जनपद गौतमबुद्धनगर में जिला स्तरीय कार्यबल टास्क फोर्स द्वारा अवैध खनन/परिवहन के विरुद्ध संयुक्त रूप से प्रवर्तन कर कार्यवाही निरंतर की जा रही है, जिससे अवैध खनन करने वालों में दहशत का माहौल है। सरकारी समाचार समाप्त हुए ।
दनकौर में खनन माफियाओं के विरुद्ध अवैध रूप से हो रही मिट्टी के खनन के विरुद्ध यमुना प्राधिकरण के सुरक्षा निगरानी टीम द्वारा पुलिस में गाड़ी पलटन ओर जान से मारने की धमकी की शिकायत पर स्थानीय पुलिस द्वारा मात्र गाली गलौज के अपराध में एफ आई दर्ज कर दो मजदूरों की गिरफ्तारी पर एक दिन बाद जिला खनन अधिकारी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति को पढ़ने मात्र से ही 1 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार द्वारा उत्तर प्रदेश में सख्त कानून व्यवस्था के बावजूद लोकतंत्र के मूल स्तंभों के संरक्षण में पल रहे नए नवेले माफियाओं की बात याद आ गई । क्या डीजीपी प्रशांत कुमार इसी सब की बातें कर रहे थे ? क्या सख्त कार्यवाही और दहशत के माहौल की बात करके बड़े खनन माफिया को बचाने कोशिश की जा रही है ?
अगर क्षेत्र में कुछ भी गलत नहीं हो रहा है तो क्या यमुना प्राधिकरण की गाड़ी पलटने और जान से हमले की घटना को मात्र गाली गलौज में बदल कर हुई एफ आई आर से खनन माफियाओं में सच में कोई दहशत हो सकती है । प्रश्न यमुना प्राधिकरण द्वारा शिकायत में नाम लेकर दिए मूल आरोपी के स्थान पर झांसी से मजदूरी करने आए दो मजदूरों की गिरफ्तारी पर भी उठ रहा है। किंतु सबसे बड़ा सवाल जिला खनन विभाग की तरफ से दी गई सरकारी विज्ञप्ति पर है ।
सरकार में सब ठीक है वाली इस सोच से क्या वाकई जनता सच मान रही है या सरकारी दावों का सच भी जान रही है । क्या लगभग दिल्ली के बराबर हो चुके क्षेत्रफल वाले गौतम बुद्ध नगर में मात्र चार से पांच लोगों वाले जिला खनन कार्यालय की कार्यवाही से खनन माफिया में इतनी दहशत है और इसी दहशत के चलते पूरे जिले में अवैध खनन की घटनाएं नहीं हो रही है
विज्ञप्ति के दावे से अलग सरकार के ही यमुना प्राधिकरण, नोएडा पुलिस कमिश्नरेट और जिला खनन विभाग के बीच में एक घटना को लेकर अलग अलग रुख, सरकार में चल रहे विरोधाभास को दर्शा रहा है । वही इस पूरे प्रकरण पर कार्यवाही का मजाक बनकर रह जाने से नाराज यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ अरुण वीर सिंह ने इसको लेकर उच्च अधिकारियों से चर्चा करने की बात कही है ।
क्या डॉ अरुणवीर सिंह, नोएडा पुलिस कमिश्नरेट ओर जिला प्रशासन के उच्च अधिकारियों से बात करके जिले में प्राधिकरण, प्रशासन और पुलिस के बीच समन्वय और विश्वास की कमी को दूर कर पाएंगे या सरकार के तीन अंगों के बीच टकराव कई नए आयाम सामने आएंगे ।
क्या जमीनी सच से इतर नोएडा पुलिस ओर जिला खनन अधिकारी ऐसे ही सरकारी फाइलों में जिले का माहौल गुलाबी बताते रहेंगे और क्या जिले की जनता इसे सच मानती रहेगी, आखिर इस अधूरे सच को स्वीकार कौन करेगा