भाजपा के लिए 2027 की राह नहीं आसान : रामपुर, गाजियाबाद, मेरठ, और गौतम बुद्ध नगर के जिलाध्यक्ष संगठन मंत्री की परीक्षा में हुए अनुत्तीर्ण, धर्मपाल सिंह बोले कि “ऐसे अध्यक्षों का रहना उचित नहीं है”

NCR Khabar Internet Desk
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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलाध्यक्षों के बारे में इन दिनों खूब चर्चाये हो रही है I मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ग्रेटर नोएडा में भाजपा की स्थिति एक समीक्षात्मक बैठक में उजागर हुई, जिसमें संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह ने बूथ और शक्ति केंद्रों के बारे में जानकारी मांगते हुए जिलाध्यक्षों की कमजोरी का सच सामने आने पर कड़ी टिप्पणी की। बैठक में पार्टी के कई नेता उपस्थित रहे।

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मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो बैठक के दौरान जब धर्मपाल सिंह ने एक-एक कर जिलाध्यक्षों से सवाल पूछना शुरू किया, तब अधिकांश जिलाध्यक्ष बगले झांकते नजर आए। यह स्थिति तब सामने आई जब उनसे बूथ अध्यक्षों और शक्ति केंद्र प्रमुखों के नाम पूछे गए, जिसके लिए अधिकांश ने अनभिज्ञता जताई। रामपुर, गाजियाबाद, मेरठ, और गौतम बुद्ध नगर के जिलाध्यक्ष मिलकर इस परीक्षा में अनुत्तीर्ण  हो गए, जिसका उन्होंने स्पष्ट रूप से तर्क करते हुए निराशा व्यक्त की।

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धर्मपाल सिंह ने कहा, “चुनाव जीतने का मूल मंत्र है – बूथ जीतो, चुनाव जीतो।” उन्होंने आरोप लगाया कि कई नए जिलाध्यक्ष केवल बैठकों में भाग लेकर मालाएं पहनने और फोटो खिंचवाने तक सीमित रह गए हैं, जबकि उन्हें काम करने की आवश्यकता है। दावा है कि यह टिप्पणी रामपुर, मेरठ, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर के जिलाध्यक्षों के संदर्भ में की गई थी, लेकिन यह पूरे क्षेत्र के लिए एक संकेत थी।

सूत्रों की माने तो संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह जिला अध्यक्षों द्वारा शक्ति केंद्र प्रमुखों के नाम तक ना बताए जाने पर बेहद नाराज हुए और उन्होंने यहां तक कह दिया की बैठक में जाकर माला पहनने और फोटो खिंचवाने से काम नहीं चलता यदि अध्यक्ष बने रहना है तो काम करके दिखाना होगा ।
बैठक को लेकर पार्टी में चर्चाएं हैं कि संगठन मंत्री ने जिस तरीके से जिला अध्यक्षों पर सीधी टिप्पणी की है इसका असर निकट भविष्य में दिखाई दे सकता है जरूरत समझी गई तो हवा हवाई दावे वाले जिला अध्यक्षों को बदला भी जा सकता है।

बैठक में धर्मपाल सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी की आगे की रणनीति के लिए जिलाध्यक्षों की कार्यप्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता है। उनकी नाराजगी उस समय और बढ़ गई जब उन्होंने कहा कि “ऐसे अध्यक्षों का पार्टी में रहना उचित नहीं है जो काम नहीं कर रहे हैं।” इस बैठक के बाद कई जिलाध्यक्षों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं और आगामी पंचायत चुनावों और 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारियों को देखते हुए पार्टी को अपनी संगठनात्मक ताकत बढ़ाने की आवश्यकता है।

इस घटना से भाजपा को अपनी रणनीतियों में सुधार की आवश्यकता का एहसास हुआ है, जिसमें बूथ स्तर पर मजबूत नेटवर्क स्थापित किया जाना जरूरी है। आगामी समय में सभी जिलाध्यक्षों के कार्यों की समीक्षा जारी रहेगी, जिससे पार्टी की स्थिति को मजबूती दी जा सके।

भाजपा के भीतर की यह उथल-पुथल पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण शिक्षा है कि उन्हें अपनी भूमिका का सही मूल्यांकन करना होगा और कार्य में निरंतरता बनाए रखनी होगी, ताकि 2024 के चुनावों में पार्टी एक मजबूत उपस्थिति दर्ज करा सके।

संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह की यह बैठकों की श्रृंखला आगे चलकर क्या भाजपा में किसी नए बदलाव का संकेत हैं या इसके आधार पर प्रदर्शन को सुधारने के लिए उचित दिशा निर्देश और कार्य योजना बनाई जाएगी। यदि भाजपा अपने जिलाध्यक्षों की कार्यप्रणाली को सुधारने में सफल होती है, तो यह उसके चुनावी अभियान की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

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