गौतम बुध नगर में इन दिनों नेताओं की फजीहत का दौर चल रहा है । पहली घटना में जिले में अपनी हिंदू (खास तौर पर ब्राह्मण) विरोधी सोच के लिए प्रसिद्ध नेताजी जब पार्टी से अलग अपने ही समाजवाद को स्थापित करने के चक्कर में सोशल मीडिया पर अति कर गए तो बताया जा रहा है कि लखनऊ से उनके पेंच कस दिए गए । इशारों इशारों में समझा दिया गया कि पार्टी जितना दे रही है उससे आगे निकलकर कुछ ऐसा मत कर दीजिए जिससे 2027 में पार्टी को बड़ा नुकसान हो जाए । पार्टी को नुकसान होता दिखेगा तो 2027 के चुनाव में आपके टिकट की भी गारंटी नहीं बचेगी साथ ही भविष्य में राज्यसभा का सपना भी टूट सकता है।
बताया जा रहा है कि इतना सुनते ही नेताजी के क्रांतिकारी विचारों ने एकदम यूटर्न ले लिया है और अब माफीवीर बनकर सब जगह स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि वह हिंदुओं के विरोधी नहीं है, जाति विशेष का भी बहुत सम्मान करते हैं उस जाति में एक से बढ़कर एक विद्वान विचारक, साहित्यकार, पत्रकार, समाज सुधारक, क्रांतिकारी और देशभक्त हुए हैं। ऐसी जाति को गाली देना तो दूर की बात है मैं उसको अपशब्द, अपमानित करने की सोच भी नहीं सकता हूँ। फिर भी भूलवश कहीं गलती हो गई हो तो खुले मन से माफी मांगने को तैयार हूं ।
दूसरी घटना भी इन नेताजी के विरुद्ध चुनाव जीते चुके भाजपा के जनप्रतिनिधि की है। हुआ यूँ कि ग्रेटर नोएडा की सोसायटी में कार बैक करने से हुई टक्कर के प्रकरण में महिलाओं के बीच हुई लड़ाई और हाथापाई में नेताजी की सुपुत्री का भी नाम आ गया । विपक्ष के एक युवा नेता ने मामले को सोशल मीडिया में हाईलाइट कर दिया। मीडिया में भी इसको लेकर तमाम खबरें छपने लगी तो नेताजी के हाथों में फूल गए। बताया जा रहा है कि साम, दाम, दंड, भेद से मीडिया को मना कर, धमकाकर किसी तरीके से खबर को मैनेज किया गया । पर 2027 के चुनाव में टिकट को लेकर परेशान नेताजी यही नहीं रुके तुरंत अपने समर्थकों के साथ लखनऊ के लिए रवाना हो गए । बताया जा रहा है कि एक हफ्ते तक तमाम तरीके से कालीदास मार्ग पर परिक्रमा करने के बाद अब नेताजी शांत महसूस कर रहे है ।
तीसरी घटना भी भाजपा के अन्य जनप्रतिनिधि की है जहां इन दिनों कांग्रेस से भाजपा में आये जनप्रतिनिधि किसानो की समस्याओं को लेकर प्राधिकरण की नाक में दम किए हुए है । बताया जा रहा है कि नेताजी एक निजी प्रबंधन से चलने वाले स्कूल के लिए यमुना प्राधिकरण के सहयोग करवाने पहुंच गए । वहां मौजूद एक सजातीय अधिकारी ने इस पर नोट लगाकर उसको रोक दिया तो नेताजी दूसरे प्राधिकरण में उसे स्कूल के लिए सिफारिश करने पहुंच गए। बुरा यह हुआ कि वही अधिकारी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में ट्रांसफर होकर पहुंच गया उसने उस पर फिर नोट लगा दिया है । अब नेताजी सोच रहे हैं कि पहले इस निजी स्कूल का उद्धार करें या लखनऊ जाकर उस अधिकारी पर कोई सिफारिश करें ।