ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में हाल ही में हुई मात्र 13.5 मिलीमीटर बारिश ने शहर के विकास की पोल खोल दी है। इन दो दिनों की सामान्य बरसात ने ही सोसायटियों के बेसमेंट को तालाब में बदल दिया, जिससे निवासियों को अभूतपूर्व परेशानी का सामना करना पड़ा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के प्लानिंग विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। निवासियों का आरोप है कि यह स्थिति प्राधिकरण के प्लानिंग विभाग की घोर लापरवाही और मनमानी का सीधा परिणाम है, जहां गलत डिज़ाइन और बिना किसी चिंता के नक्शे पास किए जाते रहे हैं।
बारिश थमने के 36 घंटे बाद भी ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट की कई पॉश सोसायटियों के बेसमेंट में भरा पानी नहीं निकल पाया। इस जलभराव से निवासियों की परेशानी कई गुना बढ़ गई है। रिपोर्टों के अनुसार, 15 से अधिक कारों के इंजन सीज हो गए हैं, जबकि 500 से अधिक गाड़ियां खराब हो गई हैं। शुक्रवार को भी लोगों को अपने वाहनों को भरे हुए गंदे पानी से निकालते हुए देखा गया, जिससे उन्हें न केवल असुविधा हुई, बल्कि वाहन खराब होने का भी खतरा बना रहा। यह स्थिति शहर में बुनियादी ढांचे की कमजोरियों और भविष्य की प्लानिंग में गंभीर चूक को उजागर करती है।
इस जलभराव ने सीधे तौर पर इन सोसायटियों के निर्माण के समय नक्शे पास करने वाले ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के प्लानिंग विभाग पर उंगलियां उठाई हैं। निवासियों और शहर के जानकारों का स्पष्ट मत है कि पूरे ग्रेटर नोएडा वेस्ट में व्याप्त समस्याओं की जड़ यही प्लानिंग विभाग है। आरोप है कि विभाग ने बिल्डरों को मनमाने ढंग से नक्शे पास करने की अनुमति दी, जिसमें ड्रेनेज सिस्टम और बेसमेंट में जल निकासी की सही व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया गया। इसका खामियाजा अब हजारों परिवारों को भुगतना पड़ रहा है। एम्स ग्रीन एवेन्यू, निराला एस्टेट, अजनारा होम्स, श्रीराधा स्काई गार्डन, इराेज संपूर्णम, एलिगेंट विले, ला रेजिडेंसिया, आम्रपाली की परियोजनाओं सहित लगभग 4 दर्जन सोसायटियों में पानी भरा रहा। यह सिर्फ एक संयोग नहीं, बल्कि एक व्यवस्थित लापरवाही का परिणाम प्रतीत होता है, जिसके लिए बिल्डर प्रबंधन भी जिम्मेदार है, लेकिन मूल जिम्मेदारी नक्शे पास करने वाले प्राधिकरण की रही है।
नक्शे पास करने में प्लानिंग विभाग की मनमानी सिर्फ आवासीय सोसायटियों तक ही सीमित नहीं है। चौंकाने वाली बात यह है कि इसी प्लानिंग विभाग ने शहर के अस्पतालों और स्कूलों के बेसमेंट में भी व्यावसायिक गतिविधियों को मंजूरी दे दी है। यह एक ऐसा कदम है जो भविष्य में किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है। अस्पतालों और स्कूलों जैसे संवेदनशील स्थानों पर व्यावसायिक गतिविधियों की अनुमति देना सुरक्षा मानकों के साथ गंभीर खिलवाड़ है। इससे भी अधिक आपत्तिजनक बात यह है कि जब भविष्य में किसी भी ऐसी दुर्घटना पर प्रश्न पूछे जाते हैं, तो प्लानिंग विभाग अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए इसके लिए फायर विभाग और पुलिस को जिम्मेदार ठहराने लगता है। यह दिखाता है कि विभाग न केवल अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करता, बल्कि अपनी अक्षमता को दूसरों पर थोपने का प्रयास भी करता है।
शहर के लोग खुले तौर पर कह रहे हैं कि पूरे शहर में समस्याओं और अव्यवस्थाओं के लिए प्लानिंग विभाग ही ‘असली खिलाड़ी’ है। आरोप हैं कि यहां बिल्डर और उद्योगपति पैसे देकर मनमाफिक नक्शे बनवा लेते हैं, जिसके लिए मोटी रिश्वत तक ली जाती है। यह भ्रष्टाचार की बू न केवल शहर के विकास को प्रभावित कर रही है, बल्कि निवासियों के जीवन और सुरक्षा को भी खतरे में डाल रही है। पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी ने इस विभाग को अपनी मनमानी करने का खुला लाइसेंस दे दिया है।
यह घटना मात्र एक बारिश का परिणाम नहीं, बल्कि एक गहरी व्यवस्थागत खामी का परिचायक है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ रवि एनजी को अब इस बात पर विचार करना होगा कि वो ‘प्लानिंग’ विभाग द्वार की गयी इन समस्याओ को कैसे सही करें , जहां चंद मिलीमीटर बारिश में ही शहर के लोगो के घर और जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएं और जिम्मेदार विभाग अपनी आंखें मूंदे बैठा रहे। प्राधिकरण को तत्काल इस गंभीर मुद्दे का संज्ञान लेकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। यह समय है जब प्लानिंग विभाग को अपनी जिम्मेदारी का एहसास कराया जाए और ग्रेटर नोएडा वेस्ट को वास्तव में एक सुनियोजित और सुरक्षित स्थान बनाया जाए।