिया के विजन के साथ कदम से कदम मिलाते हुए, यीडा ने ‘वन मैप यीडा’ पोर्टल का भी शुभारंभ किया है। इस पोर्टल के माध्यम से नागरिक अब माउस के एक क्लिक पर भूखंडों, ढांचागत सुविधाओं, जियो मैपिंग, जियो टैगिंग, जियो रेफरेंस, जमीन के खसरा नंबर, सेक्टर का लेआउट प्लान, यूटिलिटी और लैंड बैंक सहित विभिन्न जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह पारदर्शिता, सुगमता और डिजिटल शासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो यीडा को एक आधुनिक और सुलभ प्राधिकरण के रूप में स्थापित करता है।
बुनियादी ढांचे का विकास और औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र:
बोर्ड को यीडा क्षेत्र में विकसित हो रहे पांच प्रमुख औद्योगिक पार्कों – अपैरल, टॉय, हैंडीक्राफ्ट, और एमएसएमई इकाइयों की प्रगति से भी अवगत कराया गया। ये पार्क क्षेत्र में विनिर्माण को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, जिससे आर्थिक विविधीकरण को बल मिलेगा। इसके अतिरिक्त, आवासीय सेक्टर 22 डी और संस्थागत सेक्टर 22 ई के बीच 45 मीटर चौड़ी पेरिफेरल रोड के निर्माण को भी बोर्ड ने स्वीकृति दे दी है। यह सड़क कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगी और दोनों सेक्टरों में निवासियों और संस्थानों के लिए आवागमन को सुगम बनाएगी।


