बीते कुछ वर्षों से भारतीय जनता पार्टी अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर संशय की स्थिति से दो-चार हो रही है । नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर अभी तक कोई निर्णय न होने के कारण तमाम पदों पर नई नियुक्तियां रुकी हुई है । जिसके चलते अब उत्तर प्रदेश में भाजपा संगठन और उसके प्रकोष्ठ संगठन की पॉलिसी के अनुसार कार्य करने में असुविधा महसूस कर रहे हैं।
ऐसा ही एक मुद्दा नोएडा महानगर में 31 अगस्त को संयोजक बने विकास जैन की नियुक्ति को लेकर बन गया है जानकारी के अनुसार 31 अगस्त को भारतीय जनता पार्टी के व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष विनीत शारदा ने नोएडा कार्यक्रम के दौरान विकास जैन को जिला संयोजक बनाने की घोषणा की ।

घोषणा होते ही विकास जैन को शुभकामनाएं देने वालों का तांता लग गया । विकास जैन ने भी दावा किया कि वह विनीत शारदा जी द्वारा दिए गए पदभार के अनुरूप तन मन धन से कार्य करेंगे। किंतु नोएडा में इस घोषणा के ऊपर ही अब प्रश्न उठने लगे है । जानकारी के अनुसार विकास जैन को नोएडा संयोजक तो बना दिया गया किंतु उनको अभी तक कोई भी नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया है ।
दरअसल भाजपा के संविधान के अनुसार प्रदेश अध्यक्ष के संतुति पर ही प्रकोष्ठों में जिला संयोजकों की नियुक्ति की जा सकती है इसके लिए भी जिला अध्यक्षों की ओर से तीन नाम भेजे जाते हैं किंतु भाजपा से मिली जानकारी के अनुसार जिला भाजपा से कोई भी नाम नहीं भेजा गया। ऐसे में प्रश्न उठ रहे हैं कि क्या व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष संयोजक विनीत शारदा ने नियमों के विपरीत जाकर में विकास जैन को की नियुक्ति की हवा हवाई घोषणा कर दी है।

व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष विनीत शारदा और नोएडा महानगर अध्यक्ष महेश चौहान के बयानों में है विरोधाभास
पूरे प्रकरण पर अभी नियुक्ति पत्र को लेकर प्रश्न ही उठ रहे थे कि नोएडा महानगर अध्यक्ष महेश चौहान के ताजा बयान ने नया विवाद पैदा कर दिया है । नियुक्ति के दौरान उपस्थित रहे महेश चौहान नोएडा महानगर अध्यक्ष महेश चौहान ने एनसीआर खबर से इस पर स्पष्ट करते हुए कहा कि नोएडा महानगर के पूर्व संयोजक ने काम करने में असमर्थता जताई थी जिसके बाद विकास जैन को कार्यकारी संयोजक बनाया गया है । नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा के बाद संगठन के सभी प्रकोष्ठों की नियुक्तियां पुनः की जाएंगे और तब नियुक्ति पत्र दिया जाएंगे। कार्यकारी संयोजक होने के नाते उनकी सिर्फ घोषणा हुई है । वहीं विनीत शारदा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में उन्हें बाकायदा नोएडा संयोजक लिखा है, ऐसे प्रश्न ये है कि दोनों अलग अलग बयान दे रहे है या दोनों को विकास जैन की नियुक्ति को लेकर कोई विरोधाभास है।
आज नोएडा महानगर में @BJP4UP व्यापार प्रकोष्ठ की बैठक में स्वदेशी जनजागरण अभियान की शुरुआत की बैठक में क्षेत्रीय संयोजक विनोद गुप्ता जिला अध्यक्ष श्री महेश चौहान सह संयोजक धीरज गोयल नोएडा संयोजक विकास जैन आदि शामिल हुए! @blsanthosh @idharampalsingh @Bhupendraupbjp pic.twitter.com/1kAUlYQl5E
— Vineet Agarwal Sharda ( modi ka parivar ) (@VineetAgarwalS1) August 31, 2025
नियुक्ति के विवाद से विकास जैन हक्के बक्के! क्या हो गए भाजपा के दो शीर्ष नेताओं की राजनीति के शिकार ?
इस पूरे प्रकरण पर विकास जैन की स्थिति बेहद अजीब हो गई है विकास जैन को समझ नहीं आ रहा है कि बिना तैयारी के हुए इस पूरे घटनाक्रम में अब वह कहां खड़े हैं दरअसल विकास जैन उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष थे और उनके भाजपा व्यापार प्रकोष्ट के नोएडा संयोजक बनने से पहले ही तमाम चर्चाएं हो रही थी किंतु अब नियुक्ति पत्र के न होने और कार्यकारी संयोजक बनने की जानकारी ने विकास जैन की राजनीति प्रश्न खड़ा कर दिया है, चर्चा है कि विकास जैन नोएडा के दो कद्दावर शीर्ष नेताओं की महत्वाकांक्षा और राजनीति के शिकार हो गए हैं ।
नोएडा भाजपा सूत्रों की माने तो भाजपा में वैश्य समुदाय से आने वाले एक महत्वाकांक्षी नेता ने मौके का फायदा उठाते हुए बीते दिनों एक युवा व्यापारी के कंधे पर बंदूक रखकर वैश्य महासम्मेलन को आयोजित करवाया। कार्यक्रम में दावा किया गया कि उसमें वैश्य समुदाय के बड़े नेताओं जैसे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल और औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी के साथ कई सांसद ओर विधयाको के नाम दिए गए थे।
जिसके बाद जिले के सबसे बड़े नेता ने इस कार्यक्रम को सफल न होने देने के लिए विकास जैन को एक मोहरे की तरह इस्तेमाल किया और खास इस कार्यक्रम के समानांतर उनको संयोजक बनाए के कार्यक्रम को आयोजित किया गया । वही वैश्य महासम्मेलन के कार्यक्रम में भी शहर के सबसे बड़े वैश्य नेता और अन्य स्थानीय नेताओं के अतिरिक्त कोई बड़ा नेता बड़ा चेहरा नहीं आया, उन्ही के लोगो ने यहाँ किसी तरह से कुर्सियां भर कर कार्यक्रम के सफल होने का दावा भी किया। इससे जहां शहर वैश्य समुदाय आपने राजनैतिक प्रभाव साबित करने में चुक गया वहीं सत्तारूढ़ दल के दोनों नेताओं को अपनी अपनी जीत दिखाई दी । किन्तु वहीं पूरे प्रकरण में विकास जैन हाशिए पर सिमट गए और अब नियुक्ति पत्र के न होने और संयोजन की जगह कार्यकारी संयोजक होने के समाचारों के बाद विकास जैन के हाथ से जिले की राजनीति रेत की तरह फिसलते हुई दिखाई दे रही है ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है कि दो नेताओं की महत्वाकांक्षा और राजनीति में फंसे विकास जैन अगला कदम क्या उठाएंगे? क्या वो अपने पद से त्यागपत्र देंगे या भाग्य को सर्वोपरि मान कर कार्यकारी पद के साथ आगे बढ़ेंगे।