किसी संस्था के शीर्ष पद पर बैठे व्यक्ति का व्यवहार कैसा होना चाहिए? यह प्रश्न अब इसलिए महत्वपूर्ण हो चुका है क्योंकि नोएडा अथॉरिटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉक्टर लोकेश एम ने बीते समय नोएडा प्राधिकरण में चल रहे टेंडर के नाम पर भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सभी ट्रैक्टरों पर रोक लगा दी । निश्चित तौर पर डॉक्टर लोकेश एम का उद्देश्य बेहद पवित्र रहा होगा उन्होंने इसकी जांच होने तक विभागों में हो रहे छोटे-छोटे कामों के लिए फाड़े जा रहे बिलों को गलत माना होगा इसीलिए उन्होंने इतना बड़ा कदम उठाया होगा। संभवतः इसी कदम के बाद स्वयं के तनाव को कम करने के लिए वो दिल्ली में हुई मैराथन में भाग लेने गए होंगे।
किंतु किसी भी व्यवस्था में सिस्टम को अचानक रोक देने से क्या भ्रष्टाचार समाप्त हो जाता है या फिर भ्रष्टाचार की जगह व्यवस्थाएं विकृत रूप में सामने आने लगती है फिलहाल नोएडा प्राधिकरण में यही होने जा रहा है।

नोएडा प्राधिकरण के सीईओ डॉक्टर लोकेश एम भले ही इसके जरिए अपनी पीठ थपथपा रहे हो या फिर प्रदेश सरकार में बैठे मंत्रियों को इसके फायदे बता रहे हो किंतु वस्तु स्थिति यह है कि इसके चलते प्राधिकरण में होने वाले कार्य रुक गए हैं। दरअसल टेंडर होने में अनियमितताओं को रोकने के लिए जो कदम डॉक्टर लोकेश एम् ने उठाया उससे तमाम सही काम भी रुक गए हैं। नोएडा प्राधिकरण को जानने वाले लोग यह जानते हैं कि प्राधिकरण के सिस्टम में कार्यों को करने के लिए लगातार ऐसे कार्य किए जाते हैं जिनके जवाबदेही सुनिश्चित करना संभव नहीं होता है ऐसे में हर काम को भ्रष्टाचार में नाप देना फिलहाल गलत होता दिखाई दे रहा है।
प्राधिकरण के सूत्रों की माने तो सिस्टम ठप होने के कगार पर है और अगर जल्द ही इसको नहीं सुधरा गया तो धीरे-धीरे सिस्टम कॉलेप्स होने लगेगा चाहे वह निवासियों के लिए छोटे-छोटे पैच वर्क हो या फिर सफाई के छोटे-छोटे कार्य होते रहे हो या फिर जल से रिलेटेड प्रति दिन होने वाले व्यय के सापेक्ष कार्यों का ना होना हो पा रहा हो।
प्राधिकरण के एक अधिकारी ने बताया कि सारे टेंडर रोकने की जगह सीईओ को उनको अपने कार्यालय से पास होने की व्यवस्था करनी चाहिए किंतु कुछ भी न होने के चलते अब फिलहाल सब कुछ रुक गया है ।
डॉ लोकेश एम प्राधिकरण में फैली अवस्थाओं को सही तो करना चाहते हैं किंतु क्या वो सिस्टम में खुद को व्यवस्थित नहीं कर पा रहे हैं। बीते दिनों ई साइकिलिंग के टेंडर की जांच बैठाने के बाद अब तक संबंधित अधिकारी ने जांच समिति को रिपोर्ट तक पेश नहीं करी है । ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है की क्या उस न हो पाने वाली जांच से ध्यान हटाने के लिए डॉक्टर लोकेश एम ने यह दूसरा कदम उठाया जिससे लोग त्राहिमाम करने लगे और बाद में सब कुछ भूल जाए।