उत्तर प्रदेश के कासना‑कोतवाली में स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) के निदेशक, आयुर्विक डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के विरुद्ध न्यायालय के आदेश पर मामला दर्ज किया गया है। 14 वर्षीय अभिमान यादव की एपनडिक्स सर्जरी के दौरान “गलती से नस कटने” से रक्तस्राव और उसके बाद हुई मृत्यु को ‘कथित चिकित्सकीय लापरवाही’ का आरोप लगाया गया है।
घटनाक्रम का विस्तृत विवरण
- गाज़ियाबाद निवासी सोनू यादव के 14 साल के बेटे अभिमान को मई‑2024 में लगातार पेट दर्द की शिकायत हुई। ग़ैर‑विशिष्ट जाँच में डॉक्टरों ने उसे एपनडिक्स की बीमारी (एपनडिसाइटिस) के रूप में निदान किया।
- भर्ती : 3 जुलाई 2024 को अभिमान को कासना‑कोतवाली स्थित जिम्स में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों ने अभिमान के पिता को आश्वासन दिया कि “यह एक साधारण ऑपरेशन है, रोगी जल्द ही स्वस्थ हो जाएगा”।
- ऑपरेशन : 5 जुलाई की सुबह अभिमान को ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया। सर्जरी के दौरान “गलती से नस कटने” की सूचना मिली और रक्तस्राव तीव्र हो गया। डॉक्टरों ने अभिमान के पिता से तत्काल रक्तदान करवाने का आग्रह किया।
- रक्तदान एवं सूचना‑अभाव : पिता ने आसपास के रक्तदाताओं से रक्त प्राप्त कर दिया, परन्तु दोपहर 3:30 बजे तक अभिमान की स्थिति के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। डॉक्टरों ने लगातार “स्थिति स्थिर है” जैसा भ्रमित करने वाला उत्तर दिया।
- आपातकालीन कॉल : असंतोष के कारण अभिमान के पिता ने 112 (इमरजेंसी) पर कॉल कर पुलिस की सहायता मांगी। पुलिस ने तुरंत चिकित्सकों को पूछताछ के लिये बुलाया।
- मृत्यु की सूचना : शाम तक डॉक्टरों ने बताया कि “गलती से रक्तस्राव के कारण अभिमान की मृत्यु हो गई है”। पिता ने तत्काल न्यायालय में शरण ली।
कोतवाली थाने की पुलिस ने इस मामले को दर्ज किया, परन्तु 27 जुलाई 2024 को कासना‑कोतवाली न्यायालय ने “साक्ष्य‑आधारित” रिपोर्ट को देखते हुए निदेशक डॉ. अजय कुमार, आयुर्विक प्रमुख डॉ. संजय सिंह, तथा तीन नर्सिंग स्टाफ के विरुद्ध आपराधिक मामला (धारा 304 – ‘घातक लापरवाही’) दाखिल करने का आदेश दिया।
कोतवाली विभाग के प्रभारी, धर्मेंद्र शुक्ला ने पत्रकार सम्मेलन में कहा, “जांच में पाया गया कि ऑपरेशन के दौरान प्रयुक्त उपकरणों की जाँच नहीं की गयी थी, तथा रक्त की कमी को रोकने हेतु उपयुक्त इमरजेंसी किट उपलब्ध नहीं थी। इन तथ्यात्मक चूकों के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।”




