उत्तर प्रदेश के महत्वाकांक्षी और बहुप्रतिक्षित नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन एक बार फिर स्थगित हो गया है। उद्घाटन को लेकर महीनों से चल रही तैयारियों और राजनीतिक उम्मीदों पर ब्रेक लगाते हुए नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने एयरपोर्ट संचालन के लिए आवश्यक एरोड्रम लाइसेंस जारी करने से इंकार कर दिया है।
जानकारी के अनुसार, BCAS की टीम ने एयरपोर्ट का निरीक्षण करते समय कई अधूरे कार्य पाए। इनमें परिधि चारदीवारी पर तार लगाने का काम, कुछ महत्वपूर्ण स्थानों पर CCTV कैमरों की कमी, वॉच टावर और इमरजेंसी निकास द्वार में मानकों के अनुरूप सुधार, और अन्य सुरक्षा उपकरणों की स्थापना जैसे कार्य अधूरे थे।
खामियों की सूची DGCA को भेजे जाने के बाद स्पष्ट हो गया कि एयरपोर्ट का एरोड्रम लाइसेंस फिलहाल जारी नहीं हो सकता। इसके चलते उद्घाटन की सभी तैयारियों पर रोक लग गई।
राजनीतिक स्तर पर गुमराह करने के आरोप
सूत्रों के मुताबिक, उद्घाटन को लेकर जिम्मेदार एजेंसियों और निर्माण कंपनी यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रा. लि. पर आरोप है कि उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कार्य पूर्ण होने की गलत सूचना दी।
नवंबर के अंत तक निर्माण कार्य पूरा करने का आश्वासन देकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक 9 दिसंबर को उद्घाटन तिथि तय करने का संदेश भेजा गया। एयरपोर्ट परिसर में प्रधानमंत्री की जनसभा के लिए पंडाल लगने, कुर्सियां सजने तक की तैयारियां हो गई थीं। लेकिन अंतिम निरीक्षण में फिर वही पुरानी सुरक्षा खामियां सामने आ गईं।
2026 में भी देरी तय!
मुख्यमंत्री को भेजी गई रिपोर्ट के बाद यह तय हो गया है कि अब एयरपोर्ट का उद्घाटन कम से कम जनवरी 2026 से पहले संभव नहीं है।
दरअसल, 16 मार्च से खरमास प्रारंभ हो रहा है, जिसके दौरान धार्मिक मान्यताओं के चलते कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। इससे उद्घाटन की संभावित नई तारीख अब 26 जनवरी के बाद ही तय की जा सकेगी।

जुर्माना और वित्तीय दबाव से बढ़ी जल्दबाजी
विशेषज्ञों का मानना है कि उद्घाटन को लेकर निर्माण कंपनी पर वित्तीय दबाव सबसे बड़ा कारण है।
स्विस कंपनी ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल AG के तहत काम कर रही यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रा. लि. को अनुबंध के मुताबिक संचालन के शुरुआती आठ वर्षों में (सितंबर 2024 से शुरू) मोरेटोरियम पीरियड के दौरान कोई भुगतान नहीं करना होगा, लेकिन उसके बाद प्रति यात्री ₹400.97 नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लि. को देने होंगे।
साथ ही सितंबर 2024 से निर्माण में देरी के लिए प्रतिदिन ₹10 लाख का जुर्माना भी लगाया जा रहा है। यही कारण है कि कंपनी हर संभव तरीके से उद्घाटन जल्दी कराने के प्रयास में थी, भले ही सुरक्षा मानकों से समझौता करना पड़े।
मुख्यमंत्री के निर्देशों की अनदेखी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नवंबर में एयरपोर्ट का दौरा किया था। इस दौरान BCAS और CISF अधिकारियों ने सुरक्षा खामियां बताईं और तुरंत सुधार के निर्देश दिए गए। लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार, निर्माण कंपनी यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रा. लि. सुरक्षा खामियों को दूर करने के बजाय उद्धाटन की तैयारियों में उलछी रही। प्रधानमंत्री कार्यालय से तिथि मिलने से पहले ही जनसभा के लिए टेंट तंबू, मंच के अलावा सोफा और कुर्सीयों को लगावाने में व्यस्त हो गई।निर्माण एजेंसी की कमी चलते किरकिरी का सामना करना पड़ा है।
जनता और सरकार के लिए निराशाजनक खबर
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को लेकर प्रदेश वासियों में लंबे समय से उत्साह था। इसे एशिया के सबसे बड़े और अत्याधुनिक हवाईअड्डों में से एक बनाने का दावा किया जा रहा है। एयरपोर्ट के संचालन से पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के आर्थिक विकास को नई दिशा मिलने की उम्मीद थी।
लेकिन लगातार बढ़ती उद्घाटन तिथियों की अनिश्चितता और सुरक्षा मानकों को लेकर लापरवाही ने सरकार और संबंधित एजेंसियों की छवि पर सवाल खड़े किए हैं।
एक्सपर्ट ने चेतावनी दी हैं कि यदि सुरक्षा मानकों को प्राथमिकता नहीं दी गई तो आगे भी लाइसेंस जारी होने में देरी हो सकती है। DGCA और BCAS दोनों ही अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सुरक्षा इंतजाम पूरे होने तक अनुमति नहीं देंगे।
इसके साथ ही ठेकेदार कंपनी को प्रतिदिन बढ़ते जुर्माने और स्थगित निवेश से वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट परियोजना, जो उत्तर प्रदेश के लिए एक माइलस्टोन मानी जा रही थी, फिलहाल ठहराव की स्थिति में आ गई है। उद्घाटन में देरी ने न केवल जनता की उम्मीदों को झटका दिया है, बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि अधूरी तैयारी और सुरक्षा मानकों की अनदेखी किसी भी बड़े बुनियादी ढांचे के प्रोजेक्ट को अटका सकती है।



