राजेश बैरागी I ग्रेटर नोएडा और नोएडा में औद्योगिक गतिविधियों की शुरुआत होने से बरसों पहले नोएडा दादरी मेन रोड पर सूरजपुर क्षेत्र में स्थापित हुई एक विशाल औद्योगिक इकाई प्रमोटर्स और नामचीन वित्तीय संस्थानों की गलत नीयत के चलते न केवल बंद हो गई बल्कि कानूनी पचड़े में भी फंस गई। इससे क्षेत्र के हजारों लोगों को बेरोजगार होना पड़ा। हालांकि उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) ने अपने लगभग आठ अरब रुपए बकाया रहने तथा लीज डीड की शर्तों का उल्लंघन होने के कारण इस औद्योगिक इकाई को आवंटित 204 एकड़ भूमि पर वापस कब्जा हासिल कर लिया है। वर्तमान में इस भूखंड की कीमत 12 अरब रुपए से अधिक बताई जा रही है।
यहां बात हो रही है जनपद गौतमबुद्धनगर (पहले जनपद गाजियाबाद क्षेत्र) की सबसे बड़ी औद्योगिक इकाई डीसीएम टोयोटा की। हालांकि 1982 में जब यूपीसीडा ने इस कंपनी को 825612 वर्गमीटर यानि 204 एकड़ भूमि आवंटित की,तब नोएडा का जन्म हो चुका था परंतु वहां औद्योगिक गतिविधियां नाममात्र ही थीं। वैसे भी नोएडा की स्थापना बड़ी औद्योगिक इकाइयों को उनके उत्पादन में उपयोग होने वाले छोटे पुर्जे तथा जरूरी सर्विस देने वाली सूक्ष्म औद्योगिक इकाइयों के उद्देश्य से की गई थी। डीसीएम टोयोटा यहां और आसपास के क्षेत्र में स्थापित होने वाली सबसे बड़ी औद्योगिक इकाई थी। इसमें बड़े ट्रकों के स्थान पर बहुउपयोगी छोटे मिनी ट्रक का उत्पादन किया गया जिसने सदियों पुरानी ट्रकों की दुनिया ही बदल कर रख दी।
इस जापानी टोयोटा कंपनी और भारतीय दिल्ली क्लॉथ मिल डीसीएम के संयुक्त उपक्रम ने न केवल नाम कमाया बल्कि अच्छा मुनाफा भी प्राप्त किया। इससे स्थानीय सहित देश भर के हजारों लोगों को रोजगार मिला। इस कंपनी द्वारा यूपीसीडा की अनुमति से 1989 में आईसीआईसीआई बैंक से ऋण लेकर उत्पादन शुरू किया।दस वर्ष बीतने पर कंपनी के हिस्सेदारों के बीच मतभेद उत्पन्न होने से यह कंपनी कोरिया की ऑटोमोबाइल क्षेत्र की बड़ी कंपनी देवू द्वारा अधिग्रहीत कर ली गई।देवू द्वारा यहां कार उत्पादन शुरू किया गया परंतु कोरिया में कंगाल घोषित होने का असर इस कंपनी पर भी पड़ा और अंततः क्षेत्र की इस सबसे बड़ी औद्योगिक इकाई पर ताला लटक गया।यूपीसीडा का इस कंपनी पर स्वामित्व परिवर्तन तथा लीज रेंट आदि मदों में सात अरब रुपए से अधिक बकाया चल रहा था जिसे किसी भी प्रमोटर्स द्वारा चुकाया नहीं गया था।
इस बीच आईसीआईसीआई बैंक ने बगैर अनुमति लिए अपने यहां बंधक इस कंपनी को निजी वित्तीय संस्थान आरसिल को बेच दिया। मामला मुंबई स्थित ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) में चला गया। वहां यूपीसीडा द्वारा पुरजोर तरीके से अपना पक्ष रखा गया। मुख्य कार्यपालक अधिकारी मयूर माहेश्वरी के निर्देश पर क्षेत्रीय प्रबंधक अनिल कुमार शर्मा ने महीनों मुंबई जाकर यूपीसीडा के हितों की रक्षा के लिए पैरवी की। परंतु डीआरटी से अपेक्षित राहत मिलती न देख यूपीसीडा द्वारा लीज डीड में वर्णित शर्तों का मंथन किया गया। डीसीएम टोयोटा को की गई लीज डीड और स्वामित्व परिवर्तन के बाद बनी डीसीएम देवू की शर्तों तथा आईसीआईसीआई बैंक को बंधक रखने के लिए तय की गई शर्तों के मंथन से निकले सार के आधार पर यूपीसीडा बोर्ड ने अपनी 46वीं बैठक में 23 जुलाई 2024 को इस इकाई को आवंटित 204 एकड़ के भूखंड का आवंटन निरस्त करने का निर्णय लिया।
यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण आवासीय भूखण्ड योजना (RPS08[A]/2024) का लकी ड्रा
LIVEबोर्ड के निर्णय के अनुपालन में क्षेत्रीय प्रबंधक द्वारा उक्त भूखंड संख्या ए-1, औद्योगिक क्षेत्र सूरजपुर साइट-ए का आवंटन निरस्त करने,लीज डीड भंग करने के साथ ही भूखंड का भौतिक कब्जा भी प्राप्त कर लिया गया। क्षेत्रीय प्रबंधक अनिल कुमार शर्मा ने बताया कि निजी वित्तीय संस्थान आरसिल इस भूखंड को गलत तथ्यों के आधार पर मात्र तीन चार अरब में हासिल करने की कोशिश कर रहा था। स्वयं यूपीसीडा ने उसके ऋण के भुगतान के लिए अपने ही भूखंड को ऊंची बोली देकर नीलामी में खरीदने का प्रस्ताव दिया था परंतु खराब नीयत के चलते यूपीसीडा के प्रस्ताव की अनदेखी की गई।