ट्रेलर रिलीज पर विवाद: विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘The Bangal Files’ का ट्रेलर रोका, Direct Action Day पर फिर से गरमाई चर्चा

NCR Khabar Internet Desk
7 Min Read

बॉलीवुड निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की आगामी फिल्म ‘The Bangal Files’ का ट्रेलर कोलकाता में ‘डायरेक्ट एक्शन डे’(Direct Action Day) के अवसर पर रिलीज होना था, लेकिन इसे दुर्भाग्यवश रोक दिया गया। इस रोक के लिए विवेक अग्निहोत्री ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार पर आरोप लगाया है, जिसे लेकर राजनीतिक और सामाजिक चर्चा फिर से गर्म हो उठी है।

‘डायरेक्ट एक्शन डे’ 16 अगस्त 1946 को मुस्लिम लीग द्वारा घोषित किया गया था, जिसे भारतीय उपमहाद्वीप में धार्मिक तनाव और दंगों का एक काला दिन माना जाता है। इस दिन हुई हिंसा ने बंगाल में दंगे भड़काए थे, जिसमें हजारों लोगों की जानें गई थीं। विवेक अग्निहोत्री की फिल्म का ट्रेलर उस विनाशकारी घटना की पृष्ठभूमि को परिलक्षित करता है, और इसे रोकने को लेकर उठ रहे सवालों ने लोगों को उस इतिहास पर सोचने पर मजबूर कर दिया है।

प्रसिद्ध वेबसाइट OPindia ने इस घटनाक्रम पर अपने एक लेख में डायरेक्ट एक्शन डे के दौरान हुए कठिनाइयों और घटनाओं को उजागर किया है। इस लेख में 92 वर्षीय रवींद्रनाथ दत्ता का हवाला दिया गया है, जो उस समय एक युवा छात्र थे और उन्होंने अपनी आंखों से यह दंगे होते देखे थे। दत्ता ने बताया कि किस प्रकार उस समय महिलाओं और बच्चों के साथ अकल्पनीय अत्याचार हुए थे। कैसे राजा बाजार के बीफ की दुकानों पर हिन्दू महिलाओं की नग्न लाशें हुक से लटका कर रखी गई थीं। उनका कहना है कि बंगाल के किसी नेता, फ़िल्मी हस्ती या फिर मीडिया को इससे कोई मतलब नहीं है।

प्रसिद्ध वेबसाइट OPindia के अनुसार पत्रकार अभिजीत मजूमदार ने इसका वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया है। ‘डायरेक्ट एक्शन डे’ में ज़िंदा बच गए रबीन्द्रनाथ दत्ता ने अपनी आँखों के सामने मुस्लिम भीड़ की क्रूरता को देखा था। उनकी उम्र 92 साल है। इस हिसाब से उस समय वो युवावस्था में थे और उनकी उम्र 24 साल के आसपास रही होगी। उन्होंने बताया है कि कैसे राजा बाजार के बीफ की दुकानों पर हिन्दू महिलाओं की नग्न लाशें हुक से लटका कर रखी गई थीं।
उन्होंने बताया कि विक्टोरिया कॉलेज में पढ़ने वाली कई हिन्दू छात्राओं का बलात्कार किया गया, उनकी हत्याएँ हुईं और उनकी लाशों को हॉस्टल की खिड़कियों से लटका दिया गया। रबीन्द्रनाथ दत्ता ने अपनी आँखों से हिन्दुओं की क्षत-विक्षत लाशें देखी हैं। जमीन पर खून की धार थी, जो उनके पाँव के नीचे से भी बह कर जा रही थी। इनमें से कई महिलाएँ भी थीं, जिनकी लाशों से उनके स्तन गायब थे। उनके प्राइवेट पार्ट्स पर काले रंग के निशान थे।
ये क्रूरता की चरम सीमा थी। रबीन्द्रनाथ दत्ता ने अपने देखे अनुभवों को दुनिया को बताने के लिए ‘डायरेक्ट एक्शन डे’, नोआखली नरसंहार और 1971 नरसंहार पर दर्जन भर किताबें लिखीं। उनकी पत्नी का निधन होने के बाद उनके गहने बेच कर उन्होंने इसके लिए खर्च जुटाया। उनकी आँखों-देखी के साथ-साथ उनका गहन अध्ययन और रिसर्च भी इसमें शामिल था। उनका कहना है कि बंगाल के किसी नेता, फ़िल्मी हस्ती या फिर मीडिया को इससे कोई मतलब नहीं है।
डायरेक्ट एक्शन डे के दिन शुरू हुए दंगे चार दिनों तक चले और उसमें करीब दस हज़ार लोग मारे गए। महिलाएँ बलात्कार का शिकार हुईं और जबरन लोगों का धर्म परिवर्तन करवाया गया। इन दंगों में हिन्दुओं की ओर से गोपाल चंद्र मुख़र्जी, जिन्हें गोपाल पाठा के नाम से भी जाना जाता है, की भूमिका की कहानी बहुत प्रसिद्ध है। गोपाल मुख़र्जी ने एक वाहिनी का गठन किया था जिसने इन दंगों के दौरान हिन्दुओं की रक्षा की और वाहिनी इस तरह से लड़ी कि ‘मुस्लिम लीग’ के नेताओं को गोपाल मुख़र्जी से खून-खराबा रोकने के लिए अनुरोध करना पड़ा।

विवेक अग्निहोत्री ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाते हुए कहा, “यह एक बेहद महत्वपूर्ण फिल्म है, जो इतिहास के एक काले अध्याय को उजागर करती है। क्या आपको डर लगता है कि इसके बारे में बात की जाए? यह सभी को जानने का हक है।” उन्होंने कहा कि ट्रेलर को रोकने से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार सच्चाई को छिपाना चाहती है।

रवींद्रनाथ दत्ता के बयानों ने इस विषय पर और भी गहराई प्रदान की है। उन्होंने याद दिलाया कि किस प्रकार उस समय में बर्बरता का तांडव हुआ था, जिसमें हिंदू महिलाओं की हत्या की गई और उनके शवों को सरेआम अपमानित किया गया। दत्ता ने कहा कि यह सब देखकर उन्हें विकट मानसिक आघात पहुँचा था और उनके अनुभवों ने उन्हें कई किताबें लिखने के लिए प्रेरित किया।

उनकी दृष्टि में, यह केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं है, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है कि हम किस प्रकार के पूर्वाग्रहों और विभाजन के दावों में फँस सकते हैं। उन्होंने कहा, “हमें अपने इतिहास को न भूलना चाहिए, क्योंकि इससे ही हम भविष्य की चुनौतियों का सामना कर सकेंगे।”

इस बीच, फिल्म के ट्रेलर को रोके जाने ने समाज में विभाजन के मुद्दे पर बहस को पुनः जीवित कर दिया है। भारतीय उपमहादीप में आज के युवा और इतिहास के छात्र इस विषय पर गहरी चिंताओं और सवालों के साथ सामने आ रहे हैं। कई लोग यह मानते हैं कि इस प्रकार की फिल्में सिर्फ मनोरंजन नहीं करतीं, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने में भी सहायक हो सकती हैं।

‘The Bangal Files’ को लेकर स्थानीय फिल्म प्रेमियों में उत्सुकता बनी हुई है। हालांकि, फिल्म की रिलीज़ तिथि 5 सितम्बर है, किन्तु इसके बंगाल में रिलीज होने पर अब प्रश्न खड़े हो रहे हैं। लोगो का मानना है कि यह घटना हमें उस समय के काले टुकड़ों को समझने की प्रेरणा देती है, और एक स्वस्थ समाज की स्थापना के लिए हमें अपने इतिहास से सीखने की आवश्यकता है।

विवेक अग्निहोत्री की फिल्म का यह विवाद केवल एक ट्रेलर के रुकने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह इतिहास और वर्तमान के बीच एक गहरा संबंध स्थापित करता है, जो कि समाज को एक महत्वपूर्ण सबक सिखाने का कार्य करेगा।

Share This Article
एनसीआर खबर दिल्ली एनसीआर का प्रतिष्ठित हिंदी समाचार वेब साइट है। एनसीआर खबर में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय,सुझाव और ख़बरें हमें mynews.ncrkhabar@gmail.com पर भेज सकते हैं या 09654531723 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I अपना सूक्ष्म सहयोग आप हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : 9654531723@paytm के जरिये दे सकते है