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ग्राउंड रिपोर्ट : अजनारा होम्स सोसायटी में गंदे पानी और कूड़े की समस्या के बाद उठे प्रश्न, बिल्डर के सहारे छोड़ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के जल ओर हेल्थ विभाग कर्मचारी बजा रहे चैन की बंसी

अतुल श्रीवास्तव । 5 दिन में दूषित पानी से 600 लोगों से ज्यादा के बीमार होने के बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के हेल्थ डिपार्टमेंट ने बुधवार को एक्शन लेते हुए साफ सफाई ना होने पर पर भी अर्थ दंड लगाया । अजनारा होम्स की ताजा जानकारी के अनुसार प्राधिकरण के स्वास्थ्य विभाग ने भले ही अर्थ दंड लगा दिया हो किंतु आज शुक्रवार तक भी सोसाइटी में समस्याओं का समाधान नहीं हो सका है सफाई को लेकर अवस्थाएं अभी तक मानको के अनुरूप नहीं है पीने के पानी के लिए अभी भी सोसाइटी निवासी टैंकर से ही पानी ले पा रहे हैं । दुखद तथ्य यह है कि टैंकर से आने वाला पानी भी गंदा ही मिल रहा है जिसको लेकर अजनारा होम्स के लोगों ने मेंटेनेंस कार्यालय पर पहुंचकर बाल्टी में गंदा पानी दिखाकर प्रदर्शन भी किया ।

बिल्डर के साथ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के हेल्थ विभाग पर भी उठ रहे प्रश्न

लगातार अजनारा होम्स में होती दुर्गति पर लोग जहां एक और बिल्डरों को दोषी ठहरा रहे हैं वहीं अब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के स्वास्थ्य विभाग पर भी उंगलियां उतनी शुरू हो गई है । लोगों का कहना है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में स्वास्थ्य विभाग किसी बड़ी घटना के बाद ही क्यों जागता है  और हर बार सोसाइटी AOA या बिल्डर पर पेनल्टी लगाकर फिर से सो जाता है ।

आपको बता दें अजनारा होम से पहले ग्रेटर नोएडा वेस्ट में ही अरिहंत आर्डन, हवेलिया वैलेंसिया जैसी कई सोसाइटी में भी इस तरीके की शिकायत आई थी तब भी प्राधिकरण ने के अधिकारियों ने अपनी गर्दन बचाते हुए सोसाइटियों को ही जिम्मेदार बताया था।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी कर्मचारियों पर लोगों ने बिल्डरों से पानी और साफ सफाई के मुद्दे पर हो रहे इस खेल में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए है । निवासियों का दावा है कि बिल्डरों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के हेल्थ विभाग के कर्मचारियों के साथ पहले से ही सेटिंग कर रखी है ऐसे में हेल्थ विभाग नियमित चेकिंग के नाम पर कुछ करता ही नहीं और अगर कभी बिल्डरों के पास पहुंचता भी होता होगा तो ऑफिस से ही चाय नाश्ता करके लौट जाता होगा । इसलिए बिल्डरों के कागज भले ही पूरे हो किंतु लोग खराब पानी और कूड़े की समस्याओं से पूरे वर्ष भर परेशान रहते हैं। हेल्थ विभाग के नोटिस पर भी प्रश्न इसलिए उठ रहे हैं कि बताया जा रहा है कि कई बार बिल्डर को नोटिस दिया गया है।  ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है कि क्या बिल्डर ऐसे नोटिस को गंभीरता से लेता भी है या फिर निचले अधिकारियों से सेटिंग के चलते कुछ दिन बाद फिर सब कुछ ठीक है वाली स्थिति में आ जाएगा

ऐसे लोगों का कहना है कि अगर सोसाइटी में वाकई कहीं कोई काम नहीं हो रहा है पानी की सफाई नहीं हो रही है कूड़ा निस्तारण के काम मानको के अनुरूप नहीं हो रहे हैं तो यह जिम्मेदारी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों की है कि वह यह सुनिश्चित करें कि इन सोसाइटी में इस सभी कार्य मानकों के अनुरूप हो । शहर के लोगों ने आरोप लगाया कि दरअसल ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का स्वास्थ्य विभाग किसी भी तरीके की का औचक निरीक्षण करता ही नहीं है ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में डेढ़ सौ से ज्यादा सोसाइटी इस समय फंक्शनल हैं ऐसे में अगर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी हर महा 5 से 10 सोसाइटियों के औचक निरीक्षण कर रहे हो तब जाकर ऐसी स्थिति से बचा जा सकता है ।

प्राधिकरण के भ्रष्टाचार पर लोगों का दावा है कि लगभग 6 महीने पहले ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टर 1 के बिसरख गांव में अधिकारियों ने ही रोहिंग्याओं की एक ऐसी बस्ती को पकड़ा था जहां आसपास की सोसाइटियों से प्रतिदिन रात्रि कूड़े को लाकर रख दिया जाता था और बाद में उसी कूड़े को वहां से हटाने के बदले में प्राधिकरण के अधिकारियों से ही ठेका भी लिया जाता था ।

रोचक तथ्य यह भी था कि कार्यवाही के नाम पर लीपा पोती के बाद बिसरख क्षेत्र की ग्रीन बेल्ट में बनी ऐसी झुग्गियों को आज तक हटाया नहीं गया है

अवैध झुग्गियों की आड़ में बिसरख के नेताओं और भू माफिया की शह पर प्राधिकरण के अधिकारी एक तरफ जहां भ्रष्टाचार कर रहे हैं वही प्राधिकरण की ग्रीन बेल्ट और जमीन को कब्जाने के योजना में भी शामिल है । बिसरख ब्लॉक में ऐसी कई जगह हैं जहां कूड़े के छोटे-छोटे डंपिंग यार्ड बनकर जमीन घेरने की तैयारी की जाती है । दावा है कि शोर मचाने पर इन्हें साफ करने के साथ ही ग्रेटर प्राधिकरण के हेल्थ विभाग की जिम्मेदारी पूरी हो जाती है । वही प्राधिकरण के कई अधिकारियों का दावा है कि भाजपा के क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का दबाव अतिक्रमण हटाते समय उन पर आ जाता है जिसके चलते अक्सर अतिक्रमण की कार्यवाही दिखावे की रह जाती है और प्राधिकरण की कार्यवाही की अगले दिन से ही फिर से अवैध निर्माण शुरू हो जाता है

अंत में एक बार फिर से प्रश्न वहीं आ जाता है की अजनारा होम्स के बहाने क्या ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के शीर्ष अधिकारी ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सोसाइटी में चल रहे हेल्थ विभाग के कर्मचारियों ओर बिल्डर के इस गोरख धंधे पर कोई गंभीर एक्शन लेंगे या फिर निवासी ऐसे ही राम भरोसे अपनी जिंदगी को दाव पर लगाते रहेंगे ।

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