नोएडा प्राधिकरण में जनसुनवाई और पारदर्शिता को लेकर चल रही कवायद को उस समय बड़ा झटका लगा जब मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) लोकेश एम ने IGRS (एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली) मामलों के निपटारे में घोर लापरवाही बरतने वाले 8 वरिष्ठ अधिकारियों का वेतन अगले आदेश तक रोक दिया। यह कार्रवाई उन अधिकारियों के खिलाफ की गई है जिनके पास 12 से अधिक IGRS प्रकरण निस्तारण हेतु लंबित हैं, और जिन्हें लगातार चेतावनी के बावजूद ‘डिफॉल्टर’ घोषित किया गया।
प्राधिकरण सूत्रों के अनुसार, CEO लोकेश एम ने IGRS मामलों के निस्तारण में अधिकारियों द्वारा लगातार बरती जा रही लापरवाही पर सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने कई बार इन मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाने के निर्देश दिए थे, लेकिन उनके आदेशों के बाद भी अधिकारियों ने इन महत्वपूर्ण जनहित के मामलों को गंभीरता से नहीं लिया।

क्यों गिरी गाज?
IGRS उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नागरिकों की शिकायतों को प्रभावी ढंग से और समयबद्ध तरीके से निपटाने के लिए शुरू की गई एक महत्वपूर्ण प्रणाली है। नोएडा प्राधिकरण में इन मामलों का ढेर लगना सीधे तौर पर नागरिक सेवाओं में कमी और प्रशासनिक शिथिलता को दर्शाता है। CEO ने स्पष्ट किया है कि जिन अधिकारियों के पास 12 से अधिक IGRS शिकायतें लंबित पाई गईं, उन्हें तत्काल ‘डिफॉल्टर’ घोषित किया गया और उनके वेतन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है।
वेतन रोके गए अधिकारियों के नाम: इस कार्रवाई की जद में आए वरिष्ठ अधिकारियों में निम्नलिखित नाम शामिल हैं:

- क्रांति शेखर सिंह – विशेष कार्याधिकारी (ग्रुप हाउसिंग)
- अरविन्द कुमार सिंह – विशेष कार्याधिकारी (भूलेख)
- ए०के० अरोड़ा – महाप्रबंधक (सिविल)
- एस०पी० सिंह – महाप्रबंधक (सिविल)
- आर०पी० सिंह – महाप्रबंधक (जल)
- मीना भार्गव – महाप्रबंधक (नियोजन)
- प्रिया सिंह – सहायक महाप्रबंधक (औद्योगिक)
- संजीव कुमार बेदी – सहायक महाप्रबंधक (आवासीय भूखंड)



