ग्रेटर नोएडा में गैलेक्टिक सिटी साइबर हब-1 प्रोजेक्ट में ऑफिस स्पेस दिलाने के बहाने 17.11 लाख रुपये की धोखाधड़ी और धमकी देने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। पीड़ित कंपनी एग्रीमार्ट केमिकल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक सहदेव ने गैलेक्टिक सिटी प्राइवेट लिमिटेड के छह निदेशकों और दो कर्मचारियों पर सुनियोजित साजिश के तहत धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। ईकोटेक-3 कोतवाली पुलिस ने अदालत के आदेश पर मामला दर्ज कर गहन जांच शुरू कर दी है।
जानकारी के अनुसार, पीड़ित कंपनी एग्रीमार्ट केमिकल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का कार्यालय स्वर्ण नगरी में स्थित है। कंपनी के निदेशक सहदेव ने नॉलेज पार्क-5 में गैलेक्टिक सिटी साइबर हब-1 प्रोजेक्ट में ऑफिस स्पेस खरीदने का मन बनाया। साइट पर उनकी मुलाकात कंपनी के कर्मचारियों रमन नागर और अंकित कुमार से हुई। कर्मचारियों ने सहदेव को आश्वस्त किया कि प्रोजेक्ट निर्माणाधीन है और अगले 3-4 महीनों के भीतर पूरा होकर कब्जा दे दिया जाएगा।

इन आश्वासनों पर भरोसा करते हुए, सहदेव ने 500 वर्गफीट का ऑफिस स्पेस खरीदने का निर्णय लिया। उन्होंने शुरुआत में 21,000 रुपये बुकिंग राशि के तौर पर जमा किए। इसके बाद कंपनी को दो चेक के माध्यम से 16.90 लाख रुपये का भुगतान किया गया, जिससे कुल अदा की गई राशि 17.11 लाख रुपये हो गई। बिल्डर ने सहदेव के नाम पर प्रोविजनल अलॉटमेंट फॉर्म भी जारी किया था।
हालांकि, चार से पांच महीने बीत जाने के बाद भी जब सहदेव ने कब्जे की स्थिति जानने के लिए साइट का दौरा किया, तो उन्होंने पाया कि प्रोजेक्ट में कोई खास प्रगति नहीं हुई थी। कई बार पूछने पर कर्मचारियों ने सिर्फ टालमटोल की। अपनी परेशानी से तंग आकर, सहदेव ने हाल ही में (21 जून 2025 की तारीख मूल रिपोर्ट में दी गई है, जो संभवतः त्रुटिवश है और वर्तमान समय के संदर्भ में ‘हाल ही में’ के रूप में समझा जाएगा) फिर से साइट का दौरा किया। वहां उन्हें बिल्डर कंपनी के सभी निदेशक – रामवीर सिंह, अक्षित पोद्दार, सिद्धार्थ जैन, ऋषभ जैन, अभिनव जैन और पवन जैन – मौजूद मिले। जब पीड़ित ने अपने पैसे वापस मांगे, तो आरोपियों ने कथित तौर पर गाली-गलौज की, मारपीट की और उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी।

ईकोटेक-3 कोतवाली प्रभारी अजय कुमार ने बताया कि पीड़ित की शिकायत पर अदालत के आदेश के बाद प्राथमिकी (FIR) दर्ज कर ली गई है। पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है और तथ्यों के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह मामला बिल्डर-खरीदार संबंधों में विश्वासघात और धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों को उजागर करता है, जहां ग्राहकों को उनके निवेश के बदले में न तो संपत्ति मिलती है और न ही उनका पैसा वापस किया जाता है।



