अपर जिलाधिकारी प्रशासन की कोर्ट में दाखिल एक मामले में खाद्य विभाग ने स्थानीय फर्मों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। खाद्य पदार्थों में मिलावट के मामले में नोएडा और ग्रेटर नोएडा की 25 फर्मों पर 58.15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। खाद्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पनीर, दूध, गुलाब जामुन, नमकीन, मस्टर्ड ऑयल समेत अन्य खाद्य पदार्थों के नमूनों की जांच की गई थी, जिनमें मानकों का उल्लंघन पाया गया।
सहायक आयुक्त (खाद्य) द्वितीय, सर्वेश मिश्रा के मुताबिक, जांच का पूरा विवरण साझा करते हुए कहा गया, “स्वर्ण नगरी शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में स्थित सौरव यादव की दुकान से लिए गए काला नमक का नमूना मानकों पर फेल हो गया, जिसके लिए उन पर 8 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।”
इसी तरह, हबीबपुर गांव के शोभित ट्रेडिंग कंपनी से लिए गए मस्टर्ड ऑयल के नमूने भी मानकों पर खरे नहीं उतरे, जिसके चलते शोभित कंपनी के संचालकों, भूमेश कुमार और सचिन कुमार पर भी 8 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
इसके अलावा, सेक्टर-22 के नरेंद्र सिंह की दुकान से आलू के चिप्स के नमूने की पैकिंग नियमों के अनुसार नहीं थी, जिस पर उन्हें 4 लाख रुपये का जुर्माना भुगतना पड़ा।
अधिकारियों ने यह भी जानकारी दी कि नोएडा सेक्टर-62 में दूध के नमूनों में खामी के लिए जोगेंद्र सिंह और प्रवीण कुमार पर भी कार्रवाई की गई है। वहीं, सेक्टर-39 स्थित बृजवासी पनीर भंडार के मोनू कुमार पर 25-25 हजार का जुर्माना लगाया गया है।
इस अभियान में कई अन्य फर्मों पर भी जुर्माना लगाया गया है। ग्रेटर नोएडा में स्थित प्रमुख खाद्य प्रतिष्ठानों पर जैसे कि नॉलेज पार्क में एचएमआर बॉय हॉस्टल और गौड़ सिटी मॉल के बारबेक्यू नेशन पर भी विभिन्न खाद्य उत्पादों के नमूनों की जांच में खामियां पाई गईं, जिससे इनकी वित्तीय जिम्मेदारी बढ़ी।
इसके साथ ही, ऐसा भी पाया गया कि कई फर्में खाद्य सुरक्षा के लिए आवश्यक पंजीकरण कराने में भी पीछे रह गईं। इस संबंध में शशिकांत चौरसिया और चित्रकांत समेत अन्य पर भी विभिन्न राशि के जुर्माने लगाए गए हैं।
इस कार्रवाई के पीछे खाद्य विभाग का उद्देश्य लोगों को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण खाद्य सामग्री उपलब्ध कराना है। अधिकारियों ने नागरिकों से कहा है कि वे खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता की जांच करें और यदि कोई गड़बड़ी पाई जाए तो तुरंत संबंधित अधिकारियों को सूचित करें।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार की कड़ी कार्रवाई खाद्य सुरक्षा की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। यह न केवल उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है बल्कि खाद्य उत्पादकों के लिए भी एक चेतावनी है कि मानकों का पालन करना जरूरी है।