राजनीति के गलियारों से पहली चर्चा इन दिनों गौतम बुद्ध नगर में विपक्ष की सबसे बड़ी समाजवादी पार्टी से है I जानकारी के अनुसार जिले में समाजवादी पार्टी में इन दिनों विद्रोह के बादल मंडरा रहे है I लोगो का आरोप है कि समाजवादी नेताओं ने अपने राजनैतिक जागरण के लिए अखिलेश यादव के आदेश तक को किनारे कर दिया है जिसमे उन्होंने एक अखबार के बहिष्कार की अपील की थी I दावा है कि उनको टोंटीचोर जैसे विशेषण देने के लिए उनके विरोधी राजनैतिक दल ने इसी अखबार के एक समाचार का सहारा लिया था जिसको गलत भावना से प्रकाशित किया गया था I पार्टी नेताओं का कहना है कि पहले भी पार्टी का हल्ला बोल झेल चुके इस विवादित अखबार के 35 वर्ष पूर्ण होने पर समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेताओं ने उसमे बाकायदा फोटो के साथ बधाई विज्ञापन दे दिया हैI अब इसको लेकर लखनऊ तक शिकायतों का दौर शुरू हो गया है कोई इसे एक लाख रूपए का विज्ञापन बता रहा है, कोई कह रहा है कि एक लाख रूपए जमा किये पर विज्ञापन कम का है I विज्ञापन शुल्क में घोटाले से अलग असल मुद्दा ये है कि पार्टी के नेता युं तो अखिलेश यादव के सच्चे सिपाही होने का दावा करते है पर असल में वो अपने चेहरे चमकाने के लिए उसी अखबार में विज्ञापन भी देते हैI ऐसे में विचारधारा ही ना मानने वाले ये नेता क्या पार्टी की राजनीती करेंगे? बहराल अब मामला अखिलेश यादव के पाले में है कि वो इसमें क्या कार्यवाही करते है वहीं स्थानीय नेता असमंजस में है कि उन्होंने जो 15 अगस्त का विज्ञापन भी उसी अखबार को देने का वादा किया हुआ है उसका क्या होगा ?
राजनीति के गलियारों से दूसरी चर्चा क्षेत्र में कांग्रेस से भाजपा में आये एक जनप्रतिनिधि की है I बताया जा रहे है कि विधायक जी इन दिनों 2027 में अपने टिकट और जनता में बढ़ रहे अविश्वाश को लेकर बहुत परेशान है I पहले ही स्थानीय सांसद के प्रकोप से डरे नेता जी मोदी और योगी की लड़ाई में टिकट काटने के डर से परेशान है और अगर राजनैतिक दांव पेंच या किस्मत से ही सही टिकट मिल गया तो उनके क्षेत्र में किसानो की समस्याओं के चलते वोट ना छिटक जाए, बस इससे वो परेशान है और इसी के चलते वो अक्सर उनके विधान सभा क्षेत्र में आने वाले प्रधिकरणों में सीईओ से मिलते दिखाई देते है I अब ग्रेटर नोएडा में तो उनकी पसंद और जाती का एस एम् उन्हें देकर अपनी और उनकी जान बचा ली है पर मामला युमना में फंस गया है I चर्चा है कि यमुना में पूर्व सीईओ विधायक जी के काम करें ना करें पर प्यार से बहला देते थे, जिसके बाद विधायक जी सामने खड़े होकर हरे पेन से साइन करने को कहते थे पर नए सीईओ के समक्ष ऐसा होता नहीं दिखाई दे रहा है I नए सीईओ फिलहाल बस उनकी सुनते ही दिखाई दे रहे है पर वक्त बेवक्त उनके वहीं पर घेर कर बैठे रहने से असहज भी दिखाई दे रहे हैI उधर अपने सख्त स्वभाव के लिए चर्चित और मुख्यमत्री से सीधे करंट पा रहे बेहद ईमानदार सीईओ कब नेताजी को मना कर दे इसकी आशंका से भी विधायक जी भी दखी है कि पुराने की शिकायते लखनऊ दरबार में करके तो नए से आस बंधी थी पर अब इसकी भी शिकायते करेंगे तो तो कहीं उल्टा ना पड़ जाए और अगर उनकी बातो को सीईओ ना सुने, उनके हिसाब से काम ना करें तो 2027 के चुनाव में उनका क्या होगा I

राजनीति के गलियारों से तीसरी चर्चा क्षेत्र में इन दिनों अपने सेवानिवृत्त होने की उलटी गिनती गिन रहे और हर सप्ताह नोएडा आ रहे प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह की है I जानकारी के अनुसार उनकी जगह एसपी गोयल केंद्र से आशीर्वाद पा चुके है साथ ही आशीर्वाद तो उनको अम्बानी का भी बताया जा रहा है I ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निकटता के बाबजूद प्रमुख सचिव इस सप्ताह अवाडा कम्पनी के निरक्षण के बहाने नोएडा आये और उसके बाद सीधे अमित शाह से मिलने दिल्ली चले गए I दो बार प्रयास करने पर देर शाम को हुई मुलाकात के बाद उनका चेहरा लटका हुआ बताया गया। जानकारी एक अनुसार अमित शाह के बाद नार्थ के बड़े नेता से मिलने की कोशिश भी की पर बाऊसाहब ने मिलने से मना कर दिया है I ऐसे प्रमुख सचिव के पास अम्बानी के प्रतिस्पर्धी अदानी ही सहारा मिल रहा है पर केंद्र से लिखित सन्देश ना मिलने के चलते अभी कुछ तय नहीं है I और इसका परिणाम ये हो रहा है कि प्रमुख सचिव को अब उनके मातहत ही आँखे दिखाने लगे है। हाल ही में मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव उद्योग आलोक कुमार के बीच तीखी नोंकझोंक लखनऊ सचिवालय से दिल्ली तक चर्चा का विषय बनी हुई है। दोनों शीर्ष अधिकारियों के बीच नोंकझोंक मुख्यमंत्री के समक्ष ही हुई और उन्हें ही हस्तक्षेप करना पड़ा। ऐसे में बाऊ साहब भी अगर कुछ ना किये तो भाजपा के दो गुटों और भारत के दो शीर्ष उद्योगपतियों के बीच मूंछो की लड़ाई में प्रमुख सचिव का जाना तय लग रहा है I
