30 सितंबर को यमुना प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी राकेश कुमार सिंह सीईओ पद से सेवानिवृत कर दिए गए इसके साथ ही उनको प्रतिनियुक्ति पर एक वर्ष के लिए या अग्रिम आदेशो तक सीईओ का कार्यभार संभालने का नया निर्देश सचिव प्रांजल यादव ने जारी किया है ।
राकेश कुमार सिंह को नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (नायल) के प्रमुख पद पर तैनाती दी गई है। यह निर्णय राज्यपाल की सहमति से लिया गया है। सामान्य तौर पर इस पुनर्नियुक्ति में उन्हें अपने आहरित अंतिम वेतन में से पेंशन की धनराशि घटाने का अनुसरण करना होगा। इसके अतिरिक्त, वेतन एवं भत्ते जैसे महंगाई भत्ता, मकान किराया भत्ता, चिकित्सा भत्ता आदि उनकी वर्तमान स्थिति के अनुसार दिए जाएंगे। यह सुनिश्चित किया गया है कि इस मद में शासन द्वारा कोई वित्तीय सहायता प्रावधानित नहीं होगी, और सभी वेतन-भत्ते अब यमुना प्राधिकरण के अपने स्रोतों से वहन किए जाएंगे।


युमना प्राधिकरण से जुड़े कई अधिकारियो ने इनका स्वागत किया है तो कई ने दबे स्वर में इसकी आलोचना भी की है। कई अधीनस्थों का कहना है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में यह परंपरा बन गई है कि पसंदीदा सेवानिवृत्त अधिकारियों को आमतौर पर प्रतिनियुक्ति दी जाती है। इससे साबित होता है कि योगी सरकार युवा आईएस अधिकारियों की तुलना में पसंदीदा अधिकारियों पर अधिक विश्वास करती है।
इस संदर्भ में, युमना प्राधिकरण के ही पूर्व सीईओ डा. अरुण वीर सिंह का उदाहरण उल्लेखनीय है, जिन्हें उत्तर प्रदेश सरकार ने सात बार प्रतिनियुक्ति का कार्यकाल बढ़ाया था। हालांकि, कई पूर्व आईएस अधिकारियों ने इस प्रथा पर सवाल उठाते हुए इसे गलत बताया है। उनका कहना है कि ऐसे निर्णय युवा अधिकारियों के प्रति सरकार की अविश्वास को दर्शाते हैं।

एक पूर्व आईएस अधिकारी ने एनसीआर खबर को बताया, “सीईओ जैसे महत्वपूर्ण पद पर प्रतिनियुक्ति लेने से कई योग्य और प्रतीक्षारत युवा आईएस अधिकारियों को अपनी प्रतिभा साबित करने का अवसर नहीं मिल पाता। ऐसे मामलों में अधिकारियों के अधीनस्थ कर्मियों का व्यवहार भी प्रभावित होता है।”
उन्होंने आगे कहा कि प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों और संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों में कोई खास अंतर नहीं रह जाता। दोनों ही स्थिति में ऐसे अधिकारी अक्सर राजनीतिक नेतृत्व को खुश करने में लगे रहते हैं, जिससे सरकारी कार्यों में शिथिलता आती है और परिणाम भी प्रभावित होते हैं।
इस परंपरा की आलोचना के बावजूद, राज्य सरकार ने इस दिशा में अपनी नीतियों को बरकरार रखा है। नए अधिकारियों को मौका देने और प्रतिभाओं को उभारने के लिए सकारात्मक बदलाव की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
ऐसे में अब एक बार फिर से राकेश कुमार सिंह के प्रतिनियुक्ति में पड़ने वाले कार्यों को किस प्रकार से लागू किया जाएगा, यह देखने लायक होगा। क्या वे नए सिरे से योजनाओं और परियोजनाओं को आगे बढ़ा पायेंगे, या फिर उन्हें भी अगली पीढ़ी के अधिकारियों के लिए रास्ता छोड़ना पड़ेगा, यह सवाल एक बार फिर उठता है।



