मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा के पत्रकार महकार भाटी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। इस फैसले के बाद भाटी ने राहत की सांस ली है, जिन्होंने गैंगस्टर एक्ट के तहत उनके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की याचिका दायर की थी। भाटी का आरोप है कि उन्हें झूठे आरोपों के आधार पर फंसाया गया है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, महकार भाटी पर आरोप है कि वह रवि काना गैंग से जुड़े लोगों को मीडिया की आड़ में संरक्षण प्रदान कर रहे थे और आपराधिक गतिविधियों की सूचनाओं को दबाने या उनके पक्ष में खबरें प्रकाशित करने का काम करते थे। जांच में यह भी सामने आया है कि महकार भाटी गैंग से नियमित संपर्क में था और उनकी गतिविधियों को प्रभावित करने में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे।
भाटी की याचिका में कहा गया है कि जिन दो मामलों के आधार पर पुलिस ने गैंग चार्ट तैयार किया, उनमें उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अब्दुल शाहिद की खंडपीठ ने मामले को विचारणीय मानते हुए नोएडा पुलिस को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगली सुनवाई या पुलिस रिपोर्ट आने तक महकार भाटी की गिरफ्तारी नहीं की जाएगी।

महकार भाटी के वकील ने अदालत में दलील दी कि एफआईआर दर्ज करने से पूर्व कोई उचित जांच या विचार-विमर्श नहीं किया गया था, और बिना चर्चा के गैंग चार्ट तैयार कर दिया गया। उन्होंने इसे कानून की मूल भावना के खिलाफ बताया, साथ ही यह भी कहा कि इसे पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर हमला मानते हुए देखा जाना चाहिए।

इस आदेश के बाद जिले में नयी चर्चा शुरू हो गयी है, हाईकोर्ट के आदेश को जहाँ एक और गौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्नरेट के लिए बड़ा झटका बताया जा रहा है वहीं पुरे केस को लेकर पुलिस की तैयारियों पर भी प्रश्न उठ रहे है। साथ ही महकार भाटी के मामले ने एक बार फिर इस बहस को जन्म दिया है कि क्या जिले समेत पुरे प्रदेश में पत्रकारों को उनकी पेशेवर गतिविधियों के कारण प्रताड़ित किया जा रहा है। हाईकोर्ट के आदेश को भाटी के वकीलो ने एक सकारात्मक कदम मानते हुए पत्रकार की गिरफ्तारी पर रोक का निर्णय एक महत्वपूर्ण जीत बताया है, जो स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए अत्यंत आवश्यक है।




