एक मासूम की कहानी ने एक परिवार की खुशियों को एक पल में दर्द और चिंता में बदल दिया है। चिटहैरा निवासी बालेश्वर भाटी के बड़े बेटे शिवम भाटी ने अक्टूबर में अपनी पत्नी को स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से अस्पताल में भर्ती कराया। ये खुशी का पल, जिसमें परिवार ने अपनी इकलौती बेटी का स्वागत किया, कुछ ही घंटों में एक गंभीर स्थिति में बदल गया।
गर्भवती पत्नी ने 9 महीने तक अपनी कोख में बेटी को पालने के बाद जब उसकी गोद में किलकारी भरी, तो सभी के चेहरे पर खुशी थी। लेकिन यह खुशी अस्थायी साबित हुई।

लापरवाही का पहला संकेत
डॉक्टरों ने नवजात को कमजोर बताकर उसे नर्सरी में भर्ती करने की सलाह दी। गोपाल नर्सिंग होम में भर्ती के बाद, परिवार को यह बताया गया कि नन्ही बच्ची की हालत ठीक नहीं है। परिजनों को जल्द ही एक गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ा। गंभीरता का एहसास होते ही नवजात को एक इंजेक्शन दिया गया, जिसके बाद उसकी अंगुलियां और हथेली लाल पड़ने लगीं।
परिजनों ने शिकायत की, लेकिन डॉक्टर ने उन्हें आश्वासन दिया कि यह अस्थायी है और जल्द ही ठीक हो जाएगा। चार दिन तक पिता शिवम और परिजन डॉक्टरों की बातों पर भरोसा करते रहे। परंतु जब 12 अक्टूबर को डॉक्टरों ने बच्ची की हालत को गंभीर बताकर हायर सेंटर रेफर कर दिया, तब तक समय काफी हो चुका था।

अस्पतालों की दौड़
स्वजन ने बच्ची को बिसरख के निक्स अस्पताल ले जाने का निश्चय किया। वहां भी उसे एनआईसीयू में भर्ती कराने का सुझाव दिया गया, लेकिन अंततः उसे नोएडा में चाइल्ड पीजीआई में भर्ती कराया गया। यहाँ चार डॉक्टरों की एक टीम ने उसकी देखभाल करना शुरू किया। स्थितियाँ अब बेहद गंभीर थीं और परिवार हताश होकर अपनी बच्ची की स्थिति को लेकर चिंतित था।
एक परिवार की टूटती खुशियाँ
इस घटना ने न केवल एक परिवार के सपनों को तोड़ा है, बल्कि एक मां के दिल में गहरा दर्द भी भर दिया है। वह मां जो अपनी बच्ची के जन्म के समय खुशी से झूम उठी थी, अब उसे अपने बच्चे की जान बचाने के लिए हरसंभव कोशिश में लगी है। सवाल यह है कि क्या वह अपनी बेटी की मुस्कान को कभी बिना दर्द के देख पाएगी?
जांच की घोषणा
शिवम भाटी ने इस हादसे के लिए गोपाल नर्सिंग होम के डॉक्टरों पर आरोप लगाते हुए दादरी पुलिस को एक लिखित शिकायत दी है। पुलिस ने सीएमओ को पत्र भेजकर मामले में एक समिति बनाकर जांच रिपोर्ट माँगी है। स्वास्थ्य विभाग ने भी तीन सदस्यीय समिति गठित कर दी है। थाना प्रभारी अरविंद कुमार ने मामले की गंभीरता को समझा और कहा, “हमने सीएमओ को पत्र लिखकर मामले की तुरंत जांच के आदेश दिए हैं।”
स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही पर सवाल
यह केवल एक ‘गलत इंजेक्शन’ का मामला नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य सेवा में लापरवाही के गंभीर परिणामों की कहानी है। किसी भी स्वास्थ्य सेवा में लापरवाही एक जीवन की कीमत चुकाने का खतरा हो सकता है, और यह घटना सभी के लिए एक चेतावनी के रूप में पेश आती है।
शिवम भाटी और उनके परिवार की जद्दोजहद एक महत्वपूर्ण प्रश्न छोड़ती है: क्या हमारी स्वास्थ्य सेवाएं वाकई इतनी सुरक्षित हैं कि हम अपने अनमोल जीवन को उन पर सौंप सकें? जब एक नवजात बच्ची को डॉक्टरों की लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ता है, तो यह हमारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के लिए एक गहरी चिंता का विषय होना चाहिए।


