कांग्रेस पार्टी ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए गौतम बुद्ध नगर में पार्टी नेत्री पारुल चौधरी का निलंबन वापस ले लिया है। यह निर्णय पार्टी की केंद्रीय समिति द्वारा पारुल चौधरी की पार्टी के प्रति निष्ठा और समर्पण को देखते हुए लिया गया है।
पारुल चौधरी, जो पिछले कुछ वर्षो से पार्टी के भीतर आंतरिक साजिशो का सामना कर रही थीं, का निलंबन कुछ वर्ष पूर्व किया गया था। आरोप हैं कि पार्टी के एक गुट ने उनके विरोध साजिश कर उनको निलंबन करवाया था। दावा है कि जिस व्यक्ति ने पारुल चौधरी के निलंबन करवाने में मुख्य भूमिका निभाई थी वो 2024 के लोकसभा चुनावों में टिकट के लिए कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी चला गया था और उसी से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था और मात्र 298357 वोट ही पा सका था। कहा जाता है कि विपक्ष के इस कमज़ोर नेता के चलते पिछले चुनाव के मुकाबले 75 से 36 सीट पाकर पुरे प्रदेश में नुक्सान उठाने वाली भाजपा जिले में रिकार्ड 5 लाख वोटो से जीती थी। पार्टी सूत्रों के अनुसार, जहाँ एक और साजिश करने वाले नेता मौका मिलते ही पार्टी छोड़ कर चले गये थे वहीं निलंबन के बाबजूद पारुल चौधरी ने पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा का पालन करते हुए कांग्रेस के लिए काम किया और सामान्य कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर स्थानीय स्तर पर कांग्रेस को मजबूत करने का प्रयास किया।

कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ताओं और निवासियों के बीच पारुल का नाम पहले से ही अच्छी पहचान रखता था। उनके राजनीतिक कार्यों और सामुदायिक सेवा के प्रयासों की स्थानीय स्तर पर सराहना की जाती रही है। उनके निलंबन के बाद, कई कार्यकर्ताओं ने उनकी वापसी की मांग को लेकर लखनऊ और दिल्ली दरबार तक ज्ञापन भी दिए थे।
कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा, “पारुल चौधरी की मेहनत और समर्पण के परिणामस्वरूप हमने उनके निलंबन को निरस्त करने का निर्णय लिया। उनका अनुभव और पार्टी के प्रति निष्ठा कांग्रेस के लिए मूल्यवान है।” उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी नेतृत्व विश्वास करता है कि पारुल चौधरी पार्टी को आगामी चुनावों में मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
पारुल चौधरी ने अपनी वापसी पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “मैं अपने सभी सहयोगियों और समर्थकों का धन्यवाद करती हूं जिन्होंने इस कठिन समय में मुझे समर्थन दिया। मेरा उद्देश्य पार्टी की मजबूती के लिए काम करना और हमारे स्थानीय मुद्दों को सही तरीके से उठाना है।” उन्होंने कांग्रेस के उत्थान के लिए अपने कृत्य और ईमानदारी से काम करते रहने का आश्वासन दिया।
पारुल चौधरी ने इस अवसर पर यह भी कहा कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्र में लोगों की आवाज़ बनने के लिए प्रतिबद्ध हैं, और उनकी वापसी से पार्टी को और अधिक मजबूती मिलेगी। उनके समर्थकों ने वापसी को सकारात्मक रूप में लिया और अब उनकी उम्मीदें कांग्रेस के स्थानीय नेतृत्व के साथ पुनर्स्थापना की ओर बढ़ रही हैं।
स्थानीय कांग्रेसियों की भी इस निर्णय को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। जिले के कई कांग्रेसी नेता पारुल चौधरी के कार्यों और समर्पण को लेकर खुश हैं, वहीं कुछ ने निलंबन से पहले की स्थिति को लेकर प्रश्न उठाए हैं। कार्यकर्ताओं में चर्चा यह भी है कि इस कदम से पार्टी की स्थानीय छवि को मजबूती मिलेगी और कार्यकर्ताओं के बीच एकता का संचार होगा।
जिले के राजनैतिक विशेषज्ञों का मानना है कि पारुल चौधरी की वापसी से कांग्रेस पार्टी को न केवल अपने निर्वाचन क्षेत्र में मजबूती मिलेगी, बल्कि यह भी दर्शाता है कि पार्टी हितों की रक्षा के लिए फैसले लेने में गंभीर है। यह निर्णय निश्चित रूप से आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी के लिए एक सकारात्मक संकेत है और पारुल चौधरी आने वाले विधान सभा चुनावों में दादरी या जेवर विधान सभा सीट से कांग्रेस का महिला चेहरा भी हो सकती है।
जानकारी के अनुसार कांग्रेस अब अपने कार्यक्रमों और गतिविधियों को और अधिक सक्रिय करने की योजना बना रही है, ताकि स्थानीय मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाया जा सके। पार्टी का लक्ष्य युवाओं, महिलाओं और स्थानीय समुदायों के बीच अपनी नीति को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करना है।
पारुल चौधरी की वापसी ने न केवल कांग्रेस की स्थानीय राजनीति में हलचल पैदा की है, बल्कि इससे जिले के लोगो में कांग्रेस के लिए एक नया उत्साह भी देखने को मिल रहा है। आगे देखना होगा कि पारुल चौधरी अपने सक्रिय कार्यों के साथ पार्टी के विकास में किस प्रकार की भूमिका निभाती हैं और स्थानीय कांग्रेस कमेंटी उन्हें किस तरह की भूमिका देती है ।