क्या किसी को शुभकामना देना भी किसी के दुख का कारण हो सकता है ? क्या आपका प्रचार का मोह अब नोएडा जैसे शहर के अधिकारियों को भी दुखी करने लगा है। सामाजिक, राजनीतिक दबाव की मजबूती या फिर यूं कहें की शहर में प्रभावशाली लोगों द्वारा किए जा रहे ऐसे कार्यों से परेशान नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी अब इन पर कार्यवाही करने की जगह सोशल मीडिया पर इनको प्रेम से समझा कर इस परिपाटी को बदलना चाहते हैं ? प्रश्न यह है कि आखिर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी को पूरे नोएडा भर में लगाए गए होली के शुभकामना पोस्टर्स का फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर अपील क्यों करनी पड़ी ।

इससे पहले नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी का मंतव्य समझे पहले हमें यह समझना पड़ेगा कि नोएडा में प्रचार के क्या साधन है और किस तरीके से लोग उसको अंजाम दे रहे हैं दरअसल नोएडा प्राधिकरण में विज्ञापनों के लिए एक पॉलिसी बनाई गई है जिसको बाकायदा आउटडोर एडवरटाइजिंग कहा जाता है। प्राधिकरण इसके लिए चयनित स्थानों पर विज्ञापन के स्थान के लिए टेंडर इनवाइट करता है और उन्हें एजेंसियों के जरिए शहर में एक खास तरीके से ही विज्ञापन लगाने की अपेक्षा की जाती है ।

उत्तर प्रदेश का प्रमुख शहर होने के चलते शहर को सुंदर रखने की जिम्मेदारी नोएडा या ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के साथ-साथ शहर के निवासियों की भी है । किंतु अक्सर विभिन्न त्योहार या चुनाव के समय या फिर अपने व्यवसाय के विज्ञापन के लिए लोग निश्चित स्थान की जगह अवैध तौर पर विज्ञापन टांग देते हैं इसके लिए बिजली के खम्बो से लेकर किसी खास चौराहे के चारों तरफ विज्ञापन लगा दिए जाते हैं । इससे जहां एक और शहर की सुंदरता खराब होती है वहीं दूसरी ओर नोएडा या ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को भी राजस्व का नुकसान होता है । व्यवसायिक विज्ञापनों पर नोएडा या ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अतिक्रमण कहकर उन पर दंड की कार्यवाही करता है । किंतु सामाजिक और राजनीतिक शुभकामनाओं पर नोएडा प्राधिकरण मजबूर हो जाता है और इसी मजबूरी पर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी इंदु प्रकाश सिंह ने बाकायदा ने सोशल मीडिया पर लिखकर लोगों से ऐसा न करने की अपील की है । उन्होंने कहा डिजिटल कैसे जमाने में इस प्रकार बधाई का संदेश देने से जितना बचा जाए उतना ही अच्छा होगा क्योंकि शहर गंदा होता है और शहर आपका ही तो है ।
ऐसे में शहर के समाज सेवी और राजनेता नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों कई संदेश किस रूप में लेंगे यह होली के बाद अब नवरात्रों के त्यौहार के समय पता लगेगा अगर फिर से ऐसे ही पोस्टर्स दिखाई दिए तो यह माना जाएगा कि शहर के समाज सेवी और राजनेता ही इस शहर को स्वच्छ और सुंदर नहीं रखना चाहते हैं ।