पूरे दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण को लेकर मचे हाहाकार के बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण निंद्रा से जागा और उन्होंने पूरे ग्रेटर नोएडा में जगह-जगह ग्रेप 4 के उल्लंघन कर रहे बिल्डरों और लोगों पर यथासंभव अर्थ दंड लगाया है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों की माने तो एक हफ्ते में लगभग 100 कम्पनियों ओर लोगों पर सवा करोड़ का अर्थ और लगाया जा चुका है ।
किंतु प्रश्न अर्थ दंड की राशि ओर इसे करने वाले लोगों या कंपनियों की संख्या से अधिक इस बात का है कि आखिर इस सब के बावजूद शहर के बड़े बिल्डरों और लोगों में प्रदूषण को लेकर कोई भय या चेतना क्यों नहीं है। क्या 10000 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट कर रहे इन बिल्डरों को 5 लाख 10 लाख रुपए के इस अर्थ देने से कोई फर्क पड़ता भी है, खास तौर पर जब उनको यह अर्थ दंड किसी भी तरीके से भरना नहीं पड़ रहा है ।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट की राधा स्काई गार्डन सोसाइटी में रहने वाले निवासी की माने तो नोएडा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा लगाए गए इन अर्थदंड की वसूली का रेशियो 1% भी नहीं है । ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में बिल्डर बेलगाम है यही कारण है कि शहर में प्रदूषण के कारण लगने वाली पेनल्टी तो बहुत छोटी सी बात है । प्राधिकरण द्वारा सीवर से लेकर लिफ्ट तक के अधूरे मामलों पर लगाए गए अर्थदंड की वसूली भी संभव नहीं हो पाती है ऐसे में कागजों में कार्यवाही करके प्राधिकरण के अधिकारी भले ही अपनी पीठ थपथपा लें किंतु शहर में बिल्डरों का आतंक बदस्तूर जारी है।
यही कारण है कि तमाम प्रयासों के बावजूद न तो ग्रेटर नोएडा में बिल्डरों द्वारा प्रदूषण के नियमों के पालन करने में कोई तत्परता दिखाई जाती है ना ही लिफ्ट से लेकर सीवर तक के मामलों पर कोई समाधान दिखाई देता है।

सच तो यह है कि प्राधिकरण के शीर्ष अधिकारी कितना भी दावा करें किंतु लोकल स्तर पर कार्य कर रहे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के ही कर्मचारी उनके दावों की हवा निकाल देते है और इन अर्थदंड के जरिए बिल्डर से अपनी कमाई में लग जाते हैं बिल्डर और अधिकारियों के इसी शॉर्टकट के चलते शहर में लोगों के बीच प्राधिकरण की साख पर प्रश्न उठते हैं और समस्या जस की तस रहती है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को निश्चित तौर पर ऐसी समस्याओं पर प्रभावशाली वसूली तय करने की आवश्यकता है । उसके लिए लंबे समय तक बिल्डर के आने का इंतजार इस अर्थदंड को प्रभावहीन कर देता है और जब तक बिल्डरों में प्राधिकरण के लगाए डंडों का वह उत्पन्न नहीं होगा वह ऐसे ही लगातार उल्लंघन करते रहेंगे।



