नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के नियमों का उल्लंघन करते हुए बिना शोधित सीवर जल का नाले में बहाव करने के मामले में नोएडा प्राधिकरण ने शुक्रवार को सेक्टर-74 स्थित सुपरटेक केपटाउन सोसायटी पर कड़ा कदम उठाया। प्राधिकरण ने सोसायटी के सीवर कनेक्शन को काटते हुए 35 लाख 80 हजार रुपये का भारी अर्थदंड लगाया है। इस कार्रवाई का मुख्य कारण पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन है, जिसमें जल अधिनियम 1974, वायु अधिनियम 1981, और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन कानून 2000 एवं 2016 शामिल हैं।
प्राधिकरण के जल खंड प्रथम के अधिकारी पवन वर्णवाल ने बताया, “हमने कई बार सोसायटी को सूचित किया कि उन्हें अपने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) को सक्रिय करना होगा, लेकिन उनकी लापरवाही जारी रही। निरीक्षण के दौरान हमने पाया कि सीवरेज जल तीन अलग-अलग स्थानों पर बिना शोधित किए मुख्य ड्रेन में बहाया जा रहा है।”
27 जून को प्राधिकरण के CEO डॉ. लोकेश एम ने इस सोसायटी का औचक निरीक्षण किया था। निरीक्षण में पाया गया कि सीवरेज जल पूरी तरह से अनशोधित था, जिसके बाद प्राधिकरण की जल खंड की टीम सक्रिय हुई और त्वरित कार्रवाई की गई। पवन वर्णवाल ने कहा, “यह न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह स्थानीय पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रहा है।”

इस लापरवाही के चलते अब तक आठ अन्य सोसायटियों पर भी जुर्माना और एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। जिलाधिकारी ने भूगर्भ जल विभाग के अधिकारियों से आग्रह किया है कि वे बारिश के दौरान आवासीय सोसायटियों और सरकारी भवनों में भूगर्भ जल रिचार्ज स्ट्रक्चर की स्थिति की गहन समीक्षा करें। जिन सोसायटियों द्वारा रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की रिपोर्ट नहीं दी जा रही है, उनके खिलाफ 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
स्थानीय निवासी और पर्यावरणविद, अमित गुप्ता ने कहा, “यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे हमारी सोसायटियों और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण को कम किया जा सकेगा। हमें अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए जिम्मेदार बनना होगा।”