राजनीति के गलियारों से : कैसे कांग्रेस द्वारा भाजपा कार्यालय का घेराव बना दोनों जिलाध्यक्षो की मुसीबत, क्यूँ एक प्राधिकरण के सीईओ का गर्ममिजाज़ बिगाड़ रहा है मुख्यमंत्री का चुनावी खेल और जानिए कैसे एक विधायक ने निबटाये अपने विरोधी

आशु भटनागर
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आशु भटनागर। राजनीति के गलियारों से में पहली कथा जिले में कांग्रेस और भाजपा दोनों के जिलाध्यक्षों की बेबसी की है, राजनैतिक समझ की है । हुआ ये कि पार्टी के निर्देश पर गौतम बुध नगर कांग्रेस जिला अध्यक्ष ने घोषणा करी कि वह नियत समय पर पहुंच कर भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय का घेराव करेंगे ऐसे में अगले दिन नियत समय पर मुश्किल 50 कार्यकर्ताओं के साथ (माफ कीजिएगा 50 नेताओं के साथ कार्यकर्ता तो गौतम बुद्ध नगर कांग्रेस के पास है ही नहीं) तिलपता स्थित भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय पर पहुंचे और किसी तरीके से पार्टी के निर्देश को निपटाया मगर कांग्रेस जिला अध्यक्ष से ज्यादा बेबसी भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष के दिखाई दी जब यह पता लगा कि जिलाध्यक्ष तो उस दिन कार्यालय तो कार्यालय, शहर ही छोड़कर चले गए । लोगों में चर्चा हैं कि स्वस्थ लोकतंत्र में विरोध का स्वागत करने के लिए प्रतिपक्ष को खड़ा होना चाहिए था किंतु आजकल की राजनीति जिस तरीके से हो रही है उसमें जिला अध्यक्ष का शहर छोड़ कर जाना राजनीति के गिरते स्तर की कहानी कह रहा है। कहने वाले तो यहां तक कह गए जब कांग्रेस और भाजपा दोनों के जिलाध्यक्षों को ही यह पता है कि उनकी राजनीति आजकल सिर्फ पार्टी के शीर्ष नेताओं की अनुकंपा पर चल रही है उसमें जनता के सरोकारों से कोई मतलब नहीं है तो ऐसी घटनाएं होती रहती है । वैसे भी जिले में लोकतंत्र का क्या है वो तो वैसे भी अंतिम सांस गिन ही रहा है।

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राजनीति के गलियारों की दूसरी कथा जिले के ही “टी सीरीज” के एक विधायक के राजनैतिक जलवे की कहानी है तो कैसा यह हुआ कि पिछले विधानसभा चुनाव में “टी सीरीज” के इन विधायक के खिलाफ लड़े “जी सीरीज” के एक आम नेताजी बदलती बयार में अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये, किंतु मन में इच्छाएं वही थी जहां चुनाव से पहले या थी यानी उस क्षेत्र से विधायक बनना। किन्तु अब एक ही पार्टी में रहकर विधायक की तैयारी तभी हो सकती है जब वर्तमान “टी सीरीज” के विधायक का टिकट कटे और उनको टिकट मिले इसके लिए नेताजी ने दिन-रात एक कर दिए और जो भी भाजपा में किसी बड़े नेता से मिलवाने की बात कहता मिला उसी के साथ हो लिए । ऐसे ही एक घटना के चलते वह लखनऊ में डिप्टी सीएम के यहां जा पहुंचे साथ में वह कथित बड़ी पहुंच वाला नेता भी था किंतु इस बार “टी-सीरीज” के वर्तमान विधायक सख्त हो गए और उन्होंने मौका देखते ही बिसात पलट दी। विधायक जी ने अपने संपर्क को के जरिए डिप्टी सीएम के कार्यालय तक के बाद पहुंचा दी कि कथित तौर पर किसी प्रदेश अध्यक्ष का जन् प्रतिनिधि बताने वाला यह दलाल फर्जी है । बस फिर क्या था डिप्टी सीएम के कार्यालय के निर्देश पर उक्त जनप्रतिनिधि के साथ साथ टिकट चाह रहे “जी सीरीज” के नेताजी भी लपेटे में ले लिए । बड़ी मुश्किल से जुगाड़ लगाकर लखनऊ के थाने में अपने आप को केस से वापस निकलवा कर “जी सीरीज” के नेताजी सरपट वापस जिले में आ गए हैं और अब ये पता कर रहे है कि उनकी थाने में खड़े होने की तस्वीर उनसे पहले कैसे जिले में आ गई। इधर “टी-सीरीज” के विधायक फिर से मंद मंद मुस्कुरा रहे हैं, रील बना रहे है, पॉड कास्ट में इंटरव्यू दे रहे है ।

राजनीति के गलियारों से तीसरी कथा जिले में मौजूद एक प्राधिकरण के सीईओ की गर्ममिजाजी और बेबसी की भी है । हुआ यह है कि इस प्राधिकरण में बीते 15 दिन में में प्रमोशन के बाद दो एसीईओ बनाये गए है जिसके बाद प्राधिकरण में कुल तीन एसीईओ हो गए हैं । ऐसे में स्वयं रिटायरमेंट के बाद 1 वर्ष की पुनरनियुक्ति पर चल रहे सीईओ के लिए विभागों का बंटवारा जी का जंजाल बन गया है। 10 दिन की देरी के बाद किसी तरीके से बंटवारा तो हुआ है किंतु अब इससे उपजी राजनीति प्राधिकरण के में उनके अधीनस्थों को असहज कर दे रही है, फिलहाल चर्चा ये है कि अगर बटवारा सही नहीं हुआ तो विद्रोह अंदर से बाहर भी दिखाई दे सकता है । प्राधिकरण में चर्चा है कि 6 महीने बाद भी सीईओ अभी तक प्राधिकरण की कार्यशैली में रम नहीं पाए हैं, लोगो के आरोप हैं वो कभी भी किसी पर भी फायर हो जाते हैं, सेवानिवृत्त होने से पहले के अपने कथित इमानदार और सख्त स्वभाव के किस्सों से अप्रत्यक्ष तोर पर धमका देते है। जिले का एक गरीब,ईमानदार और चर्चित दलित एक्टिविस्ट तो बीते दिनों उनके दुर्व्यवहार से आहत होकर मायावती की सरकार होने पर देख लेने की बाते तक कहता दिख रहा है। चर्चा है कि वह आज तक स्वयं को जिलाधिकारी समझकर फैसला कर रहे हैं। जबकि जिलाधिकारी वाली गर्ममिजाजी से प्राधिकरण की कार्यशैली एकदम उलट है जिसके चलते उनके प्राधिकरण में उछलकूद तो खूब हो रही है किंतु अब कार्यों में प्रगति होती नहीं दिख रही है। आम आदमी तो छोडिये किसानो से लेकर बिल्डर और उद्योगपति तक बार-बार लखनऊ जाकर अपनी अपनी पहुँच में शिकायत कर रहे हैं और कह रहे हैं कि उनके यही मिजाज रहे तो 2027 से पहले ना एयरपोर्ट चलेगा, न फिल्मसिटी शुरू होगी न ही मेडिकल डिवाइस पार्क या अपेरल पार्क जैसे व्यावसायिक क्लस्टर शुरू हो पाएंगे। और अगर यह सब नहीं होगा तो 2027 के चुनाव में मुख्यमंत्री प्रदेश की जनता के सामने समक्ष क्या विकास की बातें करेंगे ।

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आशु भटनागर बीते 15 वर्षो से राजनतिक विश्लेषक के तोर पर सक्रिय हैं साथ ही दिल्ली एनसीआर की स्थानीय राजनीति को कवर करते रहे है I वर्तमान मे एनसीआर खबर के संपादक है I उनको आप एनसीआर खबर के prime time पर भी चर्चा मे सुन सकते है I Twitter : https://twitter.com/ashubhatnaagar हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I एनसीआर खबर पर समाचार और विज्ञापन के लिए हमे संपर्क करे । हमारे लेख/समाचार ऐसे ही सीधे आपके व्हाट्सएप पर प्राप्त करने के लिए वार्षिक मूल्य(रु999) हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये देकर उसकी डिटेल हमे व्हाट्सएप अवश्य करे