क्रेडाई वेस्ट यूपी ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को एक पत्र भेजकर नोएडा की स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाओं में परेशान लगभग 30,000 होम बॉयर्स को राहत देने की मांग की है। इस पत्र की प्रतिलिपि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के कार्यालय, प्राधिकरण के चेयरमैन और सीईओ के अलावा कई अन्य अधिकारियों को भी भेजी गई है।
क्रेडाई का कहना है कि स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाएं कई तकनीकी और नीतिगत अड़चनों के कारण रुक गई हैं, जिससे न केवल डेवलपर्स बल्कि हजारों खरीदार भी मुसीबत में हैं। आपको बता दें कि लगभग दो साल पहले लोक लेखा समिति ने कैग की सभी आपत्तियों पर क्लीन चिट देते हुए उनके सभी Remarks को हटा दिया था, लेकिन फिर भी परियोजनाओं में देरी जारी है।
क्रेडाई वेस्ट यूपी के अध्यक्ष दिनेश गुप्ता ने बताया कि उच्च न्यायालय द्वारा भूमि बकाया भुगतान से जुड़े आदेश के खिलाफ लोटस ग्रीन कंसट्रक्शंस प्राइवेट लिमिटेड ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की है, जो अब विचाराधीन है। गुप्ता ने कहा, “जब तक सर्वोच्च अदालत का अंतिम निर्णय नहीं आता, तब तक किसी भी कठोर कार्रवाई से बचना चाहिए।”
संस्थान ने व्यापक राहत के लिए कुछ प्रस्ताव भी रखे हैं। बकाया गणना में विसंगतियों के लिए, क्रेडाई ने बताया कि यूपी सरकार ने 2020 में ब्याज दरों को MCLR से जोड़ा था, लेकिन अब तक डिमांड लेटर में इसका संशोधन नहीं किया गया। इसके अलावा, स्पोर्ट्स सिटी में केवल 0.5 प्रतिशत भूमि का व्यावसायिक उपयोग है, जबकि 29.5 प्रतिशत भूमि आवासीय उपयोग के लिए है। इसलिए, व्यावसायिक दर से शुल्क लगाना अन्यायपूर्ण है।
क्रेडाई ने कोविड-19 के दौरान प्राधिकरण द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की अवधि के शुल्क को माफ करने की भी मांग की। इसके अलावा, संस्था ने कहा कि अतिरिक्त किसान मुआवजे को दोबारा वसूलना अनुचित है क्योंकि इसे भूखंड आवंटन के समय ही शामिल किया गया था।
गुप्ता ने ज़ीरो पीरियड के मुद्दे को भी उठाया, जहां उन्होंने अपील की कि 2017 तक घोषित ज़ीरो पीरियड का लाभ सभी परियोजनाओं को समान रूप से मिलना चाहिए। उन्होंने यह भी मांग की कि अमिताभ कांत की रिपोर्ट में सुझाए गए उपाय स्पोर्ट्स सिटी पर लागू किए जाएं।